26,134 legal threats to entrepreneurship
- मार्च 11, 2022
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As the government takes steps to improve the ease of doing business in the country, a new study has highlighted 26,134 legal perils in India’s business laws that entrepreneurs and corporations face.
Five states have more than 1,000 imprisonment clauses in their business laws: Gujarat (1,469), Punjab (1,273), Maharashtra (1,210), Karnataka (1,175), and Tamil Nadu (1,043), according to a study by Observer Research Foundation and TeamLease RegTech. Of the 1,536 laws that govern doing business in India, more than half carry imprisonment clauses. And of the 69,233 compliances that businesses have to follow, 37.8 per cent carry imprisonment clauses.
“This regulatory cholesterol has ensured that while India’s impressive aggregate gross domestic product (GDP), at $2.6 trillion, makes it the world’s fifth-largest economy, its GDP per capita, at $1,900, stands below Bangladesh, Syria, and Nigeria,” says the report.
More than half these clauses carry a sentence of at least one year, says the report. Several criminalise process violations, while some punish inadvertent or minor lapses rather than willful actions to cause harm, defraud, or evade. For some laws, delayed or incorrect filing of a compliance report is an offence whose punishment stands on par with sedition under the IPC, 1860.
More than 50 clauses in labour laws carry imprisonment caluses. Report says that enterpreneurship in India have to tackle various laws and clauses to prevent them from working freely. For example, Factories Act 1948 have 58 laws where 8682 clauses lead to imprisonment.
Courtesy: Business Standard
उद्यमियों को व्यापार कानून की 26,134 धाराओं का डर
भारत सरकार कारोबार सुगमता सुधारने के लिए कदम उठा रही है और बेहतर वैश्विक रैंकिंग के दावे कर रही है, वहीं एक नए अध्ययन में यह सामने आया है कि भारत के व्यापार कानूनों में कारावास की सजा देने वाली 26,134 धाराएं हैं, जिनका सामना उद्यमियों और कॉर्पाेरेट्स को करना पड़ता है।
देश के 5 राज्यों में व्यापार कानून में कारावास की सजा देने वाले 1,000 से ज्यादा कानून हैं। टीमलीज रेगटेक और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के एक अध्ययन के मुताबिक इस तरह के गुजरात में 1,469, पंजाब में 1,273, महाराष्ट्र में 1,210, कर्नाटक में 1,175 और तमिलनाडु में 1,042 कानून हैं।
भारत में कारोबार को प्रशासित करने वाले 1,536 कानूनों में से आधे से ज्यादा में जेल की सजा का प्रावधान है। कारोबार करने के लिए 69,233 अनुपालन करने होते हैं, जिसमें से 37.8 प्रतिशत (हर 5 में से करीब 2) में जेल की सजा का प्रावधान है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘इस नियामकीय कोलेस्ट्रॉल की वजह से भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2.6 लाख करोड़ डॉलर पर पहुंच गया है और भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, लेकिन इसकी प्रति व्यक्ति जीडीपी 1,900 डॉलर है, जो बांग्लादेश, सीरिया व नाइजीरिया से भी कम है।’
जेल की सजा वाली आधी से ज्यादा धाराओं में कम से कम एक साल के दंड का प्रावधान है। इनमें से कुछ धाराओं में प्रक्रिया के उल्लंघन को आपराधिक बना देती हैं, जबकि कुछ में मामूली चूक की वजह से सजा का प्रावधान है और यह सजा जानबूझकर नुकसान पहुंचाने या धोखाधड़ी करने की तुलना में ज्यादा हैं। कुछ कानूनों में अनुपालन रिपोर्ट की देरी से या गलत फाइलिंग को अपराध माना गया है और इसमें भारतीय दंड संहिता, 1860 के तहत सजा का प्रावधान है। जेल की सजा की ज्यादातर धाराएं श्रम कानूनों से जुड़ी हैं, जिसमें कानून के मुताबिक 50 से ज्यादा धाराएं हैं।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत का उद्यमशीलता परिदृश्य कानूनों, नियमों और विनियमों से भरा पड़ा है, जिन्होंने कारोबार में बाधाएं खड़ी की हैं। उदाहरण के लिए फैक्टरीज अधिनियम, 1948 में 58 नियम हैं, जिनमें जेल संबंधी 8,682 धाराएं हैं।