West Bengal FM Amit Mitra wants 1% GST rate
- मार्च 12, 2019
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West Bengal FM Amit Mitra wants 1% GST rate for houses up to Rs. 40 lakh
Amit Mitra raised certain contentious issues such as the fate of input tax credit if a proposal by a group of ministers on real estate is implemented.
Ahead of the second round of the GST Council meet on real estate, West Bengal finance minister Amit Mitra has come out with his proposal on tax rates – which ranges from 1 per cent to 7 per cent.
In a letter to Union finance minister Arun Jailtey, he also raised certain contentious issues such as the fate of input tax credit if a proposal by a group of ministers (GoM) on real estate is implemented. He also asked how a GST regime will treat a complex issue that contains both residential and commercial real estate.
The GoM had recommended bringing down GST rate from 12 per cent with input tax credit to 5 per cent without the tax credit for under-construction houses and from eight per cent with the tax credit to 3 per cent without it for the affordable housing segment (costing up to Rs. 30 lakh in non-metro areas and Rs. 45 lakh in metro cities).
Mitra contested this, saying that actual incidence of tax for affordable housing is actually one per cent at present, according to an agenda note circulated to state finance ministers. “Therefore, the suggested rate of 3 per cent by the GoM will actually increase the tax burden on house buyers,” he said.
Mitra quoted the agenda note to say that actual tax incidence on houses other than affordable ones is 5 per cent in the medium range and 7 per cent in the premium category. Pointing out that 70 per cent of houses registered in West Bengal have a cost not exceeding Rs. 40 lakh, the state finance minister said that these categories of houses should not draw more than one per cent tax.
There should be GST rate of not more than 5 per cent on houses costing above Rs. 40 lakh and up to Rs. 1 crore, he added.
Houses costlier than this category could attract 7 per cent tax rate, Mitra proposed. Mitra suggested that “artificial” distinction between houses in metro and non-metro cities be dropped to avoid definitional complications and lend simplicity to the tax structure.
“In fact, any artificial segregation of housing, contiguous to the metro cities, could lead to serious interpretational issues and open up possibilities for rent seeking,” he said. He also suggested exempting long-term lease of land (more than 30 years) from GST on the lines of those for industrial uses.
Mitra also wanted to know whether the new GST scheme for the real estate sector is optional or mandatory.
There were clear differences among members of the council on real estate. Punjab finance minister Manpreet Badal said that different states have different taxation systems and a uniform rate structure without a discussion would not be proper.
Bihar had agreed to the recommendations of the ministerial panel on real estate, stressing that the rate on affordable housing could further be reduced to 1 per cent, according to officials.
Courtesy: Business Standard
मकान 7 प्रतिशत सस्ते, कीमत 40 लाख तो 2.80 लाख रु. की होगी बचत
1 अप्रैल से लागू होंगी दरें, सस्ते घरों का दायरा 45 लाख रु. तक बढ़ाया, मेट्रो शहरों के लिए आकार 60 और नाॅन मेट्रो में 90 मीटर तक रहेगा
घर खरीदने के इच्छुक मध्यम वर्ग को लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बड़ी राहत मिली है। जीएसटी काउंसिल ने निर्माणाधीन आवासीय संपत्तियों पर जीएसटी की दर 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दी है। लेकिन इस पर बिल्डर को इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलेगा। अफोर्डेबल यानी सस्ते घरों पर जीएसटी की दर भी 8 प्रतिशत से घटाकर 1 प्रतिशत कर दी गई है। सस्ते घरों का दायरा भी 45 लाख रु. की कीमत तक बढ़ा दिया। मेट्रो शहरों के लिए इनका आकार (कार्पेट एरिया) 60 वर्ग मीटर जबकि नाॅन मेट्रो के लिए 90 वर्ग मीटर तक रहेगा। मेट्रो में दिल्ली एनसीआर, मुंबई, हैदराबाद, कोलकाता, बेंगलुरू और चेन्नई शामिल है। यानी सामान्य और सस्ते दोनों ही तरह के मकान अब 7 प्रतिशत तक सस्ते हो जाएंगे। अगर दोनें कैटैगरी में 40 लाख का मकान माना जाए तो 2.80 लाख रुपए तक की बचत होगी। नई दरें पहली अप्रैल से लागू होगी। डेवलपर्स का कहना है कि सरकार को यह फैसला तत्काल लागू करना चाहिए था। अब लोग 1 अप्रैल तक टैक्स रेट घटने का इंतजार करेंगे।
बिल्डर को ज्यादा सामान रजिस्टर्ड डीलरों से खरीदना पड़ेगा
रियल्टी सेक्टर में फिर से कैश का इस्तेमाल न बढ़ जाए, इसलिए बिल्डरों को ज्यादातर सामान रजिस्टर्ड डीलरों से खरीदना पड़ेगा। जीएसटी अधिकारियों क समिति इसकी सीमा तय करेगी। मंत्री समूह ने इसके लिए 80 प्रतिशत का सुझाव दिया है।
अंडर कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट के लिए ट्रांजिशन नियम बनेंगे
ऐसी प्राॅपर्टी, जहां कंस्ट्रक्शन का काम शुरू हो गया है, उनके लिए ट्रांजिशन नियम बनेंगे। अधिकारियों की समिति इसके दिशा-निर्देश तय करेगी। टैक्स रेट तय करने वाली फिटमेंट कमेटी और लाॅ कमेटी 10 मार्च तक इसका ड्राफ्ट तैयार कर जीएसटी काउंसिल को देगी।
डेवलपर्स ने कहा- इनपुट क्रेडिट खत्म करने से दाम बढ़ सकते हैं
जेटली ने कहा,‘ खरीदारों की शिकायत थी कि बिल्डर उन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा नहीं दे रहे हैं। इसलिए जीएसटी रेट कम करके क्रेडिट खत्म करने का फैसला किया गया।’ वहीं, मैराथन नेक्स्टजेन रियल्टी के सीएमडी चेतन शाह ने कहा कि इससे डेवलपर्स की लागत बढ़ेगी। सीमेंट और स्टील जैसे इनपुट पर जीएसटी घटाना चाहिए। वरना लागत बढ़ने से दाम भी बढ़ेंगे।
फैसले से प्राॅपर्टी की बिक्री में आ सकती है तेजी: बिक्री के समय जिन संपत्तियों का कम्पलीशन सर्टिफिकेट जारी हो चुका होता है, उन पर जीएसटी नहीं लगता। इसलिए खरीदार अंडर-कंस्ट्रक्शन प्राॅपर्टी से परहेज कर रहे हैं। प्राॅपर्टी कंसल्टेंसी फर्म एनाराॅक के अनुसार 7 बड़े शहरों में फैसले से प्राॅपर्टी की बिक्री तेजी आने की उम्मीद है। 2018 में 41 प्रतिशत नए प्रोजेक्ट अफोर्डेबल कैटेगरी में थे।