भारत में चीन के राजदूत जू फेइहोंग, ने एक अरब से अधिक आबादी वाले सिर्फ दो देशों (भारत और चीन) के बीच घनिष्ठ वाणिज्यिक संबंधों और व्यावसायिक सहयोग का आह्वान किया। उनके अनुसार, भारत और चीन, दो प्रमुख विकासशील देश और उभरती अर्थव्यवस्थाएं हैं, जिन्हें अपने विकास के लिए एक-दूसरे से निकटता से जुड़े रहने की जरूरत है और वे जुड़ेंगे भी।

दोनों देशों के बीच व्यावसायिक सहयोग बढ़ाने पर जोर देते हुए उन्होंने सुझाव दिया कि भारतीय कंपनियां ‘‘चीन में निवेश करके‘‘ ‘‘मेक इन इंडिया‘‘ को बढ़ा सकती हैं।

उनकी टिप्पणी, ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिंगपिंग और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हाल ही में हुई बैठक की पृष्ठभूमि में आई है।

मर्चेंट्स चौंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एमसीसीआई) कोलकाता, द्वारा आयोजित ‘चीन के साथ व्यापार करना’ पर एक विशेष सत्र को संबोधित करते हुए, फेइहोंग ने चीन के विशाल बाजार का जिक्र करते हुए कहा कि भारत के ‘उच्च गुणवत्ता वाले’ उत्पादों के लिए उनके देश में व्यापक व्यावसायिक अवसर उपलब्ध हैं। चीन और भारत एक दूसरे के लिए खतरा नहीं, बल्कि विकास में अवसर हैं, और प्रतिस्पर्धी नहीं, बल्कि सहयोगी भागीदार हैं।

उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 24 में, भारतीय उद्योग द्वारा प्रोत्साहित कुछ उत्पादों- जैसे काली मिर्च, लौह अयस्क और सूती धागे ने चीन को निर्यात में क्रमशः 17 प्रतिशत, 160 प्रतिशत और 240 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हासिल की।

उन्होंने कहा, चीन के अंतर्राष्ट्रीय आयात एक्सपो जैसे मंचों का भारतीय कंपनियों द्वारा पूरा उपयोग करने का चीन स्वागत करता है, ताकि भारतीय उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों को चीन में अधिक निर्यात किया जा सके और चीन के विकसीत हो रहे लाभांश को साझा किया जा सके।

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फोइहोंग ने यह भी कहा कि तथ्य बताते हैं कि चीन-भारत वाणिज्यिक आदान-प्रदान अविभाज्य हैं।

चीनी उत्पादों पर टैरिफ और प्रतिबंध लगाना डाउनस्ट्रीम उद्योगों के विकास और भारत में उपभोक्ताओं के हितों के अनुकूल नहीं है।‘‘

पूरक संरचनाओं पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि भारत के पास आईटी, सॉफ्टवेयर और बायोमेडिसिन में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त है, जबकि चीन इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण और उभरते उद्योगों में तेजी से विस्तार कर रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए तत्पर है, एक ऐसा क्षेत्र जहां चीन के पास समृद्ध अनुभव है। दोनों देशों की कंपनियां, यदि समन्वित होकर काम करें, तो 1+1=11 का प्रभाव पैदा करेंगी।‘‘

उन्होंने कहा, कि व्यापार समुदाय को उम्मीद है कि भारत पड़ोसी देशों के खिलाफ निवेश और सरकारी खरीद पर अपने प्रतिबंधों को हटा देगा।

उन्होंने कहा कि चीनी पक्ष ने हमेशा द्विपक्षीय वाणिज्यिक सहयोग को प्रोत्साहित किया है और ‘‘हमें उम्मीद है कि दोनों पक्ष चीन और भारत के बीच द्विपक्षीय आर्थिक और व्यापार सहयोग को नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए अधिक लाभकारी नीतियां बनाने और प्रतिबंधात्मक उपायों को कम करने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं‘‘।


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