कोई भी महामारी हमारे सपनों को तोड़ नहीं सकती

कोई भी महामारी हमारे सपनों को तोड़ नहीं सकती


सपनों का मजा उनके असंभव होने में ही है। संभव हो सकने वाले सपने ज्यादा कुछ सिखाकर नहीं जा सकते। इसलिए असंभव लगने वाले सपने भी जरूर देखें। दो स्थितियों में सपने देखे जाते हैं, नींद में व जागते हुए। जब जागकर सपना देखते हैं तो हमारी नजर नफे-नुकसान पर होती हैं। नींद में देखे जाने वाले सपने तो नींद खुलते ही टूट जाते हैं। नींद के सपने बीमारी भी हो सकते हैं, मोह भी हो सकता है, लेकिन जागते हुए सपने देखना एक तरह का संकल्प भी होता है। जागते हुए देखे गए सपने पूरा करने में दो तरह की कार्य प्रणाली अपनानी होगी। एक द्युत की, दूसरी युद्ध की। द्युत यानी जुआ। इसमें रिस्क लेना पड़ता है। वैसे तो हमारे शास्त्रों में एक उदाहरण है कि द्युत ही युद्ध में बदला था। पूरी महाभारत जुए पर ही टिकी थी। उसी जुए को आज रिस्क माना गया है। बिना रिस्क लिए असंभव स्वप्न पूरा नहीं होगा, लेकिन, उस द्युत के पीछे युद्ध जैसा माद्दा भी रखना पड़ेगा। तो यदि पिछले 8 महीने पहले तक आपका कोई सपना रहा हो व इस बीच उसे जो धक्के लगे हों तो अब घबराना मत। उसे पूरा जरूर करें। हम मनुश्य हैं। कोई महामारी हमारे सपने तोड़ नहीं सकती। यदि देखा है, तो पूरा भी जरूर होगा।

पं विजय शंकर मेहता