Devendra Chawla, president of All India Plywood Manufacturing Association, said that if the government cannot reduce the price of fuel, then at least it should be brought under GST. Because every trader and industrialist is facing problems due to the increase in the price of fuel. The cost of transport has increased rapidly. Due to this, the plywood industry, life line of Yamunanagar , by employing more than 2.5 lakh people in Yamunanagar district, is in doldrums.

Yamunanagar is in big trouble today. After increase in transport prices, big buyers of plywood, traders from other states have now turned to Uttar Pradesh. Due to this it has become difficult for the traders of Yamunanagar to sell their goods. Every third person of the city is associated with plywood industry in some way or the other having his employment from the industry. In this situation, if the government does not provide relief to the industry soon, then there may be a big problem for the plywood traders affecting employment.

The plywood industry suffered many fold due to the increase in oil prices. Due to the increase in the rate of transport by 30 percent, has become difficult to sell its goods by the plywood industries. We have to pay extra 40% freight for carrying raw material from adjoining states. The distance of Gujarat and other states from the border of UP Bihar is less, due to which there is difference in fare. if fuel is put in in GST, then the freight will be at per, said that Devendra Chawla, president of All India Plywood Manufacturing Association

Chawla said there is a solution to this problem and that is to bring oil under the ambit of GST. If the government cannot reduce the price of oil, then at least it can do this. This may reduce some of the problems of the industrialists.

He said that if timely attention is not paid upon the situation, plywood industry is going to face difficulties because the whole system will be messed up. There will be a huge crisis not only in Yamunanagar but also in the state.


अगर सरकार तेल के दाम कम नहीं कर सकती तो कम से कम इसे जीएसटी के दायरे में तो लाए: देवेंद्र चावला


ऑल इंडिया प्लाइवुड मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के प्रधान देवेंद्र चावला ने कहा कि सरकार यदि तेल के दाम कम नहीं कर सकती तो कम से कम इसे जीएसटी के दायरे में तो लाए। क्योंकि तेल के दाम बढ़ने से हर व्यापारी व उद्योगपति को दिक्कत आ रही है। ट्रांसपोर्ट की लागत तेजी से बढ़ गई है। इसकी मार से यमुनानगर जिले में ढाई लाख लोगों से ज्यादा का रोजगार देकर लाइफ लाइन कहे जाने वाली प्लाइवुड इंडस्ट्री भी बची नहीं रह सकती है।

यमुनानगर के उद्योग आज बड़े संकट में है। यहां ट्रांसपोर्ट के बढ़ते दामों के बाद प्लाईवुड के बड़े खरीदार दूसरे प्रदेशों के व्यापारियों ने अब उत्तर प्रदेश की ओर रूख कर लिया है। इस वजह से यमुनानगर के व्यापारियों को अपना माल बेचना मुश्किल हो गया है। शहर का हर तीसरा व्यक्ति किसी न किसी रूप में प्लाइवुड इंडस्ट्री से जुड़ा है और यहीं से उसका रोजगार चलता है। ऐसे में अगर जल्द ही सरकार ने इस इंडस्ट्री को राहत प्रदान न की तो प्लाइवुड व्यापारियों के लिए तो बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है। इसका असर रोजगार पर भी पड़ सकता है।

ऑल इंडिया प्लाईवुड मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के प्रधान देवेंद्र चावला ने बताया कि प्लाइवुड इंडस्ट्री पर तेल के दाम बढ़ने का डबल नुकसान हुआ है। जहां ट्रांसपोर्टर के रेट 30 प्रतिशत तक बढ़ जाने के कारण प्लाइवुड इंडस्ट्री को अपना माल बेचना मुश्किल हो गया हे। उन्हें साथ लगते राज्यों से भी राॅ मैटरियल मंगाने पर 40 प्रतिशत तक अधिक किराया देना पड़ रहा है। जिसके कारण पूरा तालमेल गड़बड़ा गया है। यूपी बिहार के बाॅर्डर में से गुजरात और दूसरे प्रदेशों की दूरी कम है जिससे किराए का फर्क है। अगर तेल जीएसटी में हो तो एक जैसा रेट होगा।

चावला ने कहा कि समस्या का एक समाधान है। और वह यह है कि तेल को जीएसटी के दायरे में लाया जाए। सरकार यदि तेल के दाम कम नहीं कर सकती तो कम से कम यह काम तो कर ही सकती है। इससे उद्योगपतियों की कुछ दिक्कत तो कम हो सकती है।

उन्होंने कहा कि यदि इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो प्लाइवुड के लिए आने वाला समय बहुत ही दिक्कत वाला साबित हो सकता है। क्योंकि पूरा सिस्टम ही गड़बड़ा रहा है। यदि ऐसा होता है तो यमुनानगर ही नहीं बल्कि प्रदेश में भारी संकट पैदा हो जाएगा।