MASTERING IS 303: STRATEGIC INSIGHTS INTO Plywood Testing, Standards, and Industry Impact (Part-6)
- सितम्बर 9, 2024
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- अभिषेक चितलांगिया
- आधा रास्ता तय हुआ, आधा अभी बाकी:
क्यूसीओ मानकों पर हम कह सकते हैं कि निश्चित रूप से CED20 ने काफी मेहनत की है। उद्योग के हित में बहुत सारे ऐसे बदलाव लाए गएं है, जिससे उद्योग अब BIS को व्यवस्थित और आसानी से लागु कर सकता है। आधा रास्ता तय हो गया है। लेकिन आधा रास्ता अभी बाकी है।
ब्लाक बोर्ड के जो मानक है, यदि अच्छी गुणवत्ता की पाईन लकड़ी मिलती है तो मानक आसानी से पूरे हो सकते हैं। लेकिन अच्छी गुणवत्ता की पाइन लकड़ी की उपलब्धता कम होने के साथ-साथ महंगी होती जा रही है।
पूरे देश में कृषि वाणिकी का रकबा घटा है। जिससे लकड़ी महंगी होती जा रही है। उद्योग ने सरकार से बार बार मांग की कि उद्योग को बंजर जमीन दे दी जाए, जिससे इस पर पौधा रोपण कर लकड़ी उगाई जा सके। अभी तक इस दिशा में कोई पहल नहीं हो रही है।
मानक अच्छा प्रयास है, लेकिन कैसे पूरे होंगे इस बात की ओर भी तो ध्यान देना होगा। अभी प्रयोगशाला कम है। हमारे खुद के सैंपल छह माह तक रिपोर्ट के लिए पड़े रहते हैं। सैंपल की संख्या भी कम करनी चाहिए। यह प्राकृतिक उत्पाद है। प्लाइवुड कोई मैडिकल या खाने का उत्पाद नहीं है।
क्यूसीओ लागु होने पर मुश्किलें थोड़ी बढ़ सकती है। बीआईएस के अधिकारियों का व्यवहार भी थोड़ा प्रोफेशनल होना चाहिए। मेरा सुझाव है कि अंतरराष्ट्रीय देशों और एजेंसीयों द्वारा अपनाए गए प्रावधानों को ही मॉडल बना लिया जाए तो समस्या काफी हद तक कम हो सकती है।
जब हम अंतरराष्ट्रीय मानकों की बात कर रहे हैं, तो जाहिर है, कच्चे माल की उपलब्धता और परिस्थितियां का स्तर भी वही होना चाहिए।
हमें ध्यान देना होगा कि किस तरह से इंडस्ट्री को कच्चा माल उपलब्ध रहे। टिकाउ कृषि वानिकी की जरूरत है। लकड़ी का परिवहन आसान होना चाहिए। लकड़ी एक राज्य से दूसरे राज्य तक लाने में खासी परेशानी आती है। इसे दूर करना चाहिए। प्रशासनिक औपचारिकता कम होनी चाहिए।
विदेशों में सलाना दो से चार बार फैक्ट्री आडिट की व्यवस्था है। वही व्यवस्था यहां भी लागु हो जानी चाहिए। इससे उद्योग की परेशानी भी कम होगी और व्यवस्था भी सुचारू रूप रहेगी।
क्योंकि यदि व्यवस्था में बदलाव नहीं किये गये तो अततः उपभोक्ता पर सारा वजन पड़ेगा। जिससे QCO की मूल भावना नष्ट होगी। जैसा चल रहा है, वैसा ही चलता रहेगा।
- सोनू अग्रवाल
सेम्पलिंग एक बहुत खास मुद्दा है। क्योंकि इसमें फंसकर QCO के मुख्य मुद्दे छूप जाते हैं। हमें अपनी क्वालिटी बेहतर करनी है, अंतराष्ट्रीय स्तर की करनी हैै। उसके लिए हमें क्या तकनीकी एडवान्समेंट करनी है, हमारे लिए मुख्य मुद्दा यह होना चाहिए। हमारी दिनचर्चा में QCO के लिए भय नहीं बल्कि सम्मान होना होगा, तभी हम इस फब्व् का सही लाभ ले पाएंगे।
- वैध्यनाथन हरिहरण
- प्रत्येक चार माह में एक ऑडिट काफी रहेगा:
आईएस 303 में पांच अलग अलग श्रेणी है, इन्हें यदि तीन श्रेणी बना दी जाए तो बेहतर होगा।
रेजीन के बैच की जगह, प्रत्येक हॉट प्रेस की प्रत्येक शिफ्ट या दिन के उत्पादन की संख्या (मान लें 1000Pes) को एक बैच माना चाहिए। यह काम को आसान कर देगा।
बीआईएस में सैंपल लेने के लिए युवा आफिसर आ रहे हैं। उन्हें यूनिट की व्यवहारिकता की ज्यादा जानकारी नहीं है। उन्हें जो मानक दिए जाते हैं, वह उसी गाईडलाईन को देखते हैं। लेकिन इससे कई बार स्थिति पेचिदा हो जाती है।
BIS को आकस्मिक सेंपल लेने की व्यवस्था को नकारना चाहिए। फैक्ट्री में तीन या चार आडिट की व्यवस्था होनी चाहिए। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी आडिट तीन या चार होते हैं। फैक्ट्री में जितने भी लायसेंस हों, सभी का एक ही बार में अडिट हो जाना चाहिए। यह व्यवस्था यदि हो जाती है तो इससे उद्योग और BIS के लिए काम करना आसान हो सकता है।
- गजेंद्र सिंह राजपूत
- फ्लश डोर और ब्लाक बोर्ड उद्योग की जान हैः
सैंपल को सिंपल करने की जरूरत है। रेजीन की फैक्टरी टैस्टिंग की प्रक्रिया भी आसान करनी होगी। फ्लश डोर और ब्लाक बोर्ड में जबड़ा उत्पाद उद्योग की जान है। इसके लिए अलग से मानक लाने होंगे। नहीं तो उद्योग मुश्किल में आ सकता है।
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