पराली जलाने वाले किसानों को फसलों के न्यूनतम समर्थन से बाहर रखने के निर्देश
- जून 13, 2024
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पराली जलाने वाले किसानों को सरकार फसलों के समर्थन मूल्य न देने जैसा कदम उठा सकती है। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट की 2023 सिफारिश का हवाला देते हुए, केंद्र ने इस साल इस दिशा में कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।
इस आशय के पत्र पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान की राज्य सरकारों को भेज दिया गया है। राज्य सरकारों को निर्देश दिया गया कि पराली जलाने वाले किसानों की पहचान करने के लिए टीम का गठन किया जाए। वह सभी उपाय अमल में लाए जाए, जिससे इस तरह की हरकत करने वालों की पहचान की जा सके। केंद्र ने राज्यों के चीफ सेक्रेटरी से इस संबंध में अभी तक की कार्यवाही की रिपोर्ट भी मांगी है।
पराली जलाने में शामिल किसानों के खिलाफ जुर्माना और दंडात्मक कार्रवाई का मुद्दा राजनीतिक रूप से पेचीदा है और 2020-21 के किसान विरोध प्रदर्शनों में उठाए गए प्रमुख मुद्दों में से एक था।
कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में सचिवों की समिति की 10 अप्रैल को हुई बैठक में केंद्र सरकार ने योजना का जायजा लिया, जिसमें इसरो प्रोटोकॉल के माध्यम से पहचाने गए सभी कृषि रिकॉर्ड में ‘रेड एंट्री’ और ऐसे किसानों को “2024-25 से एमएसपी से बाहर रखने को कहा गया है।
यह तथ्य भी सामने आया है कि पराली जलाने के सबसे ज्यादा मामले पंजाब से आते हैं। पंजाब में लगातार धान का रकबा बढ़ रहा है, 2023 में जो 31 लाख हेक्टेयर था, इसके अब बढ़ कर 41 लाख हेक्टेयर तक पहुंचने की उम्मीद है।
इसी तरह, हरियाणा में धान की खेती का रकबा पिछले साल के 14-82 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 15-73 लाख हेक्टेयर होने की संभावना है। इसके परिणामस्वरूप, दोनों राज्यों में धान की पराली भी बढ़ेगी।
केंद्रीय आकलन के अनुसार, पिछले साल, ‘रेड एंट्री’ - जो किसी विशेष किसान को कई तरह के सरकारी लाभों से वंचित करती है - पंजाब में कुल मामलों में से केवल 2-6 प्रतिशत में ही की गई थी। तब सीओएस का मानना था कि पंजाब को हर स्तर पर अब सख्ती बरतने की जरूरत है।
सीओएस की बैठक (17 जनवरी) के बाद एक और पत्र भेजा है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के आदेशों और सीओएस के निर्देशों को लागू करने की मांग की गई है। बताया जाता है कि इस पत्र में राज्य सरकारों से इसरो प्रोटोकॉल के माध्यम से पहचाने गए पराली जलाने के सभी मामलों के लिए कृषि रिकॉर्ड में उचित प्रविष्टि करने को बोला गया है। जिससे 2024-25 से पराली जलाने वाले किसानों को एमएसपी सुविधा से बाहर रखा जा सके।