The current survey points to a recovery in business sentiments post the second wave of the pandemic.

As the second wave of Covid-19 eased off, business sentiment in the country hit an over two year high in the September quarter (Q2) of the current financial year (FY22), according to a survey by the national council of applied economic research (NCAER). However companies were apprehensive about the rising cost of raw materials.

The index showed improvement sequentially, year-on-year, as well as compared with the pre-Covid period in all the four parameters that it is based on: whether the overall economic conditions will be better in the next six months, financial conditions of the firms will improve in the next six month, present investment climate is positive, and present capacity utilization is close to or above optimum level.

The index was also higher over these periods for the consumer durables, consumer non-durables, intermediate goods, capital goods and services industries.

The NCAER survey showed that all sizes of firms had a higher confidence index quarter-on-quarter, year-on year, and compared with the pre-pandemic period. Only firms with annual turnover of more than Rs. 500 crore showed the index at a lower level during Q2FY22 compared with the pre-Covid level.

The sentiment in the real estate industry has turned optimistic and touched an all-time high during July-September and the outlook for the next six months also remains positive, according to a joint report by Knight-Frank, FICCE and Naredco.


कंपनियों में अधिक दिखा विश्वास


हालिया सर्वेक्षण कोविड की दूसरी लहर के बाद कारोबारी मिजाज में सुधार का संकेत दे रहा है।

चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में देश में आर्थिक माहौल के प्रति विश्वास और धारणा मजबूत होने के संकेत मिल रहे हैं। एनसीएईआर के एक सर्वेक्षण के अनुसार दूसरी  तिमाही में कोविड महामारी से पूर्व की अवधि की तुलना में देश में आर्थिक माहौल के बारे में धारण सुधरी है। मगर एनसीएईआर के कारोबार विश्वास सूचकांक (बीसीआई) के अनुसार कच्चे माल की बढ़ती कीमतें कंपनियों के लिए चिंता का सबब बनी हुई हैं।

कोविड महामारी की दूसरी लहर से प्रभावित उस तिमाही में सूचकांक 61.8 पर था। सभी चार मानदंड़ों पर सूचकांक में सुधार दर्ज किया गया। इन चार मानदंड़ो में विभिन्न पहलुओं पर विचार किया जाता है। सबसे पहले यह देखा जाता है कि अगले छह महीनों में देश के आर्थिक हालात सुधरेंगे या नहीं। यह भी आंकने की कोशिश की जाती है कि छह महीनों में कंपनियों की वित्तीय स्थिति सुधरेगी या नहीं। यह भी देखा जाता है कि मौजूदा माहौल निवेश के लिए सकरात्मक है या नहीं और मौजूदा क्षमता का इस्तेमाल पर्याप्त स्तर के करीब या इससे ऊपर है अथवा नहीं।

सभी पांच उद्योगों-उपभोक्ता वस्तु, गैर-उपभोक्ता वस्तु, मध्यवर्ती वस्तुएं, पूंजीगत सामान और सेवा-के लिए सूचकांक दूसरी तिमाही में अधिक रहा।

माना जा रहा है कि लॉकडाउन में ढील देने के बावजुद सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्दयम की हालात नहीं सुधरी है मगर एनसीएईआर के सर्वेक्षण में कहा गया है कि कोविड पूर्व अवधि के मुकाबले तिमाही और सालाना आधारों पर सभी आकार की कंपनियों के आत्मविश्वास में इजाफा हुआ है। केवल सालाना 500 करोड़ रुपये से अधिक कमाई करने वाली कंपनियों का कारोबारी हौसला दूसरी तिमाही में कोविड पूर्व के स्तर की तुलना में निचले स्तर पर पाया गया।

रियल एस्टेट उद्दयोग आशावादी दिख रहा है और कारोबारी मनोबल जुलाई-सितंबर के दौरान सर्वकालिक उच्च पर पहुंच गया है। नाइट फ्रैंक, फिक्की और नारडेको की संयुक्त रिपोर्ट के मुताबिक अर्थव्यवस्था में सुधार, टीकाकरण में तेजी के साथ अगले छह महीने का परिदृश्य भी सकारात्मक बना हुआ है।


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