समावेशी वृद्धि की आवश्यकता
- जुलाई 13, 2024
- 0
देश प्रगति कर रहा है लेकिन हमारा वृद्धि मॉडल टिकाऊ नहीं नजर आता है। कृषि और विनिर्माण क्षेत्र जूझ रहे हैं। सेवा क्षेत्र के कई हिस्से खासकर आईटी से संबद्ध हिस्से जिसमें ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स की बढ़ती तादाद है जरूर बेहतर काम कर रहे हैं। हालांकि, सीमित रोजगार की वजह से बड़ी तादाद में लोग कृषि क्षेत्र में फंसे हुए हैं और असमानता तथा ग्रामीण क्षेत्रों में निराशा बढ़ती जा रही है। भारत उन कारक बाजार सुधारों से बच नहीं सकता है।
देश के श्रम कानूनों की बात करें तो (जैसा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने एक बार कहा था कि) वे श्रमिक विरोधी हैं क्योंकि वे लोगों को काम पर रखने को हतोत्साहित करते हैं। जटिल श्रम कानूनों से बचने के लिए कंपनियां पूंजी पर अधिक ध्यान देती हैं और अनुबंधित दैनिक श्रमिकों से काम लेती हैं। दुनिया में सबसे अधिक दैनिक मजदूर भारत में हैं। हमारा फ्लोर एरिया अनुपात दुनिया में सबसे कम है और हम जमीन का किफायती इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं। हमारे यहां ढेर सारी जमीन गैर किफायती छोटी जोत में फंसी है।
अधोसंरचना सुधरी है लेकिन पेट्रोल और डीजल बहुत महंगा है, उत्पादकों को बिजली महंगी पड़ती है और हमारा रेल माल भाड़ा भी दुनिया में सबसे अधिक है। इससे उत्पादन और वस्तुओं को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाना मुश्किल होता है।
ईंधन को अगर जीएसटी व्यवस्था के 28 फीसदी के उच्चतम स्लैब में भी लाया जाए तो अब की तुलना में इनकी कीमत में कमी आएगी। इससे हम चीन का मुकाबला कर पाएंगे जहां ईंधन हमसे 30 फीसदी सस्ता है।
सेवा क्षेत्र की भांति देश के जनांकिकीय लाभांश का भी फायदा उठाना होगा।
इसके लिए हमें प्रतिस्पर्धी श्रम, गहन विनिर्माण और निर्यात पर जोर देना होगा।
भारत में हमारी अर्थव्यवस्था अभी भी 19 वीं सदी की प्रशासनिक और विधिक व्यवस्था से संचालित है। ई-सेवाएं और आधार ने कुछ सेवाओं और सब्सिडी की आपूर्ति में मदद की है लेकिन बुनियादी प्रशासनिक ढांचा दिक्कतदेह बना हुआ है। इसके निचले स्तर पर बहुत बड़ी तादाद में कर्मचारी हैं और जटिल नियमन और प्रक्रियाओं के साथ विवेकाधीन शक्तियां भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती हैं। इसमें बदलाव जरूरी है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनैशनल के अनुसार भारत के नागरिकों ने साल 2021 में एशिया में सबसे अधिक रिश्वत दी। यहां रिश्वत का स्तर बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका से भी अधिक रहा।
हमारा भविष्य इस बात पर निर्भर है कि हम आज क्या करते हैं। कुछ लोग कहेंगे ऐसे बड़े सुधार अगले पांच वर्षों में गठबंधन सरकार के कार्यकाल में संभव नहीं होंगे। बहरहाल, अतीत बताता है कि हमने गठबंधन सरकारों के दौर में ही बड़े और साहसी सुधार किए हैं।
👇 Please Note 👇
Thank you for reading our article!
If you don’t received industries updates, News & our daily articles
please Whatsapp your Wapp No. or V Card on 8278298592, your number will be added in our broadcasting list.