This is supposed to be the busiest season for containerships ferrying goods from Asia to the US, as retailers stock up, first for the “back-to-school” shopping, and then for the upcoming holiday season.

However, freights rates have been falling, and on many routes, they have halved from their 52- week highs. Given that shipping capacity has not yet expanded meaningfully (that should start over the next year), this implies very weak freight demand.

Easing of global Supply-chain pressures is a positive development, but for a few quarters, it could intensify the order weakness for Asian exporters by prompting de-stocking.

The “inter-arrival period” is the most important variable for firms calculating how much inventory to keep. For example, if the truck/ship comes once a week, there should be enough inventory to meet at least a week of sales. As shipping lead doubled the inventory they hold, which becomes unnecessary once lead time normalise.

Recall that the global goods demand is already well below trend due to weakness in China and Europe. Europe’s trade balance in the June quarter was nearly 5 per cent of gross domestic product (GDP) worse than the pre-Covid average, and goods imports are likely to weaken meaningfully going forward, due to either a weak euro, or higher interest rates.

China’s retail sales are now two-thirds as large as that of the US (even though much lower on a per capita basis), and even before Coved-driven lockdowns disrupted sales and weakened consumer sentiment, growth had been slowing visibly.

Analysts are cutting growth forecasts for various end-markets. A downward lash of the supply-chain bullwhip is likely to trigger the next leg of the correction-weaker prices. Lower factory utilization forces firms to jostle for market share with price documents.

Supply disruptions, like in Europe due to the energy crunch and in China due to lockdowns (though this has had limited impact thus far), may be too small to offset the fall in apparent demand.

Can these price declines allow a quick reversal of the direction of monetary policy from aggressive tightening to some form of easing? For a few quarters at least, that appears unlikely.


वैश्विक मांग में धीमापन आगे मुश्किल हालात


यह प्रायः एशिया से वस्तुओं को अमेरिका भेजे जाने का सबसे व्यस्त मौसम है। यही वह समय है जब कंटेनरशिप माल लेकर आवाजाही करते हैं और इस बीच खुदरा कारोबारी भी कारोबार की तैयारी में लग जाते हैं। हालांकि माल ढुलाई के किराये में गिरावट आ रही है और कई मार्गो पर यह 52 सप्ताह के उच्चतम स्तर से आधा रह गया है। चूंकि नौवहन क्षमता में समुचित विस्तार नहीं हुआ है। तो इसका अर्थ यही है कि मालवहन की मांग कमजोर रही है।

वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में दबाव कम होना एक सकारात्मक बात है लेकिन कुछ तिमाहियों तक यह एशियाई निर्यातकों की ऑर्डर की कमजोरी की वजह बन सकता है।

कितना इन्वेंटरी बनाकर रखनी है यह आकलन करने के लिए सबसे अहम कारक होता है कि किसी कंपनी में एक खास समय में औसतन कितने ट्रक आ रहे हैं। उदाहरण के लिए अगर ट्रक या पोत सप्ताह में एक बार आता है तो एक सप्ताह की बिक्री के लिए पर्याप्त भंडार होना चाहिए। अगर यह समय दोगुना हो जाता है तो आपूर्ति श्रृंखला में इन्वेंटरी दोगुनी हो जाएगी। एक बार लीड टाइम के सामान्य हो जाने पर यह अनावश्यक हो जाएगा।

यह याद रखें कि चीन और यूरोप की कमजोरी के चलते वैश्विक वस्तुओं की मांग पहले ही कमजोर है। यूरोप का व्यापार संतुलन जून तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद का 5 फीसदी था। जो कोविड के पहले के औसत से कमतर था। कमजोर यूरो या उच्च ब्याज दरों के कारण वस्तु आयात के भी आगे चलकर कमजोर रहने की आशंका है। चीन की खुदरा बिक्री अब अमेरिका की दो-तिहाई है और कोविड के कारण लगे लॉकडाउन द्वारा बिक्री को बाधित करने और उपभोक्ता रूझान कमजोर करने के पहले भी वृद्धि में धीमापन आ रहा था।

ऐसे में अनुमान है कि आगे और गिरावट आ सकती है जो कीमतों में कमी के रूप में नजर आएगी। फैक्ट्रियों का अनुमान से कम उपयोग कंपनियों को मजबूर कर रहा है कि वे कीमतों में कमी के साथ बाजार हिस्सेदारी बरकरार रखें। क्या कीमतों में यह गिरावट मौद्रिक नीति की दिशा को आक्रामक सख्ती से बदल सकता है और उसमें कुछ सहजता आ सकती है? कम से कम कुछ तिमाहियों तक ऐसा होता नहीं दिखता।