Geeta Gopinath

IMF’s Chief Economist Gita Gopinath has favoured the extension of the pandemic support measures, thrust on investment in infrastructure and expanding health sectors programmes like Ayushman Bharat, and a credible divestment path for commercially viable firms.

The government has provided a lot of schemes for small and medium enterprises, most of which is in the form of liquidity support, Gopinath said. “And you want to revisit it and see how effectively that is working and see whether additional support may need to be provided,”

We have to also keep in mind that as these pandemic measures are lifted, there would very likely be an increase in non-performing loans. Even the RBI has projected that,” Gopinath said.

But there might also be a need for the capital support to be provided by the government for public sector enterprises. That has been long on the table which is to improve governance of public sector banks, she said. Observing that there is a need for more public infrastructure spending, she said that the government has expressed an intention to do that.

“There are needs to make more public investment. That would be another area that would require thrust,” she said, adding that health is another sector which needs renewed focus.

Gopinath said there has to be progress made on the GST collections. There seems to be a gap with compliance which is an important area to fix.

On Tuesday, the IMF projected 11.5 per cent growth for India in 2021. While this is attributable to the stronger-than-expected recovery, Gopinath said India still has some distance to go. The IMF chief economist said India moved quickly to put down one of the strictest lockdowns seen anywhere in the world and it stayed that way for a long time. This had an impact on the economy, including a very large contraction in the first quarter of the fiscal year.

“In terms of overall policy support, India has provided a significant amount. It has tended to use more below-the-line measures than above-the-line measures. We still think that there is space for it to do some more,” Gopinath said.

भारत को कोविड पैकेज जारी रखने की जरूरत


अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोश (आईएमएफ) की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने महामारी संकट से निपटने के उपायों को जारी रखने, ढांचागत क्षेत्र में निवेश पर जोर देने और आयुष्मान भारत जैसे स्वास्थ्य कार्यक्रमों का दायरा बढ़ाने की वकालत की है। साथ ही उन्होंने वाणिज्यिक रूप से व्यावहारिक कंपनियों के लिए एक स्पष्ट विनिवेश योजना पर जोर दिया है।

उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने लघु एवं मझोले उपक्रमों के लिए काफी योजनाएं पेश की है, जिनमें से ज्यादातर नकदी समर्थन के रूप में थी।

उन्होंने कहा, ‘इसकी समीक्षा करने और यह देखने की जरूरत है कि यह कितने प्रभावी तरीके से काम कर रहा है और क्या उन्हें अतिरिक्त मदद की जरूरत है।

गोपीनाथ ने कहा, ‘हमें यह ध्यान रखना है कि अगर महामारी संकट से निपटने के उपायों को अगर वापस लिया जाता है, गैर-निष्पादित कर्ज में वृद्धि की काफी संभावना है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी इसकी आशंका जताई है।’ उन्होंने कहा कि लेकिन सरकार को सार्वजनिक उपक्रमों के लिए भी पूंजी समर्थन की जरूरत पड़ सकती है। इसके अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में कामकाज की स्थिति में सुधार का भी मुद्दा है। गोपीनाथ ने कहा कि यह स्थिति देखते हुए सार्वजनिक बुनियादी ढांचा क्षेत्र पर निवेश और बढ़ाने की जरूरत है और सरकार ने ऐसा करने का इरादा भी जताया है।

उन्होंने कहा कि साथ ही स्वास्थ्य क्षेत्र पर भी और जोर देने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह बढ़ा है। लेकिन ऐसा लगता है कि अनुपालन के स्तर पर कुछ मसला है, इसे दूर करने की आवश्यकता है।

उल्लेखनीय है कि कड़ाई से लागू ‘लाॅकडाउन’ से जुड़ी पाबंदियों में ढील दिए जाने के साथ जीएसटी संग्रह दिसंबर, 2020 में रिकार्ड 1.15 करोड़ रुपये पहुंच गया।

गोपीनाथ ने कहा कि एक अन्य क्षेत्र विनिवेश है, जिस पर जोर देने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘वाणिज्यिक रूप से व्यवहारिक कंपनियों के मामले में विनिवेश को लेकर चीजें एकदम स्पष्ट होनी चाहिए। साथ ही ऋण शोधन अक्षमता प्रक्रिया पर भी काफी काम करने की जरूरत है।’

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