The Indian banking system is well capitalized and capable of absorbing macroeconomic shocks, a stress test conducted by the central bank shows.

In its annual edition of the financial stability report, RBI has noted that in case the macroeconomic environment worsens to a severe stress scenario, the bad loan ratio of banks may rise to 5.1% from 3.9% in March 2023.

As per the stress test results, the bad loan ratio of all banks may improve to 3.6% by March 2024 under the baseline scenario.

“Stress test results reveal that schedule commercial banks are well capitalized and capable of absorbing macroeconomic shocks over a one-year horizon even in the absence of any further capital infusion,” the central bank said.

The asset quality of banks have continued to improve and their gross bad loan ration declined to 3.9 percent in March 2023 – a 10-year low. The net non-performing asset ratio also improved to 1 percent, a level last observed in June 2011, indication of active and deep provisioning, the central bank said.

“None of the 46 scheduled banks would breach the minimum capital requirement of 9 percent in the next one year, even in a severely stressed satiation, although 7 banks may fall short of the minimum capital inclusive of the capital conservation buffer (CCB),” the central banks notes in the report.

The banking regulator has also warned that high inflation along warned that high inflation along with rise in interest rates can have severe impact on borrowers repayment capacity.

“High inflation coupled with rise in borrowing costs adversely impacts finances of household and their loan repayment capacity, which can have implications for lending banks,” the RBI noted.

“Identifying different measures of risks using individual home loan data it is found that a twin shock in the form of a simultaneous increase in inflation and lending rates can put even households with sustainable repayment capacity at risk and double the loans-at-risk.”


बैंक सुक्ष्म झटकें को सहन करने में समर्थ


भारतीय बैंकिंग प्रणाली की वित्तीय स्थिति मजबूत है और सुक्ष्मआर्थिक झटके को सहन करने की क्षमता रखती है, केंद्रीय बैंक द्वारा आयोजित एक तनाव परिक्षण में कहा गया।

वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के वार्षिक संस्करण में, RBI ने दर्ज किया है कि यदि मैक्रोआर्थिक वातावरण गंभीर स्थिति में बिगड़ता है, तो बैंकों के बुरे ऋण अनुपात मार्च 2023 के 3.9 प्र्रतिशत से 5.1 प्रतिशत तक बढ़ सकता है।

स्ट्रेस टेस्ट के परिणाम के अनुसार, मार्च 2024 तक सभी बैंकों के बुरे ऋण अनुपात मूल रूप से 3.6 प्रतिशत तक सुधर सकता है।

‘‘स्टेªस टेस्ट के परिणाम साबित करते हैं कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक मैक्रोआर्थिक झटके को एक वर्ष की अवधि में सहन करने की क्षमता रखते हैं, किसी और पूंजी निवेश के बिना भी‘‘ केंद्रीय बैंक ने कहा।

बैंकों की संपत्ति गुणवत्ता में सुधार जारी है और मार्च 2023 में उनका सकल बुरा ऋण अनुपात 3.9 प्रतिशत तक कम हो गया है – यह 10 वर्षीय न्यूनतम है। नेट गैर-संपादनीय संपत्ति अनुपात भी 1 प्रतिशत तक सुधार गया है, जो जून 2011 में अंतिम बार देखा गया था, इससे सक्रिय और गहरे प्रावधान का निश्चित संकेत मिलता है, केंद्रीय बैंक ने कहा।

‘‘46 अनुसूचित बैंकों में से कोई भी अगले एक वर्ष में 9 प्रतिशत की न्यूनतम पूंजी आवश्यकता का उल्लंघन नहीं करेगा, यहां तक ​​कि गंभीर तनावग्रस्त स्थिति में भी, हालांकि 7 बैंक मिनिमम पूंजी संरक्षण बफर (सीसीबी) सहित कमी महसूस कर सकते हैं,‘‘ केंद्रीय बैंक ने रिपोर्ट में संज्ञान लिया है।

बैंकिंग नियामक ने यह भी चेतावनी दी है कि उच्च मुद्रास्फीति और उच्च ब्याज दरें ऋणदारों की अतिरिक्तता पर गंभीर प्रभाव डाल सकती हैं।

‘‘उच्च मुद्रास्फीति के साथ अधिग्रहण लागतों के साथ युग्म रूप में वृद्धि ऋणादारों के वित्त पर नकारात्मक असर डालती है, जिससे घरेलू वित्त और उनकी ऋण चुकती क्षमता पर असर पड़ सकता है, जिससे उधार देने वाले बैंकों पर प्रभाव हो सकता है,‘‘ आरबीआई ने नोट किया।

‘‘वैयक्तिक आवास ऋण डेटा पर विभिन्न जोखिमों का विश्लेषण करके पाया गया है कि महंगाई और ब्याज दरों में इकट्ठी वृद्धि से घरेलु उधारकर्त्ताओं की ऋण भुगतान की क्षमता पर असर डालते हुए ऋण को जोखिम में डाल सकता है।‘‘