India is in a better position to celebrate its liquidity levels without abruptly stalling growth, even as healthy revenue buoyancy is expected to continue for the rest of the year and the touch services sectors rebound. However, downside risks will persist as the coming winter in Europe may lead to more geopolitical flare-ups. These are the key takeaways from the latest monthly Economic report (for August), released by the finance ministry.

Downside risks to growth will persist insofar as India is integrated with the rest of the world. As Russia cuts off energy supply to mainland Europe ahead of winter, heightened international focus on energy security in advanced nations could elevate geopolitical tensions, testing India’s astute handling of its energy needs so far, the report, drafted by the economic division of the ministry, said.

“In these uncertain times, it may not be possible to remain satisfied and sit back for long periods. Eternal macroeconomic vigilance is the price for stability and sustained growth,” it said.



“In these uncertain times, it may not be possible to remain satisfied and sit back for long periods. Eternal macroeconomic vigilance is the price for stability and sustained growth,”



Gross domestic product (GDP) growth for the April–June quarter (Q1FY23) came in at 13.5 per cent, lower than estimates of the Reserve Bank of India and independent analysts, and prompting a slew of FY23 GDP forecast cuts by various banks and agencies.

However, India is still poised to be the fastest growing major economy this year. India’s retail inflation rate reversed its three-month downward trend in August, rising to 7 per cent from 6.7 per cent in the previous month, driven by a surge in food prices. This could put pressure on the central bank to further hike policy rates later this month.

he report said that a sharply rebounding private consumption backed by soaring consumer sentiments and rising employment will sustain growth in the months ahead, while the investment scenario looks healthy with an increase in private consumption and higher capacity utilization in the current year.

Government’s spending on capital expenditure is likely to be sustained as buoyancy in revenue growth is expected to remain undiminished in the balance period of the current year, it said.

The report said India’s external sector indicators were strong, with it being the fifth largest recipient of foreign direct investment inflows as of the end of March quarter. “Forex reserves were the third largest as compared to other economies, adequate to cover nine months of imports, which is higher than most of the other economies,” it said.



राजस्व में तेजी बने रहने की उम्मीद


भारत नकदी का स्तर बढ़ाने को लेकर बेहतर स्थिति में है, जिससे वृद्धि में कोई व्यवधान नहीं आएगा। साथ ही साल के शेष महीने में राजस्व संग्रह में तेजी बने रहने की संभावना है। संपर्क वाली सेवाओं में भी तेजी आने की उम्मीद है। बहरहाल यूरोप में आने वाले जाड़े के मौसम में गिरावट का जोखिम है, जिसका असर अन्य भौगोलिक इलाकों पर भी पड़ सकता है। वित्त मंत्रालय की ओर से जारी हाल के मासिक आर्थिक रिपोर्ट (अगस्त के लिए) से यह अहम निष्कर्ष निकलकर आया है।

रिपोर्ट में कहा गया है, भारत पूरी दुनिया से जुड़ा हुआ है, ऐसे में वृद्धि कम होने का जोखिम है। जाड़े के मौसम के पहले रूस ने यूरोप के प्रमुख इलाके में ऊर्जा की कटौती कर दी है। मंत्रालय ने कहा है कि इससे विकसित देशों का ऊर्जा सुरक्षा पर ध्यान बढ़ा है और इससे भूराजनीतिक तनाव बढ़ सकता है, जो भारत की ऊर्जा जरूरतों के लिए परीक्षा का वक्त है।

इसमें कहा गया है कि ‘‘इस अनिश्चित दौर में यह संभव नहीं होगा कि संतुष्ट रहा जाए और लंबे वक्त तक बैठे रहा जाए। स्थिरता और टिकाऊ विकास के लिए वृहद आर्थिक स्थिति पर नजर रखनी होगी।”



‘‘इस अनिष्चित दौर में यह संभव नहीं होगा कि संतुष्ट रहा जाए और लंबे वक्त तक बैठे रहा जाए। स्थिरता और टिकाऊ विकास के लिए वृहद आर्थिक स्थिति पर नजर रखनी होगी।’’



वित्त वर्ष 23 की अप्रैल-जून तिमाही के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 13.5 प्रतिशत रही है, जो भारतीय रिजर्व बैंक और स्वतंत्र विश्लेषकों के अनुमान से कम रहा है। इसकी वजह से वित्त वर्ष 23 के वृद्धि अनुमान में तमाम बैंकों व एजेंसियों ने कटौती कर दी है।
बहरहाल भारत अभी भी इस साल प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ है। भारत में खुदरा महंगाई दर 3 महीने से कम हो रही थी, जो अगस्त में पहले के महीनें 6.7 प्रतिशत से बढ़कर 7 प्रतिशत हो गई है। इससे इस माह के आखिर में रिजर्व बैंक पर नीतिगत दरों में और बढोतरी का दबाव पड़ सकता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि बढ़ती उपभोक्ता भावनाओं और बढ़ते रोजगार के कारण निजी खपत में तेज उछाल आने वाले महीनों में विकास को बनाए रखेगा, जबकि निजी खपत में वृद्धि और चालू वर्ष में उच्च क्षमता उपयोग के साथ निवेश परिदृश्य स्वस्थ दिखता है।

इसमें कहा गया है कि पूंजीगत व्यय पर सरकार का खर्च बरकरार रहने की संभावना है क्योंकि चालू वर्ष की शेष अवधि में राजस्व वृद्धि में उछाल कम रहने की उम्मीद है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत के बाहरी क्षेत्र के संकेत मजबूत थे और मार्च तिमाही के अंत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पाने के मामले में यह पांचवें स्थान पर रहा है। इससे कहा गया है, ‘भारत का विदेशी मुद्रा का भंडार अन्य अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में तीसरा सबसे बड़ा भंडार है। यह 9 महीने के आयात के लिए पर्याप्त है, जो अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में ज्यादा है।’