Government’s effort to issue fresh license to wood-based industry in the state is commendable, there will be some problem in the beginning, gradually everything will be fine: Dr. MP Singh


The Haryana government has made a provision to issue fresh licenses for the wood based industry. Due to this decision of the government, present owners of wood based industries including plywood unit in the state are worried that it may enhance scarcity of raw materials especially timber. The reason for this is that the units which are running at present are not getting enough timber. It more units will come, the demand for timber may increase further. But the experts are considering this decision of the government as an achievement. This will give a boost to agroforestry. Wood based industry will also get encouragement. On such topics, Ply Insight has tried to understand the current situation by bringing experts and industrialists on one platform.

Dr. MP Singh present in the webinar as the chief guest … told that The Government of India had announced the Wood Based Unit guideline in 2016. There were many problems in it. The policy was prepared by the Hon’ble Supreme Court keeping in mind the conservation of forests due to the wood-based industry. Because it was the effort of the Supreme Court there should not have an adverse effect on the forests. The Supreme Court was concerned that the forest area should be preserved. This was the reason why the Supreme Court had prepared this guideline.

Provision was made Under this act, to regularize the wood based industry. Although there were already rules under the Forest Act in all the states, in the states without any rules, licenses were given to wood based industries on the lines of other states. There were also some states where there was no provision to give license to the WBI. Industries were running without a license there. Therefore, the effort of the Supreme Court was to bring the timber industries running in all the states across the country under a single central law.

After the 2016 guideline, all the states made their own laws. There were many obstacles in these laws. Due to which the WBI had to face many problems. Agroforest timber was also affected by these provisions. Agro based timber had nothing to do with forests. Agroforestry also came under the purview of the Act under these of rules. When the cutting of wood grown in the private land was banned, agroforestry also started getting affected by it. Its adverse effect was visible in every field.

The Government of India amended these rules once again in 2017. The effort under this act was to promote agro-based timber. So that the industry can forgive its dependence on forests and transfer to agroforestry. Even after these provisions, there was some confusion in the states. However, the plan of the central government was to promote wood based industries to encourage agroforestry.

Wood based industries should grow in the country. That’s why; the Central Government started the National Mission Agroforestry. Its purpose was to provide options for crop diversification to the farmers.

Farmers should adopt more and more agroforestry.

He said that he is very happy with this effort of Haryana Government. Wood based industries have now been open for licensing in Haryana.

He told that he also made a lot of efforts for this. However, he does not want to take credit for it. But he had put this point in front of the central government that wood based industries should be delicensed in the country.



At the time of Covid-19, he repeatedly raised the point that agro-based industry should be encouraged; Growth of wood based industries should not be stopped in the name of conservation of forests. Agroforestry wood is being used in these industries, it should be licensed free. So that more and more wood based industries can be set up. If there is no industry, where will the farmer take the raw material of agroforestry? It was also a reason that the farmers from every corner were not able to do agroforestry.

Only those farmers were able to do agro-forestry where wood was consumed. Agroforestry was confined to a few clusters.

Except Ambala Karnal Kurukshetra Yamunanagar in Haryana, the area of ​​agroforestry is very less in the rest of the states. The situation is the same in Uttar Pradesh and other states of the country as well.

This effort of the government to make the wood based industry license free in Haryana is very commendable. Similar efforts should be made in other states, especially in Uttar Pradesh. There should also be an online system for registration so that the industry can be registered without any problem.

 


WBI को नये लायसेंसः सराहनीय प्रयास?


प्रदेश में लकड़ी आधारित उद्योग को नये लाइसेंस मुहैया कराने का सरकार का प्रयास सराहनीय, शुरुआत में कुछ दिक्कत आएगी, धीरे धीरे सब ठीक होगाः डाक्टर एमपी सिंह



हरियाणा सरकार ने लकड़ी आधारित उद्योग को नयें लाइसेंस आवंटित करने का प्रावधान दिया है। सरकार के इस निर्णय को लेकर प्रदेश में प्लाइवुड यूनिट संचालकों समेत लकड़ी आधारित उद्योग चला रहे संचालक चिंतित है कि इससे कच्चे माल खास तौर पर लकड़ी की दिक्कत आ सकती है। इसकी वजह यह है कि अभी जो यूनिट चल रही है, उन्हें ही पर्याप्त मात्रा में लकड़ी नहीं मिल रही है। अब जब ज्यादा यूनिट आ जाएगी तो लकड़ी की मांग और ज्यादा बढ़ सकती है। इधर विशेषज्ञ सरकार के इस निर्णय को उपलब्धि मान रहे हैं। इससे एग्राफॉरेस्ट्री को बढ़ावा मिलेगा। लकड़ी आधारित उद्योग को भी प्रोत्साहन मिलेगा। इस तरह के विष्यों को लेकर प्लाई इनसाइट ने विशेषज्ञों और उद्योगपतियों को एक मंच पर लाकर मौजूदा स्थिति को समझने की कोशिश की है।

वेबिनार में मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित डाक्टर … ने बताया कि भारत सरकार ने 2016 में उड बेस्ड यूनिट (WBI) की गाइडलाइन घोषित की थी। इसमें कई तरह की दिक्कत थी। इस नीति को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने वनों के संरक्षण को ध्यान में रखकर तैयार किया गया था। क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय की कोशिश थी कि वुड बेस्ड इंडस्ट्री का वनों के ऊपर प्रतिकूल प्रभाव ना पड़े। सर्वोच्च न्यायालय की चिंता थी कि वन क्षेत्र बचा रहे। यही वजह थी कि सर्वोच्च न्यायालय ने यह गाइडलाइन तैयार की थी।

इस अधिनियम के तहत कास्ठ आधारित उद्योग को रेगुलराइज किए जाने का प्रावधान किया गया था। हालांकि पहले से ही सभी राज्यों में वन अधिनियम के तहत रूल बने हुए थे जहां जिन राज्यों में यह रूल नहीं थे वहां पर दूसरे राज्यों की तर्ज पर ही कास्ठ आधारित उद्योगों को लाइसेंस दिया जाता था। कुछ राज्य ऐसे भी थे जहां पर कास्ट उद्योग को लाइसेंस देने का प्रावधान था ही नहीं । वहां पर यह उद्योग बिना लाइसेंस के भी चल रहे थे। इसलिए सर्वोच्च न्यायालय की कोशिश थी कि देशभर के सभी राज्यों में चल रहे लकड़ी उद्योगों को एक केंद्रीय कानून के तहत लाया जाए।

2016 की गाइडलाइन के बाद सभी राज्यों ने अपने अपने यहां कानून बनाए। इन कानूनों में कई तरह की दिक्कत थी। जिससे लकड़ी उद्योग संचालकों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। इन प्रावधानों से एग्रोफॉरेस्ट लकड़ी पर भी इसका असर पड़ा। एग्रो बेस्ड लकड़ी का वनों से कोई लेना-देना नहीं था। नियम बनने से एग्राफॉरेस्ट भी अधिनियम की जद में आ गए। खेत में उगाई गई लकड़ी के काटने पर भी जब रोक लगने लगी तो तो एग्रोफोरेस्ट्री भी इससे प्रभावित होने लगी। इसका हर क्षेत्र पर प्रतिकुल प्रभाव नजर आने लगा।

तब भारत सरकार ने 2017 एक बार फिर इन नियमों में संशोधन किया। इस अधिनियम के तहत कोशिश यही थी कि एग्रो बेस्ड लकड़ी को बढ़ावा दिया जाए। ताकि इंडस्ट्री वनों से अपनी निर्भरता खत्म कर एग्रोफोरेस्ट्री पर आ जाए। इन प्रावधानों के बाद भी राज्यों में कुछ कंफ्यूजन की स्थिति बनी हुई थी। हालांकि केंद्र सरकार की योजना थी कि लकड़ी आधारित उद्योगों को बढ़ावा दिया जाए। जिससे एग्रोफोरेस्ट्री को भी बढ़ावा मिले।

देश में लकड़ी आधारित उद्योग भी बढे। इसी को ध्यान में रखकर केंद्र सरकार ने नेशनल मिशन एग्रोफोरेस्ट्री भी चलाया। इसका भी उद्देश्य यही था कि किसानों को फसल विविधीकरण के लिए विकल्प उपलब्ध हो सके।

किसान ज्यादा से ज्यादा एग्रोफोरेस्ट्री अपनाएं ।
उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार के इस प्रयास से वह बेहद खुश हैं। हरियाणा में लकड़ी आधारित उद्योगों के लिए लाइसेंस खोल दिया गया है।

उन्होंने बताया कि इसके लिए उन्होंने भी काफी प्रयास किए। हालांकि इसका श्रेय वह नहीं लेना चाहेंगे। लेकिन उन्होंने केंद्र सरकार के सामने यह बात रखी थी कि देश में लकड़ी आधारित उद्योगों को लाइसेंस मुक्त किया जाना चाहिए।



कोविड-19 के समय में उन्होंने लगातार यह बात बार-बार उठाई की एग्रो बेस्ड इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलना चाहिए। वनों के संरक्षण के नाम पर लकड़ी आधारित उद्योगों को बढ़ाने से नहीं रोका जाना चाहिए। जिन उद्योगों में एग्रोफोरेस्ट्री की लकड़ी प्रयोग हो रही है उसे लाइसेंस फ्री करना चाहिए। ताकि ज्यादा से ज्यादा लकड़ी आधारित इंडस्ट्री लग सके। यदि इंडस्ट्री ही नहीं होगी तो फिर किसान एग्रोफोरेस्ट्री कर कच्चे माल को कहां लेकर जाएगा ? ऐसे में एग्रोफोरेस्ट्री को भी बढ़ावा नहीं मिलेगा। यह भी दिक्कत थी जिसकी वजह से सभी जगह के किसान एग्रोफोरेस्ट्री नहीं कर पा रहे थे।

सिर्फ वहां वहां के किसान एग्रो फॉरेस्ट्री कर पा रहे थे जहां जहां लकड़ी की खपत थी। एग्रोफोरेस्ट्री कुछ कलस्टर तक ही सीमित रह गई थी।

हरियाणा में अंबाला करनाल कुरुक्षेत्र यमुनानगर को छोड़ दिया जाए तो बाकी के राज्यों में एग्रोफोरेस्ट्री का एरिया बहुत कम है। यही स्थिति उत्तर प्रदेश और देश के अन्य राज्यों में भी है ।

हरियाणा में लकड़ी आधारित उद्योग को लाइसेंस मुक्त करने का सरकार का यह प्रयास बहुत ही सराहनीय है। इसी तरह के प्रयास दूसरे राज्यों में खासतौर पर उत्तर प्रदेश में भी किए जाने चाहिए। रजिस्ट्रेशन के लिए भी ऑनलाइन सिस्टम होना चाहिए ताकि इंडस्ट्री लिस्ट बिना किसी दिक्कत के अपना यूनिट का रजिस्ट्रेशन करा सके।