Farmers, scientists and industrialists on one platform
- अगस्त 27, 2021
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This is an attempt to innovate. To cooperate in each other’s progress. to make a team. New experiments. Trying to do something new. Long awaited dream to bring all three in a single platform. And the credit for this goes to Subhash Jolly president of Wood Technology Association. self-reliant India means taking each other’s hand and moving forward. Thinking of others before yourself. Can only make India completely self-reliant. A program was organized on behalf of WTA in Radaur in collaboration with progressive farmers, plywood manufactures, machine manufacturers as well as Dr. Ashok Kumar, Dr. Devendra Scientist of Forest Research Institute Dehradun.
The main objective of the program was to make farmers aware about Milia Dubia. To consider other alternatives along with Poplar and Eucalyptus. Milia Dubia can be a better option in the present scenerio.
Dr. Ashok Kumar, Senior Scientist of FRI Dehradun apprehended the farmers about Millia Dubia. He stressed that now the time has come, farmers will have to adopt Milia dubia in agro-forestry. Because this is the
future crop. It will not only give growth to the plywood sector, by manufacturing high quality plywood. Which will get international recognition. He said that the cultivation of Millia Dubia can be done easily in Haryana, Punjab, Uttar Pradesh and adjoining areas.
Dr Ashok told that basically Safeda and Poplar have been imported from abroad, but Milia Dubia is our indigenous plant. This plant can grow well in local environment. Farmers can also earn a good profit from its plantation. He also cleared the doubts of the farmers on Milia Dubia.
WTA President Subhash Jolly said that the purpose of this program is that farmers, plywood manufacturers, machine manufacturers and scientists should come on one platform. To understand what kind of wood the farmer can grow for the plywood manufacturers. Development of that wood plant by the scientists and give it to the farmers. Manufacturers buy wood from farmers. Because we are all dependent on each other. Together we have to promote plywood. In this, farmers, scientists, producers and the country everyone will benefit.
Plywood manufactures Ashwini Kaushik, Shyam Sundar Agarwal, Bimal Chopra told that they are ready to buy Milia Dubia. They called upon the farmers to come forward for the cultivation of milia dubia.
Sardar Amarjit Singh, Director, Guru Amar Industries said that this effort of WTA is highly commendable. It is too much appreciable. Because no one had thought in this direction till now. Such programs are desperately needed. This gives farmers a chance to have their say, plywood manufacturers can specify what kind of wood they want, FRI scientists can know what kind of plants to grow. Truly this program will prove to be a milestone for Plywood.
Suresh Bahety editor of The Ply Insight, said that the program was certainly successful in its objective. He congratulated WTA, FRI, plywood manufacturers and farmers. He appreciated the FRI and said that the institute is continuously working towards developing good quality wood plants. Plywood will definitely get its benefit.
Dr Devendra conducted the program. He urged the farmers who were present to take interest in planting Milia dubia saplings. He also assured that the institute is working day and night to provide good quality saplings to the farmers. In the program, 2000 seedlings of advanced variety of Millia Dubia were made available at 50% concession to the progressive farmers by FRI.
किसान, वैज्ञानिक और उद्दयोगपति एक मंच पर
यह कोशिश है नया करने की। एक दूसरे की तरक्की में सहयोग करने की। कोशिश है, टीम बनाने की। नए प्रयोग की। सोचा तो कईयो ने होगा,लेकिन पहल कर नहीं पाए। अब यह पहल हो रही है और इसका श्रेय जाता है, वुड टैक्नोलॉजी एसोसिएशन (WTA) के अध्यक्ष सुभाष जोली को। जो अक्सर कहते हैं, आत्मनिर्भर भारत का मतलब, एक दूसरे का हाथ थाम कर आगे बढ़ना। खुद के साथ-साथ दूसरे के बारे में सोचना। यह सोच जिस दिन आम बन गई, भारत को पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनने से कोई नहीं रोक पाएगा। इसी क्रम में डब्ल्यूटीए (WTA) की और से रादौर में प्रगतिशील किसान, प्लाइवुड उत्पादक, मशीन निर्माताओं के साथ साथ फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (FRI) देहरादून के सीनियर वैज्ञानिक डॉ अशोक कुमार वैज्ञानिक डॉ देवेंद्र के सहयोग से एक कार्यक्रम आयोजित किया गया।
कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य किसानों को मिलिया डुबिया के बारे में जागरूक करना था। उन्हें बताना था कि पापलर और सफेदे के साथ वह लकड़ी के दूसरे विकल्प पर भी विचार करें। इस क्रम में मिलिया दुबिया एक बेहतर उभरता हुआ विकल्प है।
एफआरआई देहरादून के वरिष्ठ वैज्ञानिक डाक्टर अशोक कुमार ने किसानों को मिलिया डुबिया के बारे में जानकारी दी। उन्होंने जोर देकर कहा कि अब वक्त आ गया, किसानों को मिलिया को भी कृषि वानिकी में अपनाना होगा। क्योंकि यह भविष्य है। इससे न सिर्फ प्लाइवुड सेक्टर को ग्रोथ मिलेगी, बल्कि हम उच्च गुणवत्ता की प्लाईवुड बनाने में सक्षम होंगे। हमारे उत्पाद को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी। उन्होंने बताया कि हरियाणा पंजाब उत्तर प्रदेश और आस पास के इलाके में मिलिया डुबिया की खेती आसानी से की जा सकती है।
डाक्टर अशोक ने बताया कि सफेदा और पापलर तो विदेश से मंगाए गए थे। लेकिन मिलिया डुबिया हमारा देसी पौधा है। यह पौधा यहां के वातावरण में अच्छे से हो सकता है। इसके रोपण से किसान अच्छा खासा मुनाफा भी कमा सकते हैं। उन्होंने मिलिया डुबिया पर किसानों की शंकाओं का समाधान भी किया।
कार्यक्रम में डब्ल्यूटीए के अध्यक्ष सुभाष जौली ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य यह है कि किसान, प्लाइवुड निर्माता व मशीन निर्माता और वैज्ञानिक एक मंच पर आए। किसान प्लाइवुड निर्माताओ के लिए किस तरह की लकड़ी उगा सकता है। वैज्ञानिक किसानों को उस लकड़ी के पौधे विकसित करके दें। निर्माता किसानों से लकड़ी खरीदे। क्योंकि हम सभी एक दूसरे पर निर्भर है। हमें मिल कर प्लाइवुड को बढ़ावा देना है। इसमें किसान, वैज्ञानिक उद्दयोगपति और देश सभी का भला है।
कार्यक्रम में प्लाईवुड फैक्टरी संचालक अश्विनी कौशिक, श्याम सुंदर अग्रवाल ,बिमल चोपड़ा ने बताया कि वह मिलिया डुबिया की लकड़ी खरीदने को तैयार है। उन्होंने किसानों को आह्वान किया कि किसान मिलिया की खेती के लिए आगे आए।
कार्यक्रम में गुरू अमर इन्डस्ट्रीज के निदेशक सरदार अमरजीत सिंह ने कहा कि डब्ल्यूटीए का यह प्रयास बहुत ही सराहनीय है। क्योंकि अभी तक इस दिशा में किसी ने सोचा नहीं था। जबकि आज ऐसे कार्यक्रमों की सख्त जरूरत है। इससे किसानों को अपनी बात रखने का मौका मिलता है, प्लाइवुड निर्माता यह बता सकते हैं कि उन्हें किस तरह की लकड़ी चाहिए, एफआरआई के वैज्ञानिकों को पता चल सकता है कि किस तरह के पौधे विकसित किए जाने हैं। सच में यह कार्यक्रम प्लाइवुड के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
कार्यक्रम में द प्लाई इनसाइट के संपादक सुरेश बाहेती ने कहा कि निश्चित ही यह कार्यक्रम अपने उद्देश्य में सफल रहा। उन्होंने डब्ल्यूटीए, एफआरआई, प्लाइवुड निर्माता और किसानों को बधाई दी। उन्होंने एफआरआई की सराहना करते हुए कहा कि संस्थान लगातार अच्छी गुण्वत्ता की लकड़ी के पौधे विकसित करने की दिशा में काम कर रहा है। इसका लाभ प्लाइवुड को निश्चित ही मिलेगा।
कार्यक्रम का संचालन डाक्टर देवेंद्र ने किया। उन्होंने कार्यक्रम में आए हुए किसानों से आग्रह किया कि वह मिलिया के पौधा रोपण में रूचि लें। यह आश्वासन भी दिया कि संस्थान अच्छी गुणवत्ता के पौधे किसानों को उपलब्ध कराने के लिए दिन रात काम रहा है। कार्यक्रम में एफआरआई की ओर से प्रगतिशील किसानों को मिलिया डुबिया के उन्न्त किस्म के 2000 पौध 50 प्रतिशत रियायत पर उपलब्ध कराए गए।