Negative impact on the Indian economy as power crisis in China widens
- अक्टूबर 12, 2021
- 0
China is currently going through an unprecedented power shortage. There are long power cuts in many provinces. Dozens of American companies—with production units in China—have been hit hard by the power cuts. Industrial activities of China have been affected by 45 percent. The business has suffered huge losses due to the unexpected power crisis. This has resulted in loss of business opportunities, large number of orders canceled and raw material wasted. The power crisis in China has been going on for the past several weeks. This has created a threat of negative impact on the world economy.
In many cities, the situation is so bad that electricity is available only for an hour or two. This has led to the closure of factories. According to the Hong Kong newspaper South China Morning Post, much valuable equipment has been damaged due to frequent power outages. The raw material is wasted due to disruption in the manufacturing process. Sensitive supply system has been breached. Due to cancellation of orders, business opportunities are being lost.
The main reason for this major power crisis arising in China is the reduction of coal-based power stations in their production. This has happened because of disturbing their economic coordination with the industries. It is being told that a major reason for the power crisis is that China has reduced its electricity generation capacity by three percent to reduce carbon emissions in the country. By 2025, it has to reduce the generation capacity of coal-based power stations by 13.5 percent. This power crisis has caused huge damage to the industries of the world’s second largest economy. China, which is called the factory of the whole world, its image and system, has deteriorated. To control the situation, out of 31 state-level power systems, 20 are getting cut in power supply and are able to provide electricity for only a few hours a day.
Due to the deepening of the power crisis in China, the possibility of affecting the supply of raw materials for many commodities in India has started deepening. These mainly include various chemical and pharmaceutical raw materials, steel, furnace oil, plastics, electronics and auto parts. Due to the impact of production in China, the price of chemicals in India has started increasing. In the near future, there is a possibility of increase in the prices of other raw materials as well.
After the next 10-15 days, the supply of many raw materials may be affected. Chemicals entrepreneurs said, due to the crisis in China, the prices of chemicals in India have increased by 5 to 40% in the last 15 days.
India is still dependent on China for raw materials and 70 percent of its raw material comes from China.
According to the data of the Ministry of Commerce, the import of chemicals from China has increased by 41 percent in January-August this year as compared to the same period last year.
चीन में बिजली संकट से भारतीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर
चीन इस समय बिजली के अप्रत्याशित संकट से गुजर रहा है। कई प्रांतो में बिजली की लंबी कटौती हो रही है। दर्जनों अमेरिकी कंपनियां, जिनकी उत्पादन इकारयां चीन में हैं- वे बिजली कटौती से बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं। चीन की औद्दयोगिक गतिविधियां 45 प्रतिशत तक प्रभावित हुई हैं। अप्रत्याशित बिजली संकट से कारोबार को भारी नुकसान हुआ है। इससे व्यापार के अवसरों का नुकसान हुआ है, बड़ी संख्या में आर्डर रद हुए हैं और कच्चा माल बर्बाद हुआ है। चीन में बिजली का संकट पिछले कई हफ्तों से जारी है। इससे दुनिया की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ने का खतरा पैदा हो गया है।
कई शहरों में हालात इतने खराब हैं कि सिर्फ एक या दो घंटे ही बिजली मिल पा रही है। इससे वहां पर कारखानों को बंद करने की नौबत आ गई है। हांगकांग के अखबार साउथ चाइना मार्निंग पोस्ट के मुताबिक बार-बार बिजली जाने से बहुत से कीमती उपकरणों को नुकसान हुआ है और हो रहा है। निर्माण प्रक्रिया बाधित होने से कच्चा माल बर्बाद हुआ है। संवेदनशील आपूर्ति व्यवस्था भंग हुई है। आर्डर रद होने से कारोबार के अवसरों का नुकसान हो रहा है।
चीन में पैदा हुए इस बड़े बिजली संकट का मुख्य कारण कोयले पर आधारित बिजलीघरों का अपने उत्पादन में कमी करना है। ऐसा उद्दयोगों के साथ उनका आर्थिक तालमेल गड़बड़ाने से हुआ है. बताया जा रहा है कि बिजली संकट की एक बड़ी वजह यह भी है कि देश में कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए चीन ने अपनी बिजली उत्पादन क्षमता तीन प्रतिशत कम की है। 2025 तक उसे कोयले पर आधारित बिजलीघरों की उत्पादन क्षमता 13.5 प्रतिशत तक कम करनी है। इस बिजली संकट ने दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के उद्दयोगों को भारी नुकसान पहुंचाया है। चीन जो कि पूरी दुनिया का कारखाना कहलाता है, उसकी छवि और व्यवस्था बिगड़ी है। हालात को नियंत्रित करने के लिए 31 प्रदेश स्तरीय विद्युत व्यवस्थाओं में से 20 विद्युत आपूर्ति में कटौती हो रही हैं और प्रतिदिन कुछ घंटे ही बिजली दे पा रही हैं।
चीन में बिजली संकट गहराने से भारत में कई वस्तुओं के कच्चे माल की आपूर्ति प्रभावित होने की आशंका गहराने लगी है। इनमें मुख्य रुप से विभिन्न रसायन व दवा के कच्चे माल, स्टील, फर्नेस आयल, प्लास्टिक, इलेक्ट्रोनिक्स व आटो पार्ट्स शामिल हैं। चीन में उत्पादन प्रभावित होने से भारत में केमिकल्स के दाम में बढ़ोतरी होने लगी है। निकट भविष्य में अन्य कच्चे माल की कीमतों में भी बढ़ोतरी का अंदेशा प्रबल होने लगा है।
अगले 10-15 दिनों के बाद कई कच्चे माल की आपूर्ति पर असर दिख सकता है। केमिकल्स उद्दमियों ने बताया, चीन के संकट के कारण पिछले 15 दिनों में भारत में केमिकल्स के दाम 5 से 40% तक बढ़ चुके हैं।
कच्चे माल के लिए भारत अब भी चीन पर निर्भर है और 70 प्रतिशत कच्चा माल चीन से ही आता है।
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ो के मुताबिक इस वर्ष जनवरी-अगस्त में पिछले वर्ष समान अवधि के मुकाबले चीन से केमिकल्स के आयात में 41 फीसद का इजाफा हुआ है।