Duped 90 crore from 31 people and opened plywood factory in Indore
- मार्च 7, 2019
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Factory and house sold to two people,
31 given closed account cheque,
old phone number turned on and trapped
Duped 90 crore from 31 people and opened plywood factory in Indore, arrested after 7 years
Seven years ago, Mahendra Gupta, a plywood businessman who fraudulently duped 90 crore rupees from the capital and around three dozen businessmen, has been arrested from his bungalow in Indore. After the arrest, it was discovered that after such a huge fraud in Raipur, he had quietly opened plywood factory in Indore and also built a bungalow.
Here is the case of fraud in selling the factory and property on it. Prior to escaping, he had given a large number of merchants the cheque of bank account which was closed. Such 31 cheques bouncing case held a warrant against him. The officers told that the phone number that he had kept switched off for seven years, started three days earlier. Based on the location found, the police raided in Indore and seized Gupta. In the case of cheating, his wife is also accused but the police could not reach him. SP Nitu Kamal told that Mohinder Gupta (50) and his wife lived in Samata Colony till 2012, and then escaped. Sourav rolling mill was found in Gupta’s Amanaka, which he had sold for 15 crores. From this rolling mill he took dealings from his property to many people.
The same property was sold to two to three people. The mill was sold and moreover of it from the market also collected billions of crores. In 2012, Gupta entered into a deal with businessman Lalit Agarwal in his Rolling Mill, Land and Ramsagarpara house in 15 crores. After getting the money, he registered half of the property. He made a deal with a property of Ramsagarpara and the same property he sold to businessman Manoj Agrawal in 88 lakh 65 thousand. After taking the full payment, he got the registry and took possession in the house. When Lalit got this information, he complained to the police. After the investigation, the police filed a fraud case against Mahendra Gupta last year.
Cheques given under pressure
According to the police, during this time Mahendra Gupta started to get pressure from the people who had taken loans to build mills houses etc. When people increased the pressure, then in 2012, he gave chques for such an account, which is closed. All cheques bounced. During that time, he also handed over cheques to traders in the name of his wife. They also got bounced. When the pressure started to rise, the family suddenly disappeared. After the disappearance, those who had bounced cheques, all made libel in the court, in which the warrant was issued in the name of Gupta.
Last year clue was found
Since the absconding, police had started looking for Gupta. His mobile numbers were kept in the surveillance. The case of fraud was recorded last year, even then the search was sharpened. The police seemed to know that he was in Indore. But Gupta was never found. He has bought 3-4 houses apart from opening the factory in Indore. That is why he and his wife were never found by the police. In the meantime, police kept a close watch after the mobile number was kept in surveillance after seven years of indication. A party was sent to Indore by road. This time, a strong clue was found about his location. Officials say that during the raids, he tried to escape, but was caught.
The amount can be 100 crore
31 people have filed a libel in the court. While there are many people who have not yet been exposed. According to the police, after the arrest of the accused, more victims will come out. The experts say that there are some people in the city, from whom Gupta kept the back money. This is the reason why such people do not come forward. The officers said that the amount of fraud is likely to go up to 100 crores and the number of people who have been cheated up to more than 50.
Courtesy: Dainik Bhaskar
फैक्ट्री और मकान दो-दो लोगों को बेचे,
31 को दिया बंद खाते का चेक,
पुराना फोन नंबर चालू किया और फंसा
शहर के 31 लोगों से 90 करोड़ ठगकर इंदौर में खोली प्लाईवुड फैक्ट्री, साल साल से फरार कारोबारी गिरफ्तार
सात साल पहले राजधानी और आसपास के तीन दर्जन कारोबारियों से 90 करोड़ रुपए ठगकर फरार हआ प्लाईवुड कारोबारी महेंद्र गुप्ता इंदौर में उसके आलीशान बंगले से गिरफ्तार कर लिया गया है। गिरफ्तारी के बाद पता चला कि रायपूर में इतनी बड़ी धोखाधड़ी के बाद उसने इंदौर में चुपचाप प्लाईवुड फैक्ट्री खोल ली थी और बंगला भी बना लिया था।
यहां उस पर फैक्ट्री और प्राॅपर्टी बेचने में धोखाधड़ी का केस दर्ज है। भागने से पहले उसने बड़ी संख्या में व्यापारियों को ऐसे बैंक खाते का चेक बांटा था, जो बंद था। ऐसे 31 चेक बाउंस केस में उसके खिलाफ वारंट था। अफसरों ने बताया कि सात साल से उसने जो फोन नंबर बंद कर रखा था, तीन दिन पहले चालू किया। इसे मिली लोकेशन के आधार पर पुलिस ने इंदौर में छापा मारकर गुप्ता को दबोच लिया। धोखाधड़ी के केस में उसकी पत्नी भी आरोपी है लेकिन पुलिस उस तक नहीं पहंुच सकी। एसपी नीतू कमल ने बताया कि महंेद्र गुप्ता (50) और उसकी पत्नी 2012 तक समता कालोनी में रहे, फिर फरार हो गए। गुप्ता की आमानाका में सौरभ रोलिंग मिल थी, जिसे उसने 15 करोड़ में बेच दिया था। उसने इस रोलिंग मिल से लेकर अपनी प्रापर्टी का सौदा कई लोगों से किया।
एक ही प्राॅपर्टी को दो-तीन लोगों को बेची गई। मिल तो बेची ही, उसके एवज में बाजार से भी करोड़ों का कर्ज बटोर लिया। गुप्ता ने 2012 में कारोबारी ललित अग्रवाल से अपनी रोलिंग मिल, जमीन और रामसागरपारा के मकान का 15 करोड़ में सौदा किया। पैसे मिलने के बाद उसने आधी प्राॅपर्टी की रजीस्ट्री कर दी। रामसागरपारा की एक प्रापर्टी का उसने सिर्फ एग्रीमेंट किया और यही प्रापर्टी उसने कारोबारी मनोज अग्रवाल को 88 लाख 65 हजार में बेच दी। पूरा पेमेंट लेकर उसने रजिस्ट्री करवाई और मकान में कब्जा भी ले लिया। जब इसकी जानकारी ललित को हुई थी, तब उन्होंने पुलिस में शिकायत की। जांच के बाद पुलिस ने महेंद्र गुप्ता के खिलाफ पिछले साल धोखाधड़ी का केस दर्ज कर लिया।
उधार के दबाव में दिए चेक
पुलिस के मुताबिक इसी दौरान महेंद्र गुप्ता पर उन लोगों का दबाव आने लगा, जिनसे उसने मिल डालने और मकान वगैरह बनवाने के लिए कर्ज लिया था। लोगों ने दबाव बढ़ाया तो उसने 2012 में ही ऐसे खाते के चेक सब को दिए, जो बंद है। सभी चेक बाउंस हो गए। उस दौरान उसने अपनी पत्नी के नाम से भी चेक व्यापारियों को दिए। ये भी बाउंस हो गए। दबाव बढ़ने लगा तो वह सपरिवार अचानक गायब हो गया। गायब होने के बाद जिन लोगों के पास बाउंस चेक थे, सबने कोर्ट में परिवाद लगाया, जिसमें गुप्ता के नाम वारंट जारी हुए थे।
पिछले साल मिला था क्लू
पुलिस ने फरार होने के बाद से ही गुप्ता की तलाश शुरू कर दी थी। उसके मोबाइल नंबर सर्विलांस में रखे गए थे। पिछले साल धोखाधड़ी का केस दर्ज हुआ, तब भी उसकी तलाश तेज की गई। पुलिस को भनक लगती थी कि वह इंदौर में है। लेकिन गुप्ता कभी नहीं मिला। उसने इंदौर में फैक्ट्री खोलने के अलावा तीन-चार मकान ले रखे हैं। इसलिए वह और उसकी पत्नी दोनों पुलिस को नहीं मिल सके। इस बीच, सर्विलांस में रख गया उसका मोबाइल नंबर सात साल बाद चालू होने के संकेत मिले तो पुलिस कड़ी नजर रखने लगी। एक पार्टी को सड़क मार्ग से इंदौर भेजा गया। इस बार जिस मकान में वह था, उसका पुख्ता क्लू मिल गया था। अफसरों का कहना है कि छापे के दौरान उसने भागने की कोशिश की, लेकिन पकड़ा गया।
100 करोड़ हो सकती है रकम
31 लोगों ने कोर्ट में परिवाद दायर किया है। जबकि कई ऐसे लोग हैं, जो अब तक सामने नहीं आए है। पुलिस के अनुसार आरोपी के पकड़े जाने के बाद और भी पीड़ित सामने आएंगे। जानकारों का कहना है कि शहर के कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिनसे गुप्ता ने दो नंबर पर पैसे उठा रखे थे। यही वजह है कि ऐसे लोग सामने नहीं आएं। अफसरों ने कहा कि धोखाधड़ी की रकम लगभग 100 करोड़ और ठगे गए लोगों की संख्या 50 से ऊपर जाने की संभावना है।
सौजन्यः दैनिक भास्कर