Beginning of change in the country’s income tax policy
- मार्च 14, 2023
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This time’s budget is a document of the government’s new thoughts. This is now going to wreak havoc in the financial life of common Indians. India’s income tax policy is taking a new turn. The government has hinted at decreasing the tax incentives on savings and eventually shutting them down. Now pay tax on low rate and make arrangements for future security (pension-insurance-savings) yourself. Banks and insurance companies have also been shocked by this.
There was no increase in the tax incentive on savings. Tax exemption not increased on bank deposit interest. Expensive insurance is taxed. Concession has been increased in the new income tax scheme. Home loans have become costlier. Tax concession on interest also did not increase to support the demand for houses.
Budget figures show that the use of retrenchment of concessions seems to be successful in the case of companies. Like common taxpayers, there were two options for companies as well. An increasing number of companies are opting for the low tax-less exemption option. In 2020-21, 61 percent of the income tax return of the companies is in the new tax scheme, in which the tax rates are low, the concessions are negligible.
The same recipe will apply to common taxpayers. Last year, the government lost revenue of about Rs 1.84 lakh crore on concessions in personal income tax, which is Rs 15,000 crore more than the concessions given to companies. The biggest part is the exemption on savings (80-C).
Savings in India are focused on two types of incentives. The first is small savings schemes, where interest is higher than bank deposits. The second part is the middle class, which saves in return for tax concessions. Now that the stimulus is over, savings will become more difficult. Especially if essential security investments like life insurance and health insurance are reduced, the future of families will be in jeopardy. The biggest confusion is that pension culture has not yet come in India, who will encourage it?
Social security i.e. savings insurance, pension and tax on earnings are correlated. After the Second World War, some of governments provide social security at their own expense, for which they levy taxes, or countries such as India, where people are encouraged to insure-save through tax concessions and high interest on savings. There is no such thing as universal pension or healthcare in India right now. Income growth has stagnated, living costs are rising and incentives to save are waning.
देश की आयकर नीति में बदलाव का आगाज
इस बार का बजट सरकार की नई सोच का दस्तावेज है। यह अब आम भारतीयों की वित्तीय जिंदगी में उलटफेर करने वाला है। भारत की आयकर नीति नई करवट ले रही है। सरकार ने बचतों पर टैक्स प्रोत्साहन न बढ़ाने और अंततः इन्हें बंद कर देने का इशारा कर दिया है। अब कम दर पर टैक्स चुकाइए और भविष्य की सुरक्षा (पेंशन-बीमा-बचत) का इंतजाम खुद करिए। इस से बैंक व बीमा कंपनियां भी चौंक गए हैं।
बचतों पर टैक्स प्रोत्साहन में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई। बैंक जमा के ब्याज पर टैक्स छूट नहीं बढ़ी। महंगे बीमा पर टैक्स लगा दिया गया। नई इनकम टैक्स स्कीम में रियायत बढ़ाई गई। होम लोन महंगे हुए हैं। मकानों की मांग को सहारा देने के लिए ब्याज पर टैक्स रियायत भी नहीं बढ़ी।
बजट के आंकड़े बताते हैं कि रियायतों की छंटनी का प्रयोग कंपनियों के मामले में सफल होता दिख रहा है। आम करदाताओं की तरह कंपनियों के लिए भी दो विकल्प थे। कम टैक्स-कम रियायत वाला विकल्प आजमाने वाली कंपनियों की संख्या बढ़ रही है। 2020-21 में कंपनियों के रिटर्न की 61 प्रतिशत आय नई टैक्स स्कीम में है, जिसमें टैक्स दरें कम हैं, रियायतें नगण्य।
यही नुस्खा अब आम करदाताओं पर लागू होगा। निजी आयकर में रियायतों पर बीते बरस सरकार ने करीब 1.84 लाख करोड़ का राजस्व गंवाया, जो कंपनियों को मिलने वाली रियायतों से 15,000 करोड़ रूपए ज्यादा है। सबसे बड़ा हिस्सा बचतों पर छूट (80-सी) का है।
भारत में बचतें दो तरह के प्रोत्साहनों पर केंद्रीत हैं। पहला छोटी बचत स्कीमें हैं, जहां बैंक डिपॉजिट से ज्यादा ब्याज मिलता है। दूसरा हिस्सा मध्यवर्ग है, जो टैक्स रियायत के बदले बचत करता है। अब प्रोत्साहन खत्म होने के बाद बचतें और मुश्किल होती जाएंगी। खासतौर पर जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा जैसा अनिवार्य सुरक्षा निवेश घटा तो परिवारों का भविष्य संकट में होगा। सबसे बड़ी उलझन यह है कि भारत में पेंशन संस्कृति आई ही नहीं है, उसे कौन प्रोत्साहित करेगा?
सोशल सिक्योरिटी यानी बचत बीमा, पेंशन और कमाई पर टैक्स हमजोली हैं। दूसरे विश्व युद्ध के बाद वे सरकारें हैं जो अपने खर्च पर सामाजिक सुरक्षा देती हैं, जिसके लिए वे टैक्स लगाती हैं या फिर भारत जैसे देश हैं, जहां टैक्स में रियायत और बचत पर ऊंचे ब्याज के जरिए लोगों को बीमा-बचत के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। भारत में अभी यूनिवर्सल पेंशन या हेल्थकेयर जैसा कुछ नहीं है। आय में बढ़त रूकी हैं, जिंदगी महंगी होती जा रही है और बचत के लिए प्रोत्साहन खत्म हो रहे हैं।
Neeraj Garg