गुप्ता प्लाईवुड़ फैक्ट्री मानकपुर जगाधरी में लगी आग
- मई 4, 2019
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गुप्ता प्लाईवुड़ फैक्ट्री, मानकपुर, जगाधरी में लगी आग
गुप्ता प्लाईवुड़ फैक्ट्री, मानकपुर, जगाधरी में 16 अप्रैल को लगी आग से फैक्ट्री में बहुत नुकसान हुआ। इस फैक्ट्री के श्री पंकज सिंगला से हुई बातचीत से घटना के कुछ अंश।
“जो फायर के टैंक बने हुए हैं उनके लिए जनरेटर या ईंजन अलग से होना चाहिए जिसका लाईट से कोई संबंध नहीं होना चाहिए। अब जैसे मान लिजिए फायर हुई जिसका कनेक्शन लाईट से है या जनरेटर से है तो जिस टाईम आग लगेगी वो वाइरिंग में ज्यादा पकड़ जाती है और अगर वाइरिंग में आग पकड़ गयी तो लाईट तो खत्म हो जाएगी तो आप पानी चलाएगें, तो पानी किस चीज से चलाएगें आप। मान लो आपके पास जो नीचे टैंक बने हुए हैं वो भी बिजली से ही चलेंगे, लाईट तो खत्म गयी तो उसे कैसे चलाएंगे आप। तो उसके लिए अलग से हौदी के पास अलग से एक इंजन या जनरेटर रखा होना चाहिए या कोई अलग से प्रबंध होना चाहिए। क्योंकि ज्यादा आग होने से तो वो भी काम नहीं करेंगे।
हमारे यहां हुआ क्या कि उस दिन हवा बहुत तेज चली हुई थी जिसकी वजह से फायरब्रिगेड़ गाड़ियों ने कंट्रोल बड़ी मुश्किल से पाया। आग अंदर नहीं लगी थी, गीली गौर में आग लगी थी जो इतनी जल्दी नहीं फैलती बल्कि वो फैली तेज हवा की वजह से। जब गीली गौर में आग लगी तो उसके उपर ही तारें थी, लाईट थी नहीं और जब जनरेटर चालू किया तो जनरेटर की तारों में आग पकड़ गयी और अगर जनरेटर बंद न करते तो जनरेटर में भी आग पकड़ जाती। तो तेज हवा की वजह से आग को ऑक्सीजन पूरी मिल गयी और पत्ते उड़कर आगे जाते रहे जिससे हर जगह आग फैल गई। एक जगह से बुझाए तो दूसरी जगह लग जाए। 20 जगह आग लगी 2 मिनट में । फायरब्रिगेड को फोन किया हुआ था लेकिन उनको भी टाईम लगना था 15 मिनट 20 मिनट इतनी देर में तो चारों तरफ आग फैल गयी तो उसको कंट्रोल कर पाना बड़ा मुश्किल है। जो हमारे टैंक है वो छोटी आग के लिए तो ठीक है। तेज हवा की वजह से आग ज्यादा फैली।
कच्चा पक्का सारा माल सब कुछ शेड के अंदर ही है। शेड से बाहर कुछ भी सामान नहीं होता। चेन सिस्टम था जो पूरी की पूरी ही साफ हो गयी। कोशिश पूरी करी पानी से बुझाने की पाईप लगाने की पर हवा की वजह से कंट्रोल नहीं कर पाए। सेफ्टी प्वाइंट और ऑक्सीजन सिलेंडर तो लगे हुए हैं हमारे पास, तीन-तीन सबमर्सीबल लगे हुए हैं। सभी सिस्टम लगे हुए हैं पर ज्यादा आग में कोई भी सिस्टम काम नहीं करता। केवल बाहर वाला सिस्टम ही काम कर पाता है। आग भी ऐसी थी कि 12 गाड़ियां थी मौके पर और 6 घंटे उसको बुझाने में लगे। तेज हवा की वजह से पानी का कोई असर नहीं हो रहा था आग पर। मूवमेंट की जगह हमारे पास बहुत है। फैक्ट्री की जगह चारों तरफ ओपन है जिससे फायरब्रिगेड की गाड़ियां अंदर लग गयी अगर ओपन न होती जगह टाईट होती तो फिर कुछ भी नहीं बचता। फायरब्रिगेड वालों ने बहुत मेहनत करी जो बच सकता था उसमें नुकसान होने से बचाया उन्होंने। मेन तो शेड का गयी, कोर ड्राई की गयी कुछ और ड्रायर वगैरह का नुकसान हुआ। नुकसान जो हुआ सो हुआ बचाव भी हुआ।”
विशेषज्ञ राय
- एक सबमर्सीबल की पाइप लाइन पूरी फैक्ट्री में बिछी होनी चाहिए।
- प्रमुख स्थान पर इसके प्वाइंट निकाल कर
- ड्रम में फीटींग की हुई एक इंच की पाइप वहां पर लगा देनी चाहिए जिसके आगे नोजल लगी हो
- सबमर्सीबल की केबल अन्डर ग्राउन्ड लेजाकर जेनरेटर में लगी होनी चाहिए।
- आपात स्थिति में पूरी फैक्ट्री की बिजली डीसकनेक्ट कर के सिर्फ जेनरेटर से सबमर्सीबल चलायी जा सके।
PI