The Direct Tax Code to ensure reforms in the direct tax structure is still awaited. Corporate tax rates were reduced in 2019. Such generosity has not been shown till now towards personal income tax. The category with the highest tax rates in India is very high. This is probably one of the highest rates in the world. The huge difference between corporate and private taxes only blurs the line between business and private expenditure. This encourages tax evasion. Dividend tax, on the other hand, is first levied at the company level in the form of distribution tax and is then taxed at marginal rates from the beneficiary. This is a clear deviation from the universal principle of levying a single level tax. Apart from this, the salaried class has been demanding an increase in the limit of standard deduction for a long time. In fact, the Indian middle class is waiting for a leniency from the government.

Inflation in India is not as low as developed countries. There is also a measure of asset inflation in addition to the consumer price index. This is related to the rise in the prices of bonds, shares, gold and land. Usually, the more affluent class invests in these assets. That is why income inequality is a natural consequence of this. In recent times, the options for safe and sustainable investment for the average middle class have become limited. Since fixed income returns are at historically low levels, it poses a challenge for risk-sensitive investors to channel their savings into sectors that can give return at least as high as inflation. They are compelled to invest in capital markets despite their low understanding and inability to take risks.

After the GST, the scope of the central government has mainly been limited to direct taxes and import duties. A well thought out trade strategy is essential, which can balance by supporting domestic enterprises without compromising on global connectivity. Disinvestment is a major source of revenue. The privatization of Air India is encouraging, but it is insufficient. Such concrete steps have to be taken, which will take forward the privatization campaign. Apart from this, the central and state governments have the largest reserves of land. Monetization of surplus fixed assets, which are called non-core assets in business parlance, can be extremely beneficial.

Some basic principles should be kept in mind. Our tax-GDP ratio is still very poor. The main reason for this is to be low base. In terms of immigration, our walls should be very high and the doors wide. The tax rates are low, but it is useful to have a wide range of them.

A society is more compliant with the rules only when it is sure that the money collected from it will be spent in nation building. We expect the Executive to show determination to pursue structural reforms despite recent pressures. Government commitment towards infrastructure, reforms, job creation, MSMEs and small traders must be reflected in its policies. Saving money is as good as earning money. The time has come for us to rethink unproductive subsidies and give up the temptation of populism.


सरकारी नीतियों से अपेक्षाएं


प्रत्यक्ष कर ढांचे में सुधार को सुनिश्चित करने वाली प्रत्यक्ष कर संहिता ( डायरेक्ट टैक्स कोड ) अभी तक प्रतीक्षारत है। 2019 में कारपोरेट कर की दरें घटाई गई थीं। निजी आयकर (पर्सनल टैक्स) के प्रति अब तक वैसी दरियादिली नहीं दिखाई गई। भारत में उच्चतम कर की दरों वाली श्रेणी बहुत ऊंची है। यह संभवत विश्व में सर्वाधिक दरों में से एक है। कारपोरेट और निजी करों में अत्यधिक अंतर केवल कारोबारी और निजी व्यय की रेखा को ही धुंधला करता है। इससे करवंचन को बढ़ावा मिलता है। दूसरी ओर डिविडेंड टैक्स पहले तो डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स के रूप में कंपनी स्तर पर लिया जाता है और फिर लाभार्थी से सीमांत दर (मार्जिनल रेट्स) पर भी टैक्स वसूला जाता है। यह एक स्तर पर ही टैक्स लगाने के सार्वभौमिक सिद्धांत से स्पष्ट विचलन है। इसके अतिरिक्त वेतनभोगी वर्ग अर्से से मानक कटौती (स्टैंडर्ड डिडक्शन) की सीमा में बढ़ोतरी की मांग करता आया है। वस्तुतः भारतीय मध्य वर्ग सरकार से उदारता की प्रतीक्षा कर रहा है।

भारत में मुद्रास्फीति विकसित देशों जितनी कम नहीं है। यहां उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के अतिरिक्त परिसंपत्ति मुद्रास्फीति (असेट इनफ्लेशन) का भी एक पैमाना है। इसका सरोकार बांड्स, शेयरों, सोना और जमीन के मूल्यों में बढ़ोतरी से है। अमूमन अधिक संपन्न वर्ग ही इन परिसंपत्तियों में निवेश करता है। इसीलिए आय असमानता इसकी एक स्वाभाविक परिणति है। हाल के दौर में औसत मध्य वर्ग के लिए सुरक्षित एवं स्थायित्वपूर्ण निवेश के विकल्प सीमित हो चले हैं। चूंकि नियत आय प्रतिफल (फिक्स्ड इनकम रिटन्र्स) ऐतिहासिक रूप से निम्न स्तर पर है, इस कारण जोखिम की दृष्टि से संवेदनशील निवेशकों के लिए अपनी बचत को ऐसे क्षेत्रों में लगाने की चुनौती उत्पन्न हो गई है, जो कम से कम महंगाई की दर जितना ही रिटर्न दे सकें। कम समझ और जोखिम उठाने में अक्षम होने के बावजूद वे पूंजी बाजारों में निवेश के लिए बाध्य हो जाते हैं।

जीएसटी के बाद केंद्र सरकार का दायरा मुख्य रूप से प्रत्यक्ष करों और आयात शुल्क तक ही सिमटकर रह गया है। एक सुविचारित व्यापार नीति अत्यंत आवश्यक है, जो वैश्विक जुड़ाव से समझौता किए बिना घरेलू उद्यमों को सहारा देकर संतुलन साध सके। विनिवेश राजस्व का एक प्रमुख स्त्रोत है। एयर इंडिया का निजीकरण उत्साह बढ़ाने वाला है, लेकिन यह अपर्याप्त है। ऐसे ठोस कदम उठाने ही होंगे, जो निजीकरण की मुहिम को आगे बढ़ाएं। इसके अतिरिक्त केंद्र और राज्य सरकारों के पास जमीन का सबसे बड़ा भंडार है। जिस अधिशेष अचल संपत्ति को कारोबारी भाषा में गैर-मूल संपत्ति (नान-कोर असेट्स) कहा जाता है, उसका मौद्रीकरण अत्यंत लाभकारी हो सकता है।

कुछ मूलभुत सिद्धांतो को ध्यान में रखना चाहिए। हमारा टैक्स-जीडीपी अनुपात अभी भी बहुत लचर स्थिति में है। इसकी मुख्य वजह लो बेस यानी निचला आधार होना है। आव्रजन (इमिग्रेशन) की शब्दावली में समझें तो हमारी दीवारें बहुत ऊंची और दरवाजे चोड़े होने चाहिए। करों की दरें कम, किंतु उनका दायरा विस्तृत होना उपयोगी होता है।

कोई समाज तभी नियमों का अधिक अनुपालन करता है जब वह इसे लेकर आश्वस्त हो जाए कि उससे संग्रहित धन राष्ट्र निर्माण में खर्च किया जाएगा। हम आशा करते हैं कार्यपालिका हालिया दबावों के बावजूद ढांचागत सुधारों को आगे बढ़ाने की दृढ़ता दिखाएगी। अवसंरचना, सुधारों, रोजगार सृजन, एमएसएमई और छोटे व्यापारियों के प्रति सरकारी प्रतिबद्धता निश्चित ही उसकी नीतियों में झलकनी चाहिए। धन की बचत धन का अर्जन है। समय आ गया है कि हम अनुत्पादक सब्सिडी पर पुनर्विचार और लोकलुभावनवाद के मोह का त्याग करें।