Stiff compliance, flash sale ban in draft norms for e-com firms
- जुलाई 20, 2021
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The centre is planning fresh guidelines for e-commerce companies, including appointment of a chief compliance officer, giving preference to the sale of locally produced goods, mandatory registration of e-tailers with Department for promotion of Industry and Internet Trade (DPIIT), in an attempt to tighten the regulatory regime and make these companies more accountable.
The proposed rules have been released at a time when DPIIT is also trying to roll out a comprehensive e-commerce policy aimed at addressing the regulatory challenges sector. A senior government official told that the e-commerce policy will be implemented by making changes in the Foreign Direct Investment rules, consumer protections rules as well as Information Technology Act.
The guidelines also state that e-tailers will now have to send a notification and suggest “alternatives” before products are purchased by consumers to give a fair opportunity to goods manufactured in India. They will not only have to rank goods, but also have to come up with a framework such that the ranking does not discriminate against domestic goods and sellers.
Similar to the newly notified Information Technology (Intermediary Guidelines and Digital Media Ethics Code) Rules, 2021, under the IT Act, the Consumer Protection Rules are proposing a grievance officer, a chief compliance officer and a 24×7 nodal officer to be appointed by e-commerce firms. Compliance of these requirements has already caused a storm between the government and social media firms operating in the country.
“By requiring e-commerce entities to register with the DPIIT and appoint a chief compliance officer, nodal officer and grievance officer who are citizens of (and resident in) India, the proposed rules seek to hold e-commerce entities in the country accountable. At first glance, it will be interesting to see how practically these changes are implemented,”
ई-कॉमर्स फर्मों के लिए सख्त नियम!
केंद्र सरकार ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए नए दिशानिर्देश लाने की योजना बना रही है। इनमें मुख्य अनुपालन अधिकारी नियुक्त करना, स्थानीय उत्पादों की बिक्री को प्राथमिकता देना, ई-रिटेलरों का उद्योग एवं आंतरिक व्यापार विभाग के पास अनिवार्य पंजीकरण जैसे प्रावधान शामिल होंगे। केंद्र सरकार के इस कदम का मकसद नियामकीय व्यवस्था को सख्त बनाना और इन फर्मों को ज्यादा जवाबदेह बनाना है।
उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियमों, 2020 के तहत भी कुछ संशोधन का प्रस्ताव है।
प्रस्तावित नियमों के अनुसार ई-कॉमर्स कंपनियों को फ्लैश सेल (भारी छूट पर बिक्री करना) की अनुमति नहीं दी जाएगी। उत्पादों एवं सेवाओं की क्रॉस सेलिंग से जुड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों को अपने उपयोगकर्ताओं ने नामों का खुलासा करना होगा, साथ ही क्रॉस सेलिंग में उपयोग किए गए डेटा की भी जानकारी देनी होगी। क्रॉस सेलिंग के तहत ग्राहकों को मार्केटिंग के मकसद से मानार्थ उत्पादों की बिक्री की जाती है। ग्राहकों को जानबूझकर भ्रमित करने वाली जानकारी देकर उत्पादों की बिक्री की भी अनुमति नहीं होगी।
प्रस्तावित नियम ऐसे समय में जारी किए गए हैं जब उद्योग एवं आंतरिक व्यापार विभाग द्वारा समग्र ई-कॉमर्स नीति लाने का प्रयास कर रहा है। दिशानिर्देशों में यह भी कहा गया है कि ई-रिटेलरों को ग्राहकों द्वारा उत्पाद खरीदे जाने से पहले उसके विकल्प का भी सुझाव देना होगा जिससे भारत में विनिर्मित वस्तुओं को भी उचित अवसर मिल सके। इनमें घरेलू उत्पादों और विक्रेताओं के साथ पक्षपात नहीं करने का भी प्रावधान होगा।
हाल में आईटी कानून के तहत अधिसूचित सूचना प्र्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश एवं डिजिटल मीडिया नैतिक संहिता) नियमों, 2021 की तर्ज पर उपभोक्ता संरक्षण नियम में ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए शिकायत निवारण अधिकारी, मुख्य अनुपालन अधिकारी और चैबीसों घंटे सातों दिन उपलब्ध रहने वाले नोडल अधिकारियों की नियुक्ति करने का प्रस्ताव है। फिलहाल आईटी कानून के इस प्रावधान को लेकर सरकार को सोशल मीडिया फर्मों में खींचतान चल रही है।
ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए उद्योग एवं आंतरिक व्यापार विभाग के पास पंजीकरण कराने और मुख्य अनुपालन अधिकारी, नोडल अधिकारी और शिकायत निवारण अधिकारी, जो भारतीय नागरिक हों, को नियुक्त करने का प्रावधान, भारत में कारोबार करने वाली ई-कॉमर्स कंपनियों को ज्यादा जवाबदेह बनाने जैसा है।