A nationwide crackdown by the Goods and Services Tax authorities uncovered tax evasion to the tune of Rs 30,000 crore, allegedly carried out via stolen identities including as many as 18,000 Permanent Account Number (PAN) and Aadhaar cards.

The identities of beneficiaries of PM Kisan and other social security schemes were allegedly used to operate 4,000 shell companies and 16,000 fake GST registrations.

The GST authorities launched the two-month anti-evasion exercise on May 16.

The GST authorities have roped in other agencies including the Income Tax department, Enforcement Directorate and the ministry of corporate affairs, which are initiating separate actions against the individuals and firms involved in view of the organised nature evasion spread across 16 states.

Tax authorities have carried out searches at multiple locations.

These shell companies were used to generate fake bills, which were then sold to various companies to claim input tax credit. Three separate teams worked in a multi-state operation to create shell companies from stolen identities, generate fake e-way bills or fake invoices and supply invoices to companies that required them.

In some cases people had been made directors of the companies without their knowledge, which came to light after they received tax notices at their address. Authorities will soon send notices to companies that availed these fake invoices to claim input tax credit.

Gujarat state GST officials had first detected a fake invoice racket using stolen IDs at Bhavnagar and Surat following which a nationwide drive was launched. Similar operations were subsequently conducted in Uttar Pradesh, Madhya Pradesh, Rajasthan, Delhi, Maharashtra, Kerala, Punjab and Haryana.

The officers had been instructed to use documentary evidence before search and to take care that genuine businesses are not “harassed.”


30,000 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी


एक राष्ट्रव्यापी कार्रवाई में जीएसटी अधिकारियों द्वारा कुछ ऐसे तथ्यों का पता चला है, जिनमें 30,000 करोड़ रुपये के लगभग अवैध कर चोरी की जा रही थी, जिसमें चोरी की गई 18,000 स्थायी खाता नंबर (पैन) और आधार कार्ड जैसे पहचानों का इस्तेमाल किया जा रहा था।

आरोपों के अनुसार प्रधानमंत्री किसान और अन्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लाभार्थियों की पहचानें 4,000 खोखली कंपनियों और 16,000 नकली जीएसटी पंजीकरणों को चलाने के लिए इस्तेमाल की जाती थीं।

जीएसटी अधिकारियों ने 16 मई को दो महीने की अपराध प्रतिरोध अभियान की शुरुआत की है।

जीएसटी अधिकारियों ने आयकर विभाग, प्रवर्तन निदेशालय और कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय जैसे अन्य एजेंसियों को भी इसमें शामिल किया है, जो व्यक्तियों और कंपनियों के खिलाफ अलग-अलग कार्रवाई की शुरुआत कर रहे हैं, क्योंकि यह अपराध संगठित तरीके से 16 राज्यों में फैला हुआ है।

कर अधिकारियों ने कई स्थानों पर तलाशी कार्रवाई भी की है।

इन तीन खोखली कंपनियों का उपयोग नकली बिल उत्पन्न करने के लिए किया जाता था, जिन्हें फिर विभिन्न कंपनियों को बेचा जाता था ताकि वे इनपुट कर क्रेडिट का दावा कर सकें। चोरी की गई पहचानों से खोखली कंपनियों को बनाने, नकली ई-वे बिल या नकली चालान उत्पन्न करने और उन चालानों को कंपनियों को आपूर्ति करने के लिए तेयार करने के लिए तीन अलग-अलग टीमें कई राज्यों में एक साथ काम कर रही थी।

कुछ मामलों में लोगों को उनकी जानकारी के बगैर भी कंपनियों के निदेशक बना दिया गया था, जो उन्हें उनके पते पर कर नोटिस प्राप्त होने के बाद पता चला। अधिकारी जल्द ही उन कंपनियों को नोटिस भेजेंगे जिन्होंने इन नकली चालानों का लाभ उठाने के लिए इनका इस्तेमाल किया था।

गुजरात राज्य के जीएसटी अधिकारियों ने पहले भावनगर और सूरत में चोरी की गई पहचानों का उपयोग करके नकली चालान चलाने की एक जालसाजी का पता लगाया, जिसके बाद एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया गया। उसके बाद उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, महाराष्ट्र, केरल, पंजाब और हरियाणा में भी समान प्रक्रियाएं आयोजित की गईं।

अधिकारियों को सर्च से पहले प्रमाणिक दस्तावेज़ीकरण का उपयोग करने के निर्देश दिए गए हैं और सावधान रहने का निर्देश दिया गया है ताकि ईमानदार व्यापारी को दिक्क्त ना आए।