Your experience post covid?
Most of the companies have focused their eyes on tier II and III cities, logic behind it, was two fold: firstly, there was a huge migration to these cities from metropolitan cities, and after all there were very low intensity of pandemic in these areas. Moreover, consumer demand was kept alive, during these nine months, by these smaller cities and rural India. While the life and businesses were struggling in the metropolitans.



What was your achievement?
MDF industry was prosperous during the period. Unprecedented demand enforced the industry to achieve 100 percent capacity utilization. In happier note, more or less, everyone in the industry was successful in covering the production loss of first quarter in the remaining three quarters. By making up the turnover to previous year’s level.

Effect on margins due to increase in cost of raw material?
Prices of raw materials are on fire since July 2020. Although there was a massive demand, we couldn’t do anything good in margins. Whenever the new rate list was enforced, costing reaches to a new high, in the meanwhile. Although, our capacity utilization was at peak, yet our margins are badly effected.

Payment recovery?
Finances were disturbed during the lockdown 20:25 percent are yet to be recovered. Business environment was quite positive during the recent months between trading communities. Efforts like mask, sanitizer, social distancing, and vaccinations were applied by the industry to minimize the affect of pandemic and to attract customers. The covid surge across states is certainly worrying the industry. Finance market is again giving signs of strictness. We hope the pandemic would not have any negative impact at this………… Even today we are getting enquires, yet we are monitoring it very closely.

Impact of production?
Industry is reviving from the setback of last year, till now. And now, restrictions, curfews and partial lockdowns in various states amid a continuing surge is cases have plunged manufacturer into despondency. We hope, there is a very elite chance of strict lockdown like past year and very rare chances of migration of workers, there is no planning of production cut in our present agenda.

Challenges from plywood and particle board?
MDF is a very good and strong product in affordable rates and relatively cheaper than plywood. Quality fluctuation in plywood is helping to mdf to grow real fast. Till now, there is very small share of mdf in total Indian panel market. Current trend ensures that mdf will cover 15-20 percent market share in coming years. Particle board has different section of customers. It is mainly used in cheap furniture.

Our production capacity will meet the upcoming demand?
We are expecting a good demand of mdf incoming years. Production capacity is going to increase as well. Where as established companies are increasing their capacity, few new entrants are also lined up to jump in the race. It will be interesting to see the competition in future in mdf market. After all customers have the honour to get good quality product.

What will be your strategy?
We have experienced the difficult phase in our cycle, be it financial or health. We have already been dealing with such challenges successfully. At present, we are focused for a strong and efficient team to connect with market to associate consumers with our brand. Our long term vision is to deliver fast our product to have a durable business.


कोविड के बाद के कार्यकाल का अनुभव कैसा रहा?
अनलाॅक के दौरान अधिकतर कंपनियों ने छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों पर ध्यान केंद्रित किया था। इसकी दो वजहें थीं- पहला, लाॅकडाउन के बाद छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों की ओर लोगों का पलायन हुआ और दूसरा, उन क्षेत्रों में कोविड के मामले भी कम थे। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में खपत को बल मिल रहा था। पिछले छह से नौ महीनों के दौरान उपभोक्ता मांग को पुनर्जीवित करने में देश के छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों की उल्लेखनीय भूमिका रही है जबकि बड़े शहरों में कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण जीवन अस्त-व्यस्त हो गया था।

आपकी उपलब्धि क्या रही?
इस दौरान समस्त एमडीएफ उद्योग का कार्यकाल काफी व्यवस्थित रहा। मांग में तेजी बरकरार रहने से उद्योग ने अपनी कार्यक्षमता का 100 प्रतिशत इस्तेमाल करने की भरपूर कोशिश की। खुशी की बात रही कि पूरे उद्योग कमोबेश इस लक्ष्य को हासिल करने में कामयाब रहे। हमारे लिए उत्साहित करने वाली बात रही कि प्रथम तिमाही (क्वार्टर) में उत्पादन की क्षति पूर्ति बचे हुए तीन तिमाही में पूरी कर ली गयी। यह पिछले वर्ष (कोविड से पहले) की तुलना में लगभग बराबर रही है।

कच्चे माल की कीमत बढ़ने का आपकी मार्जिन पर असर?
कच्चे माल की कीमतों में जुलाई 2020 से ही लगातार बढ़त का रूख रहा है। बाजार में मांग में तेजी होने के बावजुद अपेक्षित विक्रय मूल्य से फायदा नहीं लिया जा सका है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि जब तक नयी रेट लिस्ट से बाजार में काम शुरू होना होता है तब तक पिछे का खरीद मूल्य काफी अधिक बढ़ चुका होता था। यह सही है कि हमने अपनी उत्पादन क्षमता तो हासिल कर ली लेकिन कच्चा माल महंगा होनेे से उद्योग के मार्जिन पर भी तगड़ी चोट पड़ी है।

भुगतान की स्थिति?
पिछले साल लाॅकडाउन के कारण भुगतान अटक गया था। अभी भी 20-25 प्रतिशत रकम आनी बाकी है। पिछले महिनों में कारोबार पुराने ढ़र्रे पर आ गया था। पुराना अटका भुगतान आने लगा था और व्यापारियों में विश्वास बहाल होने लग गया था। उद्योग ने मास्क सेनेटाइजर शारीरिक दूरी, कर्मचारियों को टीके लगवाने जैसे उपाय शुरू कर दिये, ताकि ग्राहक बेहिचक बाजारों में आयें। मगर संक्रमण में तेजी ने एक बार फिर सभी को शंकित कर दिया है। कोरोना के मामले बढ़ने से पुंजी बाजार फिर से सख्त हो गया है। हालांकि अभी भी आर्डर कम नहीं हो रहे हैं, लेकिन भुगतान में समस्या दोबारा न आये इसकी सतर्कता जरूरी है।

कोरोना वापसी की आशंका से उद्योग में उत्पादन पर असर?
पिछले साल पड़ी कोरोना महामारी की मार से उद्योग अभी उबर ही रहे हैं कि संक्रमण के बढ़ते मामलें से चिंतित होना स्वाभाविक है। कारोबार पर दोबारा चपत न लगें इसकी हर संभव एहतियात बरतनी जरूरी है। हालांकि पिछली बार की तरह का लाॅकडाउन लगने की संभावना भी कम ही है। टीका आने के बाद मजदुरों के पलायन की आशंका भी बहुत कम है। इसलिए अभी उत्पादन में कटौती की कोई चर्चा नहीं है।

प्लाइवुड और पार्टिकल बोर्ड से एमडीएफ को चुनौती!
प्लाइवुड की तुलना में एमडीएफ सस्ता अच्छा और मजबुत विकल्प है। प्लाई की गुणवत्ता में विभिन्नता होना ही एमडीएफ की बिक्री को बढ़ाने में मददगार साबित हो रही है। कुल भारतीय पेनल पैनल बाजार में अभी तक एमडीएफ की उपस्थिति बहुत ही कम है। करीब 5 प्रतिशत। वर्तमान रूझान को देखते हुए आशा की जाती है कि एमडीएफ अगले कुछ वर्षों में ही 15-20 प्रतिशत तक पेनल बाजार की हिस्सा ले लेगी। पार्टिकल बोर्ड की अपनी एक अलग मार्केट है। क्योंकि इसकी मजबुती एमडीएफ के मुकाबले काफी कम है और सस्ते फर्नीचर में इसका अधिक इस्तेमाल होता है।

क्या हमारी उत्पादन क्षमता मांग को पूरा कर पायेगी?
यह सही है कि भारतीय बाजार में एमडीएफ की मांग बढ़ने वाली है। उतनी ही तेजी से उत्पादन क्षमता में भी इजाफा होने वाला है। जहां कुछ पुरानी कंपनियां अपनी क्षमता विस्तार कर रही हैं, वहीं कई नये उद्योगपति इस क्षेत्र में आने की तैयारी कर रहे हैं। आने वाले दिनों में भारतीय एमडीएफ बाजार में प्रतिस्पर्धा दिलचस्प रहने वाली है। आखिरकार भारतीय ग्राहकों को उच्चतम गुणवत्ता वाले उत्पाद को पाने का पूरा हक है।

आगे आपकी स्ट्रेटजी क्या होगी?
हमने अपने कार्यकाल में सब कुछ देखा है, चाहे वह आर्थिक संकट हो या स्वास्थ्य संबंधी। लेकिन हम हमेशा मजबुत होकर उभरे हैं। हमारा प्रयास एक चुस्त संगठन का निर्माण करना है, जो हमारी स्थानीय मौजुदगी को बेहतर करे। सबसे अहम बात यह है कि हम उपभोक्ताओं को हमारे ब्रांड से जोड़ना चाहते हैं। हमारा दीर्घकालिक लक्ष्य तेजी से डीलीवरी सुनिश्चित करते हुए टिकाऊ कारोबार को संचालित करना होगा।


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