भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने फिक्की आईबीए बैंकिंग कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, ‘बैंकों ने ग्राहक जुटाने के लिए नवोन्मेषी और नए तरीकों पर निवेश किया है, वहीं ग्राहकों की शिकायत निपटाने की व्यवस्था पर बहुत कम ध्यान दिया है। जो सेक्टर सेवा क्षेत्र होने को लेकर गर्व करता है, मेरे हिसाब से उसके लिए यह अजीब है।’

साइबर सुरक्षा बढ़ाने और साइबर धोखाधड़ी से बचने की जरूरत पर जोर देते हुए राव ने कहा कि ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी और आंकड़ों की चोरी के मामले बढ़े हैं। उन्होंने कहा कि बैंकों को ग्राहकों की शिकायत को समय से निपटाने की व्यवस्था करने की जरूरत है, न कि तकनीक व उत्पाद की बमबारी करने की।

राव ने कहा, ‘वित्तीय समावेशन, ग्राहकों की पहुंच, उत्पादों के चयन और सुविधा के हिसाब से बैंकिंग का दायरा तेजी से बढ़ा है। बहरहाल ग्राहकों का जोखिम भी बढ़ा है। धोखाधड़ी और आंकड़ों की चोरी के मामले भी तेजी से बढ़े हैं।’

डिप्टी गवर्नर ने आगे कहा कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों में जोखिम बढ़ने पर अगर नियंत्रण नहीं पाया गया तो इसका दूरगामी असर पड़ सकता है।

राव ने कहा कि प्रौद्योगिकी-प्रेरित धोखाधड़ी, जैसे भ्रामक ऐप्स, गोपनीयता उल्लंघन और डीपफेक का उद्भव प्रचलित हो गया है। उन्होंने कहा कि डिजिटल विकास ने गलत बिक्री के एक नए रूप को जन्म दिया है जिसे ‘‘डार्क पैटर्न‘‘ के नाम से जाना जाता है।