Cheque bounce to remain criminal offence
- मई 12, 2021
- 0
The government has been requested to continue the existing system of criminalizing cheque bounce offences which can potentially make people honour their financial commitments due to fear of prosecution.
A lot of stakeholder consultation went into it, and an overwhelming response has been received in favour of not diluting the existing provision.
According to Section 138 of the Negotiable Instruments Act, cheques returned due to inadequate funds in a bank account is an offence, and the law provides for two years’s imprisonment and a fine equivalent to twice the amount involved.
Cheque bounce cases continue for 10-15 years, and diluting or decriminalizing the law will encourage fraudsters to not honour their liabilities.
Trade and industry has suggested the government set up fast-track courts to hear cheque bounce cases and pronounce orders within 45 days.
चेक बाउंस अपराध की श्रेणी में ही रहेगा
सरकार से अनुरोध किया गया है कि चेक बाउंस को अपराध मानने की व्यवस्था जारी रखी जाए ताकि कार्रवाई के डर से लोग अपने वित्तीय वायदे पूरे करते रहें।
अभी कानूनी कार्रवाई के डर से लोग फर्जी चेक नहीं काटते हैं और अपनी देनदारी ठीक से चुकाते हैं। बड़ी संखा में हितधारकों से सलाह ली गई और ज्यादातर की प्रतिक्रया यही थी कि चेक बाउंस के बारे में मौजूदा कड़ाई कम नहीं की जाए।
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स कानून की धारा 138 के अनुसार चेक काटने वाले के बैंक खाते में पर्याप्त रकम नहीं होने के कारण चेक लौट जाना अपराध है। उस सूरत में कानून के तहत उस व्यक्ति को दो साल का कारावास हो सकता है और चेक की राशि का दोगुना तक जुर्माना लग सकता है।
चेक बाउंस को अपराध की श्रेणी से हटाए जाने पर कर्ज देने वालों के लिए मुश्किल हो जाएगी क्योंकि उन्हें वसूली में परेशानी होगी। इससे ऋण संबंधी अनुशासन भी कम हो जाएगा और दीवानी अदालतों में ऐसे मुकदमों की भरमार लग जाएगी क्योंकि इन्हें निपटाने में लंबा अरसा लग जाता है।
चेक बाउंस के मामले 10-15 साल तक चलते रहते हैं और इन्हें अपराध की श्रेणी से बाहर करने पर धोखेबाजों को देनदारी नहीं चुकाने का हौसला मिलेगा।
http://plyisight.com/directory