मांग बढ़ने पर कौशल स्वतः ही उत्पन्न हो जाते हैं।
- फ़रवरी 7, 2025
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श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि भारत को ‘नौकरी’ की परिभाषा बदलने की जरूरत है, और इसमें स्वरोजगार वाले लोगों को शामिल किया जाना चाहिए, ताकि देश में जनशक्ति, बौद्धिक शक्ति और कौशल शक्ति भागीदारी दर को बढ़ाया जा सके।
मंत्री ने कहा कि सरकार और उद्योग के बीच विचार और कार्रवाई में तालमेल होना चाहिए, क्योंकि सरकार का लक्ष्य 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाना है। भारत की 7-8 प्रतिशत की उच्च विकास दर से क्रय शक्ति में वृद्धि होगी, जो बदले में उपभोग, विनिर्माण और कुशल कार्यबल की मांग को बढ़ावा देगी। ‘‘जब मांग बढ़ती है तो कौशल स्वतः उत्पन्न हो जाते हैं।‘‘
उन्होंने कुशल श्रमिकों के लिए क्षेत्र-विशिष्ट आवश्यकता को पूरा करने के लिए देश में कार्यबल विश्लेषण के लिए एक कार्यबल स्थापित करने की आवश्यकता दोहराई।
उद्योग को अपनी आवश्यकता के आधार पर कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए एक ‘प्रतिष्ठान‘ का दर्जा देने के विचार पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि इससे प्रत्येक क्षेत्र के लिए मांग आधारित प्रशिक्षित जनशक्ति बनाने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि भारत में युवाओं की मानसिकता बदलने और कौशल संवर्धन को उद्योग की आवश्यकताओं के साथ जोड़ने की आवश्यकता है।