बढ़ते जीएसटी संग्रह से सुधार व विकास के लिए मंच तैयार
- जून 12, 2024
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2023-24 के लिए जीएसटी संग्रह आर्थिक गति को दर्शाता है। जो राजकोषीय सुधार के एक महत्वपूर्ण हिस्से को सुव्यवस्थित करने के लिए आधार तैयार करता है। जीएसटी दर तर्कसंगत करने और इसके दायरे को बढ़ाने की दिशा में काम चल रहा है।
किसी भी मोर्चे पर प्रगति से अप्रत्यक्ष कर संग्रह में गैर-रेखीय वृद्धि होगी। यह उत्पादकता में वृद्धि के माध्यम से सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि को भी बढ़ावा देगा। मुख्य रूप से, राजस्व वृद्धि, उत्पादक और उपभोक्ता राज्यों में व्यापक आधार पर रही है, जिससे आगे के सुधार करने में मदद मिलनी चाहिए।
इधर कर प्रशासन में सुधार से संग्रह में बढ़ोतरी जारी है। कर संबंधी मुकदमों की बढ़ती संख्या को कम करने की दिशा में ट्रिब्यूनल काम कर रही है।
मात्र एक दशक के भीतर ही जीएसटी को सही तरह से लागू करना किसी भी देश के लिए कोई छोटी उपलब्धि नहीं है। जीएसटी संग्रह स्थिरता के साथ बढ़ रहा है। कह सकते हैं जीएसटी जल्दबाजी में उठाया गया कदम नहीं है।
भारत ने जीएसटी में शुरुआती परेशानियों को दूर कर लिया है। अब दोहरे कर रेट को शुरूआत में प्रस्तावित स्तर पर लाने की कोशिश करनी चाहिए। जिसे अभी तक हासिल नहीं किया गया हे।
कम से कम, इसे प्रभावी दर के आस पास लाना होगा, जो अभी तक नहीं हुआ है। नए जी एस टी कर की वजह से राज्यों को होने वाले रेवेन्यू नुकसान पर राज्यो ने केंद्र से ज्यादा रकम मांगना छोड़ दिया है।
उन्हें अब राजस्व पर सकारात्मक परिणाम के साथ कई दरों को कम करने पर अपने विचार में तेजी लानी चाहिए। केंद्र को भी अपनी ओर से उपकर लगाने की प्रवृत्ति पर लगाम लगानी होगी। राज्य भी ईंधन पर लगने वाले कर को छोड़ कर इसे जीएसटी के तहत लाने के बारे में सोच सकते हैं। जेट ईंधन से इसकी शुरुआत हो सकती है।
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