Yash Sharda – BIS should be Strict on wrong doers
- सितम्बर 5, 2022
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Will the scarcity of timber be the major challenge for the industry in future?
It’s time to think out of the box and turn our hand to something new. We can easily deal with the forthcoming challenges if we do it the right way. It is true that there will be a further shortage of timber once new plants are operational, but we are the ones who can find a solution to it. Of course, farmers will grow timber but we have to encourage them to plant more and more saplings so that there is maximum availability of timber in the market when they grow up into a tree. The plantation of Hybrid timber is in full swing and it prepares in a shorter time period. It will solve the timber problem to a large degree.
How will you take on this responsibility?
Large scale units are entering into the market at a fast pace. They need to focus more attention on this subject, and take the initiative and responsibility to promote agroforestry. However, all the units, whether large or small, will have to expand their area of agroforestry.
Every unit operator is now getting aware of the fact that they have to pay attention towards timber production if they are to continue their operations. Awareness is being spread about this through Ply Insight and other platforms. Plantation is being encouraged. The associations also have ongoing efforts in this regard. There will certainly be fruitful results in the near future.
Nowadays, there is a lot of issue with urea?
The government has its own policy with respect to the technical grade urea which is being implemented. Now it is the government’s responsibility to ensure that unit operators can procure the technical grade urea. We all should prove our patriotism by using technical grade urea. Although this will increase the production cost of plywood, but this increased cost will be borne by the market itself. That’s why only technical grade urea should be used. Every industry will use it if there is support from the government’s end. Increased rates don’t make much difference. Selling a good product will benefit the entire industry.
The market has a big demand for plywood. As the demand for quality products has increased in the market, it is not possible for a unit operator to survive in the market if it compromises with the quality. He must concentrate on quality. The operators who are manufacturing good quality products will get sufficient timber as well as the market share.
Is there any alternative to urea?
Phenol and melamine are being used by many. Whenever there is a problem, there comes an option as well. Phenol-based products are a substitute for urea. The use of Phenol will accelerate even more in the future because it is urea free.
What should be done to prevent GST evasion from small cart loads?
We are hearing a lot about such GST tax evasion. But we have no idea who is doing it and how. We are working with a 100% invoice generation. However, the department is making every possible effort to stop the tax evasion. 100% bill generation will be favorable for all. Market will gain confidence, and the government will get more GST which will bring more growth and development in the market.
What is your opinion about ISI certification?
BIS should pay more attention to this. As a matter of fact, any industry gets their sample approved once but later, they turn negligent. Some manufacturers continue takes advantage which is overlooked by BIS. It should be ensured that the officers of the organization visit the manufacturers regularly to maintain a fear among wrongdoers and to ensure the right quality of the product.
We use our lab efficiently to ensure quality and emphasize the production of ISI certified products. We endeavor to deliver good quality products to the buyer. There should be more discussion about ISI certification as it has lost its value in present times. There is no specific strict provision that bounds to maintain quality assurance. Every licensed producer itself has to work to maintain the quality in accordance with BIS standards.
Which area is your stronghold and what are your further plans?
We are engaged in UP and Uttaranchal, and now we are also working in Bihar. We are selling a lot of laminates in the South as well. We have a really good laminate market, and now we are also focusing on calibrated products. Our waterproof range of products is calibrated. We expect a bright future of calibrated products. Its demand will increase in future as per our expectation, so more attention is given in it. At the moment, we’re looking to expand our market in Jammu and Punjab along with MP, and we are looking for a distributor there.
We have a wide range of products including HDMR Plywood and Laminate. For this reason, we are able to offer a variety of products to our distributors. Our company has an extensive range of products, which we are offering to our distributors. We’re working on the QR code as well which will be added in digital stamping. It will ensure the customer that they are buying the right product.
उद्योग के लिए लकड़ी की दिक्कत भविष्य की बड़ी चुनौती बन कर सामने आ रही हैं ?
यह वक्त कुछ नया सोचने का है कुछ नया करने का है। सही तरीके से करेंगे, तो आने वाले वक्त के जो चैंलेज हैं, उनसे हम आसानी से निपट सकते है। यह कहना कि नए प्लांट आने के बाद लकड़ी की शॉर्टेज हो जाएगी, यह बात कुछ तो सही है ही, लेकिन इसका समाधान भी हमें ही खोजना होगा। निश्चित ही लकड़ी किसान उगाएंगे। हमें किसानों को प्रमोट करना होगा। किसान को प्रोत्साहित करना होगा कि वह ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाए, ताकि पौधे पेड़ बनकर ज्यादा से ज्यादा मात्रा में बाजार में लकड़ी उपलब्ध हो। हाइब्रिड लकड़ी का पौधा-रोपण जोरो पर है। यह कम समय में तैयार हो जाता है। इससे भी लकड़ी की समस्या का काफी हद तक समाधान हो सकता है।
यह जिम्मेवारी कैसे निभाएंगें ?
बड़ी यूनिट तेजी से मार्केट में आ रही है। उन्हें इस बारे में अधिक ध्यान देना होगा। आगे बढ़कर एग्रोफोरेस्ट्री को प्रमोट करना चाहिए। वैसे छोटी बड़ी सभी यूनिट को एग्रोफोरेस्ट्री का अपना क्षेत्र विकसित करना ही होगा।
क्योंकि हर यूनिट संचालक अब जागरूक हो रहा है कि यदि यूनिट चलाना है, तो लकड़ी उत्पादन की ओर भी ध्यान देना होगा। इस बारे में प्लाई इन्साईट एवं अन्य माध्यमों से जागरूकता फैलाई जा रही है। पौधा रोपण के प्रति प्रोत्साहित किया जा रहा है। एसोसिएशन भी इस में लगातार प्रयास कर रही है। निश्चित ही आने वाले वक्त में इसके सुखद पारिणाम सामने आएंगे।
यूरिया को लेकर भी इन दिनों काफी दिक्कत आ रही है ?
टेक्निकल यूरिया को लेेकर सरकार की अपनी पॉलिसी है, इसे लागू किया जा रहा है। अब यह देखना सरकार का काम है कि किस तरह से यूनिट संचालकों को टेक्नीकल यूरिया मिल सके। टेक्निकल यूरिया का इस्तेमाल कर हम सभी को देशभक्ति का परिचय देना चाहिए। इससे प्लाईवुड की उत्पादन लागत बढ़ेगी। लेकिन यह बढ़ी लागत तो बाजार से ही पूरी होगी। इसलिए टेक्निकल यूरिया का प्रयोग करना चाहिए। सरकार का यदि सपोर्ट रहता है तो हर इंडस्ट्री इसका प्रयोग करेंगी। रेट बढ़ते है, तो इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। अच्छे प्रोडेक्ट की सेल पूरी इंडस्ट्री के लिए अच्छी बात है।
बाजार में डिमांड बहुत अच्छी है। लेकिन यह भी सही है कि अब क्वालिटी प्रोडक्ट की मांग है। ऐसा नहीं हो सकता कि कोई यूनिट संचालक क्वालिटी से समझोैता कर बाजार में रह सकता है। उसे क्वालिटी पर ध्यान देना होगा। क्योंकि जो संचालक क्वालिटी से समझौता नही कर रहे है, उन्हें लकड़ी भी मिलेगी और मार्केट शेयर भी।
क्या यूरिया का विकल्प है ?
काफी जगह फेनोल और मेलामाइन का प्रयोग होने लगा है। जैसे ही कोई दिक्कत आती है तो इसका विकल्प भी आता है। फेनोल आधारित उत्पाद एक विकल्प है। आने वाले समय में फेनाल की उपयोगिता और बढ़ेगी। क्योंकि इसमें यूरिया का इस्तेमाल नहीं होता है।
छोटी गाड़ियों से जीएसटी चोरी रोकने के लिए क्या होना चाहिए ?
कई जगह से यह सुनने में आ रहा है ऐसी कर चोरी चल रही है। लेकिन कौन कर रहा है, कैसे कर पा रहा है, हमें अंदाजा नही है। जहां तक हमारी बात है, हम 100 प्रतिशत इनवॉइस पर काम करते है। वैसे डिपार्टमेंट इस पर रोक लगाने की दिशा में हर संभव काम कर रहा है। बिलों पर 100 प्रतिशत काम होने लग जाए तो सभी के लिए अच्छा है। जीएसटी सरकार को ज्यादा मिलेगा। इससे मार्केट में ग्रोथ भी अच्छी आएगी और विकास भी होगा।
आईएसआई प्रमाणिकता को किस तरह से देखते है ?
इसके लिए BIS को इस ओर ध्यान देना चाहिए। होता यह है कि कोई भी इंडस्ट्री एक बार तो अपना सैंपल पास करा लेती है। लेकिन बाद में लापरवाह हो जाते है। BIS की अनदेखी का लाभ कुछ उत्पादक उठाते रहते है। इसके लिए होना यह चाहिए कि संस्था के अधिकारी नियमित तौर पर उत्पादकों के यहां विजिट करे, जिससे उद्योग में गलत करने वालो में भय बना रहे और उत्पाद की गुणवत्ता बनी रहे।
हम गुणवत्ता को लेकर अपनी प्रयोगशाला का उपयोग हमेशा करते रहते है और आईएसआई प्रमाणीत माल बनाने पर अपना जोर रखते है। क्योेकि हमारी कोशिश यह है कि खरीददार को अच्छी गुणवत्ता का माल मिले। आईएसआई के बारे में और ज्यादा चर्चा होनी चाहिए। क्योंकि यह प्रमाण पत्र सिर्फ नाम का रह गया है, सुनिश्चित क्वालिटी को बनाए रखने के लिए इसमें कोई ठोस कठोर प्रावधान नहीं हैं। प्रत्येक लायसेंस धारी उत्पादक को अपनी गुणवत्ता BIS के मुताबिक रखने के लिए स्वयं ही मेहनत करनी होती है।
आप अपना होल्ड किस एरिया को मानते है, आगे कहां तक जाने की योजना है ?
हमारा होल्ड यूपी और उत्तरांचल में है। हम अब बिहार में भी काम कर रहे हैं। लेमिनेट हम साउथ में भी काफी बेच रहे है। लेमिनेट का मार्केट हमारा काफी अच्छा है। कैलिब्रेटेड प्रोडेक्ट पर ज्यादा काम कर रहे हैं। हमारी वाटरप्रूफ रेंज कैलिब्रेटेड है। यह भी मान कर चल रहे है कि कैलिब्रेटेड का भविष्य काफी अच्छा है। आने वाले समय में इसकी डिमांड बढ़ेगी इसलिए इस पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। अभी हम जम्मू में अपना मार्केट देख रहे हैं इसी तरह से पंजाब में भी देख रहे हैं। यहां हमें डिस्ट्रीब्यूटर की जरूरत है। एमपी में भी इसी तरह की योजना है।
हमारे पास,एचडीएमआर प्लाईवुड लेमिनेट समेत कई प्रोडक्ट्स रेंज है। इसलिए हम अपने डिस्ट्रीब्यूटर को कई तरह के प्रोडेक्ट उपलब्ध करा पा रहे हैं। हमारी कंपनी के पास प्रोडक्ट की लंबी रेंज है। इसे हम अपने डिस्ट्रीब्यूटर को दे रहे हैं। हम क्यू आर कोड पर भी काम कर रहे हैं। इसके आने से डिजिटल स्टैंपिंग होगी। इससे ग्राहक को विश्वास होगा कि वह जो खरीद रहा है वह सही प्रोडक्ट है।