Unsubsidized Urea will see a price hike
- अक्टूबर 4, 2022
- 0
Unsubsidized Urea will see a price hike
Domestic prices of natural gas were raised by 40 per cent to record levels.
The decision, taken during the government’s biannual exercise of fixing the rate for the next six months, took effect on October 1.
Industry insiders expect a 10-15 per cent increase in pooled gas prices for the fertilizer sector.
This is also expected to push up the cost of producing urea because gas prices account for 80-85 per cent of the raw material cost of producing urea.
The fertilizer sector uses pooled gas, which comprises domestic gas and imported liquefied natural gas (LNG). The pooled gas price in August 2022 was around $25 Million metric BTU (MMBTU) and has jumped by almost three times in less than two years.
This, in turn, is expected to raise the government’s fertilizer subsidy bill. According to the last projections, the central fertilizer bill was estimate to have swelled to around Rs2.3 trillion as against the budgeted Rs1.05 trillion.
The balance sheets of fertilizer companies are already under strain owing to rising input costs. The only saving grace is that in the case of gas almost all of the increase adds to the government’s subsidy bill.
Ply & panel Industry may get a major setback on the urea price. More over strictness from government is very much apprehensive.
सब्सीडी रहित यूरिया की कीमत तेज होने की आशंका
घरेलू गैस की कीमत 40 फीसदी बढ़कर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई।
अगले 6 माह के लिए दरें तय करने के लिए सरकार की अर्द्धवार्षिक कवायद में लिया गया निर्णय 1 अक्तूबर से प्रभावी हो गया।
नतीजतन, उद्योग के अंदरूनी सूत्रों को उम्मीद है कि उर्वरक क्षेत्र में पूल्ड गैस की कीमतों में 10-15 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है।
इससे यूरिया के उत्पादन की लागत भी बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि गैस की कीमतें यूरिया उत्पादन के लिए कच्चे माल की लागत का करीब 80-85 फीसदी है।
उर्वरक क्षेत्र पूल गैस का उपयोग करता है जिसमें घरेलू गैस और आयातित एलएनजी शामिल है। अगस्त 2022 तक पूल्ड गैस की कीमत करीब 25 एमएमबीटीयू डॉलर है, जो पिछले दो वर्षों से भी कम समय में लगभग तीन गुना बढ़ गई है।
इसके बदले में उम्मीद की जा रही है सरकार के उर्वरक बिल में बढ़ोतरी होगी। पिछले अनुमानों के अनुसार, केंद्रीय उर्वरक बिल 105,222 करोड़ रूपये के बजट की तुलना में बढ़कर 230,000 करोड़ रूपये होने का अनुमान लगाया गया था।
बढ़ती लागत के कारण उर्वरक कंपनियों की बैलेंस शीट पहले से ही दबाव में है। गैस के मामले में एकमात्र बचत अनूग्रह यह है कि लगभग सभी वृद्धि सरकार की सब्सिडी बिल में जुड़ जाती है।
प्लाई और पेनल उद्योग को फिर से झटका लगने का खतरा बढ़ गया है। वहीं सरकार की और से अधिक सख्ती बढ़ने की आशंका बढ़ गई है।
[/vc_column_text][/vc_column][/vc_row]