पर्यावरण संरक्षण सामाजिक जिम्मेदारी
- जुलाई 15, 2024
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हर साल 5 जून को पर्यावरण की सुरक्षा के लिए जागरूकता करने और पर्यावरण के संरक्षण के उपायों को प्रोत्साहित करने के लिए विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। उद्योग में आदर्श परिस्थितियां निर्मित करने के लिए अब कंपनियां पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी काम कर रही है। प्रदूषण कम से कम हो, इसके लिए कंपनियां खुद को इस तरह से तैयार कर रही है।
जलवायु परिवर्तन और बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर उद्योगों के लिए पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करना जरूरी हो गया है। सामाजिक दायित्व का निर्वाह, लोगों की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण और शेयर धारकों के लिए मूल्यों की स्थापना करना व्यावसायिक रणनीति की आधारशिला है। ये पहल न केवल नवाचार और दक्षता को बढ़ावा देती हैं, बल्कि टिकाउ व्यवस्था के लिए बढ़ती उपभोक्ता और नियामक मांगों को पूरा करने में भी सहायता करती हैं।
जलवायु परिवर्तन के इस दौर में जिम्मेदारी की भावना और सामाजिक दायित्व की पूर्ति के साथ व्यापार करते हुए अपने उपभोक्ताओं को बढ़ाने वाली कंपनियां अपनी नींव को मजबूत करती है।
इस वक्त पूरा विश्व ही कई तरह की पर्यावरण समस्याओं से जूझ रहा है। कंपनियों के लिए यह जरूरी हो जाता है कि वह लंबे समय तक अपने लिए साधन जुटाए। जिससे पर्यावरण पर कम से कम प्रतिकूल असर पड़े और कंपनी की कार्य कुशलता बढ़े।
आज उद्योग के प्रबंधन पर्यावरण प्रभाव को कम करते हुए काम की क्षमता और गुणवत्ता में सुधार करने वाले उपायों को बढ़ावा दे रहे हैं।
संपूर्ण उद्योग जगत की कंपनियां अब बेहतर प्रदर्शन की महत्वता और मान्यता को तो समझ ही रही है। इसके साथ ही अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के उपायों में सुधार करने के साथ साथ उन्हें लागू करते हुए अपनी स्थिति को पुख्ता करने में जुटी हुई है।
विश्व पर्यावरण दिवस उद्योगों से सतत विकास को अपनाने का आह्वान करता है, जिसमें प्रौद्योगिकी क्षेत्र सबसे आगे है।
सतत पहलों ने उद्योग जगत के प्रबंधकों के प्रयासों ने बंजर जमीन को उपजाउ कर दिया है। वह क्षेत्र धरती पर स्वर्ग की तरह नजर आता है। जो हजारों पेड़ों और विविध जैव विविधता का घर बन गया है। हानिकारक रसायनों से मुक्त यह आत्मनिर्भर सामुदायिक वन भूमि का विकास और जैव विविधता संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता का उदाहरण है।
अपने काम को स्थिरता पहलों के साथ जोड़ते हुए पर्यावरण के प्रति जागरूक रहते हुए अपनी प्रतिबद्धता पर जोर देकर, हमारा लक्ष्य नैतिक उपभोग का पर्याय बनना होना चाहिए।