Government of India is moving towards discipline and technology dependence
- मई 20, 2023
- 0
What is your opinion on present market scenario
When the price of wood increases, manufacturers of cheaper plywood from other states get the advantage to dominate the market. It’s happening so these days. Due to the increase in cost of wood in North India, manufacturers of plywood from Nepal and Bihar have started showing their presence in this market. Hence manufacturers in this region are under pressure. Until the prices of wood comes down, manufacturers in this region will not be able to find solutions to their problems.
Various Alternatives are replacing plywood in the market.
This is a big change. Whole system of the market is changing. Share of MDF and particle boards in the market is increasing. Manufacturers of these are continuously increasing. But all manufacturers are not able to focus fully on quality. Making of MDF and PB requires expert techniques and skilled labor. In spite of this MDF and particle board has all the possibilities of increasing it’s market share. Because it is being felt that the demand for quality plywood has reduced comparatively. If plywood manufacturers are able to change their methods on the basis of these changes, plywood demand may remain stable.
Considering today’s market situation, where does the plywood industry stand?
If the demand for plywood keeps on reducing then smaller units will face most problems. They will have no alternative but to close down their units, provided they find a way out before the time runs out. Nowadays plywood rates are either equal to or lower than the manufacturing cost. Due to this the balance of manufacturing cost and price of plywood is getting disturbed. Those manufacturers who are unable to face the losses will remain perplexed. Many units have already started to shut down. Main reason for this may be is that a large number of manufacturers have not focused on manufacturing quality plywood. This has resulted in loss of faith in plywood by those customers who desire quality plywood and are willing to pay more. Such Consumers are speedily attracted towards plywood alternatives.
But still the demand seems to be stable?
Now the market is divided into two parts and it’s visible clearly. One is the middle segment manufacturers who make plywood of higher quality. Second are those who believe in high production, and they have been successful on it. But most of such manufacturers were not able to control their production process. Although they have been successful in reducing manufacturing costs. It is a simple calculation that those who can buy large quantities of raw material at lower cost are successful in producing cheaper plywood. Due to this they are able to sell cheaper plywood successfully in the market.
Cheaper goods are in demand in the market?
There is separate market for such type of products. For example packaging industry requires this in huge quantities. Along with this cheaper furniture manufacturers also use cheaper plywoods. Even this market is huge. Buyers of these furniture belong to a special category. Some have comparatively lower income and others want cheaper furniture for a shorter period of time. They have a clear goal : they want cheap furniture. Second category wants quality without compromising. They are willing to pay more. Such consumers belongs in the market not less than 40%.
What is the present situation of imported face veneer?
Rate fluctuations of imports from Gabon are not much. Container cost has reduced marginally from 2500 to 2000 dollars. Freight from China and Indonesia, which had increased from 1800 to 7000, has now come back to 1000 to 1500 dollars. This is significant. This lowering of freight from China and Indonesia has made imports of MDF etc. attractive. Such imports which had once stopped have already started again or are in the process of being imported.
Nowadays Industry is facing more legal challenges.
Legal complexities are actually reducing after the GST. There have been many benefits due to GST. Billing is done with 18% GST. This system has solved the basic problem.
Still there are tax evasions?
Possibility of some people still doing so but the government is becoming more strict and technology dependent. In the last few days many raids have been conducted in UP. E-way bills which are being can celed are mostly happening for goods which could be transported within 24 hours. Investigation on this is proceeding. Aadhar and PAN card linkage is a big step towards this.
There are many ways to catch tax evasions. Toll tax is on the top, every vehicle passing through the toll gets is tracked. Therefore if the tax evaders think that nothing will happen, it is actually a temporary thought; everybody is under technical surveillance which will become visible some day.
But why is GST revenue increasing continuously?
Before GST, excise tax and sales tax together constituted 28 to 30%, still the tax revenue was less than the GST. What could be the reasons for the collection of ₹ 1, 60, 000 crore of GST per month, it needs to be understood. Industrialists who are truthfully billing GST is a correct step. We import
100%. After the implementation of GST, We refuse the consumers asking without a bill, even if it means losing some customers. Having a good sleep overnight is better than the stress it causes.
सरकार अब सख्त और तकनीक आश्रित हो रही है।
वत्र्तमान बाजार पर आपकी राय
जब लकड़ी के दाम बढ़ते हैं, तो दूसरे राज्यों सेसस्ता प्लाईवुड बनाने वालों को बाजार में अपना प्रभाव जमाने का मौका मिल जाता है। इन दिनों ऐसा ही हो रहा है। उत्तरी भारत में लकड़ी के दाम बढ़ने से नेपाल और बिहार के प्लाइवुड ने यहां के बाजार में अपनी उपस्थिति दिखानी शुरू कर दी है। जिससे इस क्षेत्र के निर्माता दबाव में आ गए हैं। इसलिए जब तक लकड़ी के दाम कम नहीं होंगे, तब तक इस क्षेत्र की समस्या का समाधान नहीं होगा।
प्लाइवुड के भी कई विकल्प आ रहे हैं
यह बड़ा बदलाव है। बाजार का पूरा सिस्टम बदल रहा है। एमडीएफ और पार्टिकल बोर्ड का प्रयोग बढ़ रहा है। इसे बनाने वाले निर्माता लगातार बढ़ रहे हैं। लेकिन सभी एमडीएफ निर्माता हालांकि अभी गुणवत्ता की ओर अपना पूरा ध्यान नहीं देपा रहे है। इसे बनाने में कुशल तकनीक और कारीगर के दक्ष होने की जरूरत है। फिर भी एमडीएफ और पार्टिकल बोर्ड की मांग लगातार बढ़ते रहने की संभावना है। क्योंकि बाजार में लगातार इस बात को महसूस किया जा रहा है, कि इस वक्त कम से कम क्वालिटी प्लाईवुड की मांग तो अपेक्षाकृत कम हुई है। अब यदि प्लाईवुड निर्माता इन बदलाव को मद्देनजर रखते हुए, अपने तरीकों में बदलाव ला पाते हैं, तो भविष्य में प्लाईवुड की मांग बरकरार रखी जा सकती हैं।
आज के परिप्रेक्ष्य में प्लाईवुड यूनिटों का भविष्य कैसे देखते हैं?
अब यदि प्लाइवुड की मांग कम होगी, तो सबसे ज्यादा समस्या छोटी छोटी यूनिटों को आयेंगी। उनके सामने तात्कालिक तौर पर यूनिट बंद करने के सिवाय कोई चारा नहीं रह जाएगा, बशत्र्ते अगर वो समय रहते बचाव का रास्ता नहीं ढुंढ लेते। इस वक्त प्लाईवुड के रेट उत्पादन लागत के बराबर या कम है। जिससे उत्पादन लागत और कीमत का संतुलन बिगड़ रहा है। जो उद्योगपति अपनी निजी परिस्थिति अनुसार, कम या ज्यादा घाटा उठाने की स्थिति में नहीं होंगे, वो असमंजस में रहेंगे। कई यूनिटों के बंद होने की शुरूआत भी हो चुकी है। इसकी बड़ी वजह हैं, बड़े पैमाने पर निर्माताओं द्वारा प्लाईवुड की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया जाना। इससे हुआ यह कि जो उपभोक्ता अच्छी गुणवत्ता के लिए ज्यादा दाम चुका सकते थे, उनका भी प्लाईवुड से विश्वास कम होता चला गया। वैसे ग्राहक अब प्लाईवुड के विकल्प की ओर जल्दी आकर्षित हो रहेे हैं।
फिर भी माल की मांग तो बरकरार है
अब बाजार दो हिस्सों में बंटता साफ नजर आ रहा है। एक मिडल सेगमेंट वाले वो निर्माता हैं, जो उच्च गुणवत्ता का माल तैयार कर रहे हैं। दूसरे वह है, जो ज्यादा मात्रा में माल तैयार करने में विश्वास रखते हैं। इसमें वो सफल भी हुए। लेकिन ऐसे अधिकतर लोग अपनी उत्पादन प्रक्रिया को नियंत्रित नहीं कर पाए। लेकिन निश्चित रूप से इससे उनकी उत्पादन लागत कम हुई। यानी कि सीधा गणित है, सस्ता माल तैयार करने वाले, जो बहुत ज्यादा मात्रा में सस्तेदाम पर कच्चा माल खरीदते हैं, वह अपनी उत्पादन लागत को कम करने सक्षम हो जाते हैं। और इसलिए बाजार में सस्ता माल उपलब्ध करवाने में सफल हो रहे हैं।
बाजार में सस्ते माल की मांग अधिक है
इस तरह के माल का एक अलग ही बाजार है। मसलन पैकिंग में यह बड़ी मात्रा में प्रयोग होता है। इसके साथ साथ सस्ता फर्नीचर तैयार करने वाले भी कम गुणवत्ता की प्लाई का इस्तेमाल करते है। इनका बाजार भी बड़ा है। इसके खरीददार भी एक श्रेणी विशेष है। कुछ की आय अपेक्षाकृत कम है। और कुछ एक, फर्नीचर को लंबे समय तक नहीं रखना चाहते। वह सस्ते फर्नीचर को खरीदते हैं। उनका लक्ष्य साफ है, उन्हें सस्ता चाहिए। दूसरा वर्ग वह है जो क्वालिटी से समझौता नहीं करते। वह इसके लिए ज्यादा दाम चुकाने के लिए भी तैयार रहते हैं। इस तरह के ग्राहक भी बाजार में कम से कम 40 प्रतिशत तक हैं।
फेस आयात को लेकर इन दिनों क्या स्थिति है
गेबान से आयात के माल में रेट का ज्यादा उतार चढाव नहीं आया है। फ्रेट जो पहले 25 सौ डालर था, वो अब कम होकर दो हजार डॉलर हो गया है। साउथ अफ्रीका से रेट में कोई ज्यादा अंतर नहीं आया है। चीन और इंडोनेशिया आदि में जो कि राया एक समय 18 सौ डालर से सात हजार डॉलर तक पहुंच गया था, अब 10-15 सौ डालर तक वापस आ गया। वहां फर्क दिख रहा है। जिसकी वजह से एमडीएफ आदि का आयात जो एक बार रूक गया था, वह दुबारा से शुरू हो गया है या प्रक्रिया में है।
उद्योग में इन दिनों कानूनी पेचीदगी बढ़ रही है?
कानूनी जटिलता जीएसटी आने के बाद अब कम हो रही है। जीएसटी से बहुत फायदा हुआ है। अब तो सीधा 18 प्रतिशत जीएसटी लगा कर ही बिलिगं होती है। इस व्यवस्था से मलू समस्या ही दूर हो गई है।
अभी भी कर चोरी की घटनाएं हो रही हैं
हो सकता है कुछ लोग अभी भी ऐसा कर रहे हैं। पर सरकार अब काफी सख्त और तकनीक आश्रित हो रही है। यूपी में इसे लेकर पिछले दिनों काफी छापामारी हुई है। ईवेबिल जो कैंसिल हो रहे हैं, वह 24 घंटे में माल की आपूर्ति करने वालों के हो रहे हैं। इनकी जांच चल रही है। आधार और पैन कार्ड को जीएसटी व अन्य सेजोड़ना इस दिशा में बड़ा कदम है।
पकड़नेके कई चरण है, सबसे उपर हैटोल टैक्स, यहां से जो वाहन गुजरता है, जिसकी ट्रैकिंग हो रही है। इसलिए जीएसटी में गड़बड़ी करने वाले यदि यह सोच रहे हैं कि कुछ नहीं होगा, यह सोच तात्कालिक ही है। सभी पर तकनीक द्वारा नजर रखी जा रही है, जो भविष्य में कभी सामने आयेगी।
लेकिन जीएसटी का रेवेन्यू लगातार बढ़ रहा है
एक्साइज और सेल टैक्स को मिला कर पहले 28 से 30 प्रतिशत टैक्स था, लेकिन तब रेवेन्यू कम आता था। इसके बाद जीएसटी 18 प्रतिशत तक कर दिया गया। फिर भी रेवेन्यू बढ़ रहा है। रेवेन्यू अब एक लाख 60 हजार करोड़ मासिक जुटाया गया, क्यों? यह सोचना होगा? जीएसटी लगना हमारे जैसे उद्योगपति जो ईमानदारी से काम कर रहे हैं, उनके लिए बहुत ही सही कदम है। हम तो 100 प्रतिशत आयात कर रहे हैं। जब से जीएसटी लगा है, बिना बिल के माल की आपूर्ति नहीं कर रहे हैं। यदि कोई आग्रह भी करता है तो उसे साफ मना कर देते हैं। हालांकि कुछ ग्राहक हमें खोने पड़ते हैं लेकिन चैन की नींद तो ले पाते हैं।