India has to engage with both foreign tech and indigenous
- अगस्त 27, 2020
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India has to engage with both foreign tech and indigenous
At a meeting with the Electronics and Computer Software Export Promotion Council (ECS India), Commerce and Industry Minister Piyush Goyal said that while domestic electronics makers would need to ramp up indigenous research in technology, India would also have to invite technology from abroad as investments.
Faced with repeated demands for increasing import duties on electronics and increasing export benefits, Goyal stressed that government incentives in the sector, such as the Production-Linked Incentive for Electronics Manufacturing scheme will ultimately have to lead industry to become self-sufficient. While calling upon the electronics hardware sector to use the route of innovation, R&D and disruption to expand its domestic footprint and increase exports, the minister said that industries that are more self-reliant and try to grow without the support of the government have made their mark.
The minister said depending exclusively on incentives, such as Merchandise Exports from India Scheme (MEIS), may not add to the competitiveness of the products since such schemes are time bound and export competitiveness should come from inherent strengths. Instead, he flagged the example of the information technology sector which has positioned itself as the only logical provider of software exports.
However, Nalin Kohli, past chairman of ESC said that while India has done well in the export of software and BPO segments, performance in software products, in which world trade is going to rise phenomenally, the track record is not trailblazing. There should be focused attention on segments like artificial intelligence, Internet of Things (IoTs) and cloud computing to tap emerging opportunities, he added.
भारत को देसी व विदेशी तकनीक से जुड़ना होगाः पीयूष गोयल
इलेक्ट्राॅनिक्स एवं कंप्यूटर साॅफ्टवेयर निर्यात संवद्र्वन परिशद (ईसीएस इंडिया) के साथ बैठक में वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूश गोयल ने कहा कि जहां एक ओर घरेलू इलेक्ट्राॅनिक्स विनिर्माताओं को प्रौद्योगिकी में स्वदेशी अनुसंधान बढ़ाने की आवश्यकता है, वहीं दूसरी ओर भारत को निवेश के रूप में भी प्रौद्योगिकी आमंत्रित करनी होगी।
इलेक्ट्राॅनिक्स पर आयात शुल्क बढ़ाने और निर्यात लाभ में इजाफा करने की बार-बार होने वाली मांग को देखते हुए गोयल ने जोर देते हुए कहा कि इलेक्ट्राॅनिक्स विनिर्माण योजना के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेटिव जैसे क्षेत्र में उद्योग को आत्मनिर्भर बताने के लिए अंततः सरकार के प्रोत्साहन को आगे आना
होगा। अपने घरेलू मार्ग में विस्तार करने और अपना निर्यात बढ़ाने के लिए नवाचार, अनुसंधान एवं विकास और विघटन के रास्ते का उपयोग करने के लिए इलेक्ट्राॅनिक्स हार्डवेयर क्षेत्र का आह्वान करते हुए मंत्री ने कहा कि वे उद्योग जो अधिक आत्मनिर्भर हैं और सरकार के समर्थन के बिना बढ़ने का प्रयास करते हैं, उन्होंने अपनी पहचान बनाई है।
मंत्री ने कहा कि भारत से निर्यात योजना (एमईआईएस) की तरह विशेष रूप से प्रोत्साहन पर निर्भर रहते हुए उत्पादों की प्रतिस्पर्धी क्षमता में वृद्धि नहीं हो सकती है क्योंकि ऐसी योजनाएं सीमित समय के लिए हैं तथा निर्यात प्रतिस्पर्धी क्षमता अंतर्निहित शक्तियों से आनी चाहिए।
ईएससी पूर्व अध्यक्ष नलिन कोहली ने कहा कि जहां एक ओर भारत ने साॅफ्टवेयर और बीपीओ खंड के निर्यात में अच्छा प्रदर्शन किया है, वहीं साॅफ्टवेयर उत्पादों में प्रदर्शन उत्साहजनक नहीं है, जिसमें वैश्विक व्यापार में आश्चर्यजनक रूप से इजाफा हो रहा है। उन्होंने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता, इंटरनेट आॅफ थिंग्स और क्लाउड कंप्यूटिंग आदि पर ध्यान की जरूरत है।