सुरेश बाहेती

पंजाब शुरू से ही कृषि में अग्रणी रहा है। अपनी उपजाऊ जमीन की गुुणवत्ता की वजह से यहां के पोपुलर की कीमतें भी दुसरे क्षेत्रों के मुकाबले अधिक रही है।

हालांकि, जितनी तेजी से उद्योग की उत्पादन क्षमता बढ़ी, उस हिसाब से कृषि वाणिकी का रकबा नहीं बढ़ा। महंगी होती जा रही लकड़ी ने उद्योग को कृषि वाणिकी में नये सिरे से अपने प्रयास बढ़ाने के लिए प्रेरित किया है।

आज उत्तर भारत में जो मुश्किलें नजर आ रही हैं उसमें सबसे पहले है Rate fluctuation जिससे किसान अपने संसाधनों को कृषि वाणिकी मे निवेश करने से हिचकिचाते हैं। प्रमाणित रोपण सामग्री (Certified Planting Material) न होना भी एक बड़ा कारण है। इसके अलावा सिर्फ एक साल के लिए जमीन ठेके पर देने के पीछे भी मुख्य कारण हैं वे कानून जिसकी वजह से Ownership Loss होने का डर होता है, जबकि कृषि वाणिकी के लिए कम से कम तीन से चार साल का समय चाहिए होता है।

  • कृषि वानिकी में पंजाब एक मॉडल बन कर उभर रहा हैः डाॅ. एम पी सिंह

पंजाब ने कृषि वानिकी को लेकर जो प्रयास किए, वह देश के दूसरे राज्यों के लिए भी मार्गदर्शन का काम करेंगे। उद्योगपतियों के साथ मिल कर किसान किस तरह से लकड़ी उत्पादन को बढ़ावा दें, इसे लेकर मंथन चल रहा है। इन उपायों को अपनाकर पंजाब बना मॉडल।

  • एग्रोफोरेस्ट्री बोर्ड बनाया

एग्रोफोरेस्ट्री बोर्ड बनाने का निर्णय भी ले लिया गया है। जिसमें कृषि व वन विभाग के साथ साथ उद्योगपति भी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। बोर्ड किसानों व उद्योगपतियों की समस्याओं का समाधान करने में कारगर माध्यम बनेगा।

क्योंकि बोर्ड में सरकार, उद्योगपतियों व किसानों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। जो एक दूसरे की समस्या को समझ कर उसके निदान की दिशा में एक साथ मिल कर काम करेंगे।

  • लकड़ी की न्यूनतम कीमत तय करने की कोशिश चल रही है

पंजाब में उद्योगपति लकडी की न्यूनतम निश्चित कीमत तय करने की कोशिश कर रहे हैं। उद्योगपति व सरकार इसके लिए निरंतर कोशिश कर रहे हैं। इस व्यवस्था के बन जाने के बाद किसानों को लकड़ी के रेट के उतार चढ़ाव की समस्या से निदान मिल जाएगा। इससे लकड़ी के प्रति किसानों में रुझान बढ़ेगा। नए किसान भी कृषि वानिकी की ओर आकर्षित होंगे।

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  • Nurseries are being developed for high quality plants.

पंजाब में नर्सरी को विकसित करने पर भी विचार चल रहा है। इससे किसानों को उच्च गुणवत्ता के पौधे मिलने का रास्ता साफ होगा। उद्योगपतियों व लकड़ी उत्पादक किसानों के बीच कृषि वानिकी को लेकर करार हो जाए। इस दिशा में भी पंजाब में विचार चल रहा है।

सरकार ने टीओएफ का जो ड्राफ्ट पेश किया इसमें यह व्यवस्था करने की दिशा में प्रयास किया गया कि वन क्षेत्र से बाहर उगाई गई लकड़ी के नियम व व्यवस्था अलग हो। इसके लिए अलग से एक्ट बनाने की दिशा में भी काम हो रहा है।

  • परिणाम और ज्यादा बेहतर आए, इसके लिए डाॅ. एम पी सिंह ने दिए यह सुझाव
  1. कानून के दायरे में लाया जाएः पंजाब सरकार यदि लकड़ी के रेट को कानून के दायरे में ले आए तो बहुत अच्छा होगा। किसान व उद्योगपतियों के बीच में लकड़ी उगाने को लेकर जो करार हो, इसे भी कानून के दायरे में लाना चाहिए। इससे विवाद नहीं होगा। सभी पक्षों के हित भी सुरक्षित होंगे।
  2. डिजिटल डाटा प्लेटफार्म बनेः लकड़ी की उपलब्धता, उद्योग की संख्या व मांग को लेकर डिजिटल डाटा प्लेटफार्म बनाने की आवश्यकता है। भविष्य की रणनीति भी डाटा के आधार पर बनाई जा सकती है।
  3. मिसाल बनी उद्योगपतियों की सक्रियताः पंजाब में उद्योगपति काफी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। सरकार भी उनका साथ दे रही है। किसान को भी लकड़ी का अच्छा दाम मिलेगा। इससे वहां फसल विविधीकरण की दिशा में अच्छा माहौल बनेगा। वहां के किसान कृषि वानिकी के प्रति उत्साहित होंगे। उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि पंजाब में कच्चे माल के तौर पर लकड़ी की उपलब्धता भविष्य में अच्छी खासी होने की पूरी संभावना है। संभावना तो यहां तक की पंजाब के उद्योग को तो पर्याप्त लकड़ी मिलेगी ही बल्कि दूसरे राज्यों को भी लकड़ी की आपूर्ति भी संभव हो सकती है।
  • मुश्किल हालातों से सबक सीखाः इंद्रजीत सिंह सोहल

पंजाब की प्लाईवुड इन दिनों लकड़ी की कमी का सामना कर रही है। एक वक्त था हमारे पास लकड़ी पर्याप्त मात्रा से भी ज्यादा थी। अब ऐसा नहीं है। इसका असर उद्योग पर पड़ रहा है। हमें खुद को बनाए रखने में खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। मुश्किल हालात से हमने सबक सीख लिया है। कैसे लकड़ी के मामले में आत्मनिर्भर बनना है।

पंजाब सरकार से संपर्क कर कृषि वानिकी को बढ़ावा देने के उपायों पर काम किया जा रहा है। जिस जमीन में कृषि नहीं हो रही, इस तरह की जमीन किसानों को दी जाए जिसे कृषि वानिकी के तौर पर इस्तेमाल किया जाए। जो किसान पोपलर व सफेदा उगाएगा उसे पहले साल 20 रुपए दूसरे व तीसरे साल में 15 - 15 रुपए दिए जाएंगे। सरकार के साथ मिल कर पौधा रोपण कराया जा रहा है। जिससे पौधा रोपण में तेजी आई।

  • भविष्य में लकड़ी की उपलब्धता का यह उचित मौका हैः डाॅ. एम पी सिंह

पंजाब सरकार लकड़ी को लेकर सकारात्मक कदम उठा रही है। यह उचित मौका है कि हम ऐसी व्यवस्था करें जिससे भविष्य में पर्याप्त मात्रा में लकड़ी मिलना सुनिश्चित हो सके। पंजाब में वन क्षेत्र नही ंके बराबर है यहां जंगलों से बाहर लकड़ी उगाने की बहुत संभावनाएं हैं। हरियाणा भी भी यदि पंजाब की तरह प्रयास हो तो वहां भी लकड़ी की उपलब्धता और ज्यादा हो सकती है।

  • पंचायती जमीन का इस्तेमाल कृषि वानिकी के लिए होना चाहिएः आर सी धीमान

पंजाब में लकड़ी आधारित उद्योग संचालक पंचायती जमीन का इस्तेमाल कृषि वानिकी के लिए करे। इससे पंचायतों में आमदनी भी होगी। पंचायती जमीन को लेकर जो विवाद चलते रहते हैं, वह भी खत्म हो सकते हैं।

  • हम इस दिशा में प्रयास कर रहे हैंः नरेश तिवारी

हम दो साल से इस दिशा में काम कर रहे हैं कि पंजाब की जो जमीन कृषि उपयोग में नहीं है, वह उद्योगपतियों या प्रगतिशील किसानों को दे दी जाए। सरकार के साथ कई मीटिंग हो गई है। उम्मीद है मार्च से पहले पहले बोर्ड बन जाएगा। इसका ड्राफ्ट भी बन गया है। बोर्ड बनते ही इस दिशा में काम शुरू हो जाएगाा। सरकार ने एक आईएएस आफिसर भी इसके लिए नियुक्त कर दिया है।

  • यह कदम भी उठाए जा चुके हैंः

जमीन की पहचान हो चुकी है। इस जमीन का वर्गीकरण बाकी है। यह थोड़ी सी लंबी प्रक्रिया है। किसानों को उच्च गुणवत्ता के पौधों की उपलब्धता नहीं होती। हमने सरकार को यह भी सुझाव दिया कि सरकारी नर्सरी को निजी क्षेत्र को दे दिया जाए। सरकार ने इस सुझाव को मानते हुए आईटीसी भद्राचलम के साथ सफेदे (यूकलिपटस) के पौधों के लिए समझौता किया है।

  • कृषि वानिकी फसल विविधीकरण का बेहतर विकल्प हैः

पंजाब में धान व गेहूं से किसान को यदि फसल विविधीकरण की ओर आकर्षित करना है तो कृषि वानिकी इसके लिए सबसे अच्छा विकल्प है। हम लकड़ी के न्यूनतम समर्थन मूल्य देने के लिए तैयार है। एक संशय भी आया था। इन उपायों से लकड़ी का उत्पादन मांग से ज्यादा हो गया तो क्या होगा? हमने सरकार को बताया कि ऐसा नहीं होगा। क्योंकि लकड़ी का कोई विकल्प नहीं है। लकड़ी आधारित उद्योग में कच्चे माल के तौर पर लकड़ी ही काम में आएगी।

  • आप बेहतर प्रयास कर रहे हैंः एमपी सिंह

पंजाब सरकार, उद्योगपति व किसान सराहनीय प्रयास कर रहें हैं जब तक अधिनियम नहीं बन जाता तब तक उसके लिए आप प्रयास करते रहे। अधिनियम का स्थायी नोटिफिकेशन होना चाहिए। क्योंकि नीतियों का यदि स्कीम के तहत नोटिफिकेशन हो गया तो इसमें बदलाव होने की संभावना बनी रहती है। यदि अधिनियम बन जाता है तो यह स्थाई होगा।

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  • बीआईएस में रिजेक्सन के बारे में मंथन चल रहा हैः

बीआईएस के हर स्टैंर्डड में रिजेक्ट की कैटेगरी होगी। जो इस मानक पर खरी नहीं उतर रही है, इसका एक रिजेक्ट कैटेगरी बनाया जाएगा। जिससे वह रिजेक्ट बोल कर ही बाजार में उतारी जा सके। जो लो यूटिलिटी ग्रेड का प्लाई बनाना चाहते है, हमने उद्योग को बोला है कि इसके सैंपल भेज दीजिए। हम मानकों को देख कर इसके हिसाब से नए मानदंड के सुझाव देंगे।

जरूरी नहीं की क्वालिटी कंट्रोल एम एस एम ई में तत्काल लागू करें, इसके लिए शायद ज्यादा समय दिया जाना चाहिए। धीरे धीरे लोग जुडेंगे अभी 20 प्रतिशत ही बीआईएस में पंजीकृत है। यह भी होना चाहिए कि बाजार में क्वालिटी कंट्रोल के रेट भी कुछ ज्यादा मिले।

  • पंजाब का मॉडल सबसे अच्छा हैः आर के सपरा

20 साल में पहली बार इतना अच्छा मॉडल पंजाब ने बनाया है। इस तरह की नीतियां तमिलनाडु में कामयाब रही है। जिस दिन किसान को यह आश्वासन मिल गया कि लकड़ी का एक निश्चित रेट मिल ही जाएगा। वह लकड़ी उगाना लगातार शुरू कर देगा।

हरियाणा में भावांतर योजना है, लकड़ी में भी इसे लागू किया जा सकता है। लकड़ी उगाने वाले किसान को दूसरी फसल उगाने से ज्यादा आमदनी होनी चाहिए। क्योंकि लकड़ी की खेती बहुवर्षीय फसल है।

लकड़ी की जो कमी है, उसकी वजह किसान नहीं हमारी नीतियां है। जिन्हें अब बदलने की जरूरत है। लकड़ी की उपलब्धता पर्याप्त होगी तो निश्चित ही बड़ी इकाईयाँ आएगी। वह लकड़ी और लकड़ी के उत्पाद निर्यात करें। छोटी यूनिट स्थानीय बाजार की मांग को पूरा करने के लिए माल तैयार करे।

  • पंजाब में कम वनक्षेत्र की भरपाई कृषि वानिकी से कर सकते हैंः अरविंद्र सिंह

पंजाब का वनक्षेत्र 3.65 प्रतिशत है राष्ट्रीय स्तर पर वन क्षेत्र अधिक है। पूरे पंजाब में वन क्षेत्र नहीं है, बल्कि क्षेत्र विशेष में हैं। किसानों को उचित दाम पर उच्च गुणवत्ता के पौधे उपलब्ध करा कर यहां पंजाब में हरित क्षेत्र को बढ़ाया जा सकता है। इस दिशा में सरकार को भी पहल करनी चाहिए। इसके लिए सरकार नर्सरी उगाने वाली आईटीसी और वीमको जैसी कंपनियों के साथ मिल कर छोटे किसानों को अच्छी गुणवत्ता के पौधे उपलब्ध कराए।

  • बिजली से चलने वाले नलकूपों के आसपास भी पौधा रोपण होना चाहिएः

जहां तक बिना उपयोग पड़ी जमीन की बात है, इस दिशा में काम चल रहा है। सरकार को चाहिए कि जिन किसानों को बिजली के नलकूप का कोई बिल नहीं दे रहा तो वह अपने नलकूप के आस पास पौधा रोपण करें। दस लाख मोटर है तो चालीस से गुणा करें तो यह संख्या बहुत बड़ी हो जाती है। उच्च गुणवत्ता के पौधों के लिए अच्छे बीजों की दिशा में भी ध्यान देना चाहिए। व्यवसायिक स्तर पर अच्छे बीज व पौधे मिले, इसके लिए निजी और सरकारी दोनों क्षेत्रों में प्रयास होना चाहिए।

  • वन क्षेत्र कम होना एक अवसर हैंः डाॅ. एम पी सिंह

वन क्षेत्र कम होना कृषि वानिकी को बढ़ावा देने के अवसर पैदा कर रहा है। पंजाब व हरियाणा में वन क्षेत्र कम है, इसलिए यहां लकड़ी आधारित उद्योग फलफूल रहा है। क्योंकि जहां जंगल है, वहां लकड़ी उद्योग को कई तरह के नियमों के दायरे में बांध दिया जाता है। जिससे उद्योग को कई तरह की समस्या होती है। केरल में लकड़ी उद्योग को रबर पेड़ इस्तेमाल करने का लाइसेंस है तो सिल्वर ओक इस्तेमाल नहीं कर सकते।

पौधों पर किसानों को अनुदान मिलेः अच्छी गुणवत्ता के पौधों थोड़े महंगे होते हैं, यदि किसानों को ज्यादा अनुदान मिल जाए तो पौधे खरीदना उनके लिए आसान हो जाएगा।

  • न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करने में सरकार का समर्थन होना ही होगाः सतीश गुप्ता

हमें मिल कर काम करना चाहिए। हम यदि अपनी ओर से भी किसानों को आश्वासन दे कि न्यूनतम समर्थन मूल्य देंगे तो शायद वह हमारे ऊपर यकीन नहीं करेगा। यदि सरकार की ओर से इस तरह आश्वासन मिले तो इस पर वह ज्यादा यकीन करेगा।

भावंतर योजना भी एक अच्छी पहल हो सकती हैं। तब किसान ज्यादा से ज्यादा पौधा रोपण करेगा। जिससे लकडी की दिक्कत नहीं आएगी। इसलिए सरकार को भी इसमें शामिल होना चाहिए।

  • कृषि वानिकी के प्रति वन विभाग को और ज्यादा संवेदनशील होना होगाः जितेंद्र शर्मा

पंजाब में वन क्षेत्र कम है। हरित कवर कैसे बढ़े, इसे लेकर वन विभाग को और ज्यादा संवेदनशील होना चाहिए। उन्हें इसके लिए अलग से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। हालांकि पंजाब का वन विभाग इस दिशा में काफी काम कर रहा है।

जब भारत के कृषि मंत्रालय ने कृषि वानिकी को बढ़ावा देने की जो पहल की थी, तब हमने पंजाब में इस योजना को कामयाब किया था। पंजाब उस वक्त देश के गिने चुने राज्यों में शामिल था, जिन्होंने इस योजना को कामयाब किया था।

पंजाब ने तब जो शुरुआत की थी, उसका ही परिणाम है कि यहां कृषि वानिकी का आधार काफी मजबूत हो गया है।

एक डाटा विभाग के पास आ गया था, जिससे यह पता चल जाता था कि किस क्षेत्र में किस किसान के पास किस किस्म के कितने पेड़ लगे हैं। अब उद्योगपति वन विभाग से यह डाटा ले सकते हैं। इसका लाभ उन्हें मिल सकता है।

  • कृषि वानिकी के प्रसार में सरकार की तुलना में उद्योग ज्यादा प्रभावी हो सकते है।

मैं व्यक्तिगत तौर पर मानता हूं कि सरकार जिस क्षेत्र से जितनी बाहर रहती है, वह क्षेत्र उतना ज्यादा अच्छा काम काम कर सकते हैं। क्योंकि सरकारी काम में औपचारिकताएं ज्यादा हो जाती है। उद्योगपति स्वयं अपने लिए कार्ययोजना तैयार कर अमल में लाए।

गैर उपयोगी जमीन का एक सर्वेक्षण होना चाहिए।

जहां तक पंजाब में गैर उपयोग जमीन की बात है, वह कम है। अभी यह भी तय करना बाकी है कि गैर उपयोगी जमीन कितनी है, वह कहां कहां है। इसका आकलन करना जरूरी है।

यह भी हो सकता है कि ज्यादा जमीन कंडी एरिया में हो। वहां एक ही किस्म के पौधे लगाने से दिक्कत आ सकती है। एनजीटी के भी पौधारोपण को लेकर कुछ दिशा निर्देश है। उन्हें भी मानना होगा।

  • गैर उपयोगी जमीन के उपयोग का पायलट प्रोजेक्ट होना चाहिएः

गैर उपयोगी जमीन को लेकर पहले एक पायलट प्रोजेक्ट होना चाहिए। यहां से जो परिणाम सामने आए, इसके बाद आगे की रणनीति तैयार होनी चाहिए।

जहां तक हो न्यूनतम समर्थन मूल्य को लागू करना व्यवहारिक होगा। पेपर उद्योग की तरह जिसमें विमको, आईटीसी व जेके ने जो काम किया, उन्होंने खुद विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों व अधिकारियों को जोड़ कर जो मॉडल बनाया,इसी तरह का प्रयोग लकड़ी आधारित उद्योग के उद्योगपतियों को भी करना चाहिए। इसमें कुछ फंड उद्योग से आए,कुछ सरकार से ले लिया जाए तो काम आसान हो सकता है।

  • पायलट प्रोजेक्ट पर काम चल रहा हैः नरेश तिवारी

पायलट प्रोजेक्ट के लिए तीन सौ एकड़ जमीन मिल रही है। लेकिन समस्या यह आ रही है कि इसमें लीज की राशि हर दो साल बाद दस प्रतिशत बढ़ाने का प्रावधान किया जा रहा है। हमारी मांग है कि लीज की राशि एक बार तय हो जाए। जिससे यह प्रोजेक्ट सफल हो सके।

  • बेहतर उद्देश्य के लिए लंबी योजनाः एम पी सिंह

सरकारी जमीन, या पंचायती जमीन या गैर उपयोगी जमीन को पौधारोपण के लिए रखना एक लंबी योजना है। इसके बहुत ही स्थायी परिणाम सामने आएगे। इसका जो प्रारूप बनाया गया, यह बहुत ही विस्तृत है। उद्योगपति और किसानों के बीच जो समझौता होगा, वह कानून के दायरे में आना चाहिए।

  • कार्बन क्रेडिट की संभावना भी बढ़ रही हैः रमेंश चंद्र धीमान

इतना पौधारोपण हुआ, इस वजह से पंजाब में कार्बन क्रेडिट की संभावना भी बन रही है। इसका श्रेय भी पूर्व पीसीसीएफ शर्मा को जाता है।

  • प्रोजेक्ट को सरकार की अनुमति चाहिएः जितेंद्र शर्मा

पंजाब का कार्बन क्रेडिट प्रोग्राम के तहत जमीनी स्तर का काम तो पूरा हो गया है। इस प्रोजेक्ट को सरकार की अनुमति चाहिए। दिक्कत यह है कि प्रोजेक्ट की फाइल अटकी हुई है। डाॅ. एम पी सिंह व नरेश तिवारी से आग्रह है कि जब भी उनकी विभागीय स्तर पर या फिर वन मंत्री से बातचीत हो तो इस मामले को उठाया जाना चाहिए। क्योंकि इस प्रोग्राम से किसानों को भी लाभ मिलेगा।

  • कार्बन क्रेडिट पर बाहरी एजेंसी से समझौता संभव नहींः डाॅ एम पी सिंह

भारत सरकार ने निर्णय लिया कि वह किसी बाहर की एजेंसी के साथ समझौता नहीं करेगी। क्योंकि केंद्र सरकार को लगता है कि बाहर की पार्टी कार्बन क्रेडिट में हस्तक्षेप कर सकती है। सिर्फ भारतीय उद्योग ही कार्बन क्रेडिट को खरीदने की कोशिश कर सकते है।

  • पंजाब में लकड़ी की कीमत अब स्थिर और संतुलित हैः आरसी धीमान

अब पंजाब में लकड़ी की कीमत स्थिर है। जब कीमत सही रहती हैं तो बहुत से किसान लगाना शुरू कर देते हैं। जैसे ही दाम कम होते हैं तो बहुत किसान पोधारोपण छोड़ देते हैं। इस बार पंजाब में डेढ़ लाख सफेदा (यूकलिपटस) और 80 लाख पोपलर लगा। जो सबसे अधिक है। यह अच्छी बात है। लेकिन यह स्थिति हमेशा नहीं बनी रहती। एक स्टेज ऐसी आती है किसान पोधे लगाना कम कर देते हैं। इस वजह से लकड़ी की दिक्कत आती है। ऐसे में इंडस्ट्री को चाहिए कि जैसे ही रेट बढ़े तुरंत ही पौधा रोपण पर ध्यान दिया जाना चाहिए। यदि फौरी तौर पर कदम उठा लिए जाए तो फिर ऐसी दिक्कत नहीं आएगी।

  • लकड़ी मंडियों की सक्रिय भूमिका सुनिश्चित होनी चाहिएः

लकड़ी मंडियों को अब सक्रिय करना होगा। वहां से हमें गुणवत्ता युक्त लकड़ी मिल सकती है। इसलिए मंडी से लकड़ी खरीद प्रक्रिया को शुरू करना चाहिए। जहां तक लकड़ी के टेक्स की बात है, इसे सरकार से मिल कर कम कर सकते है।

ऐप सिस्टम से भी लकड़ी बिक रही है। उड़ीसा से हरियाणा में लकड़ी आ रही है। भविष्य में डिजिटल सिस्टम से लकड़ी की खरीद फरोख्त की संभावना ज्यादा होगी।

  • पॉलिसी में डिजिटल डाटा पर विशेष ध्यान दिया गया हैः एमपी सिंह

वुड बेस इंडस्ट्री का जो नया प्रारूप बन रहा है, इसमें डाटा पर विशेष ध्यान दिया गया। यह डाटा आनलाइन होगा, जिसमें हमें यह पता चलता रहेगा कि कितने उद्योग है। लकड़ी कितनी चाहिए। कितनी उपलब्ध है। भविष्य में कितनी लकडी की जरूरत होगी। इससे भविष्य की योजनाओं को ध्यान में रख कर रणनीति बनाई जा सकती है।

  • कम कृषि वानिकी क्षेत्र में उद्योगों को बढ़ावा मिलेः

पंजाब में उन क्षेत्रों में भी कृषि वानिकी को बढ़ावा दिया जाना चाहिए जहां उद्योग कम हैं। इसके लिए वहां लकड़ी उद्योग लगे। सरकार को चाहिए कि उन क्षेत्रों में उद्योग के लिए अनुदान दें। इससे पूरे पंजाब में कृषि वानिकी के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिणाम सामने आएंगे।

  • इस दिशा में काम हो रहा हैः जितेंद्र शर्मा

जिन जिलों में कृषि वानिकी कम है, वहां अब बढ़ रही है। वहां लकड़ी की गुणवत्ता व उत्पादन कम है। इसके लिए हमें वहां कृषि वानिकी को बढ़ावा देने के लिए जो सुविधाएं व अनुदान है, वह बढ़ाने होंगे। इसके साथ ही यह क्षेत्र धान आधारित कृषि कर रहा है। इस वजह से यह देखना होगा कि लकड़ी की कौन सी किस्म वहां धान के साथ अच्छी तरह से विकसित हो सकती है। यह भी देखना होगा वहां लकड़ी की कौन सी किस्म उगाई जाए, जिससे धान की तुलना में किसानों की आमदनी अच्छी रहे।

  • नर्सरी और सिर्फ नर्सरी की ओर ध्यान दिया जाने की बहुत जरूरत हैः धर्मेंद्र डोकिया

पचास हजार स्क्वायर किलोमीटर में से यदि बीस प्रतिशत एरिया भी कवर कर लिया जाए तो लकड़ी की समस्या खत्म हो सकती है। पंजाब में उपजाऊ जमीन है। इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। इसके लिए नर्सरी और कृषि वानिकी को बढ़ावा देने के लिए अनुदान दिए जाने की आवश्यकता है। दो प्रतिशत अनुदान किसानों को पौधे पर मिल जाए तो बहुत अच्छे परिणाम सामने आ सकते हैं। नर्सरी में पौधारोपण की लागत आठ नौ रुपए से ज्यादा नहीं आती। इस लागत को उद्योग उठा सकते हैं।

  • पौधों की गुणवत्ता पर भी ध्यान देना होगाः

दूसरी बात यह है कि लकड़ी की आपूर्ति बढ़ जाती है तो कीमत कम हो जाती है।

पंजाब सरकार से आग्रह किया जाना चाहिए कि सरकार लकड़ी के बड़े उद्योग संचालकों को प्रोत्साहित करें कि वह नर्सरी की ओर भी ध्यान दे।

कृषि वानिकी को बढ़ावा देने के लिए उद्योगपति एक प्रतिशत खर्च कर लकड़ी की उपलब्धता में सार्थक कदम उठा सकते हैं।

  • जमीन की उर्वरा की ओर भी ध्यान देना होगाः वैद्यनाथन

हमें तीन तथ्यों पर ध्यान देना होग। कृषि वानिकी में उत्पादन, जमीन की उर्वरा शक्ति व अच्छी गुणवत्ता के पौधे। इस दिशा में ध्यान देने की रफ्तार कम है। इसे तेज करना होगा। उद्योगपतियों की पहल का स्वागत है कि वह स्वयं अच्छी लकड़ी के लिए कदम उठा रहे हैं। इस तरह के कदम उठाने की निश्चित ही आवश्यकता है। हम इसके लिए सरकार की ओर नहीं देख सकते हैं। हमें अपने स्तर पर ही कोशिश करनी होगी।

  • सिर्फ सरकार के भरोसे रहने की बजाय खुद प्रयास करने होंगेः गजेंद्र राजपूत

हमें अपना उदाहरण खुद तैयार करना होगा। उद्योग के पास कुछ न कुछ जमीन होती है। वहां नर्सरी उगाई जानी चाहिए। पंचायतों से स्वयं बातचीत कर जमीन लीज पर लेने की कोशिश करनी चाहिए। सरकार अपनी तरफ से प्रयास कर ही रही है। वह होते रहेंगे। पहल उद्योगपतियों को अपने स्तर पर करनी चाहिए। जिसमें नर्सरी और पौधारोपण का ऐसा मॉडल बने जो किसानों को प्रोत्साहित करें। इस तरह का उदाहरण पेश करना आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है।

  • बहुत ही सार्थक बातचीत हुई, पंजाब का लकड़ी आधारित उद्योग सही दिशा में जा रहा हैः सुभाष जौली

इस वेबिनार से यह तथ्य निकल कर आया कि नर्सरी की ओर ध्यान देना होगा। यह जानना सुखद है कि उद्योगपति नर्सरी में निवेश करने के लिए तैयार हो रहे हैं। कई जगह इस दिशा में काम चल रहा है। यह बहुत ही अच्छी बात है। किसानों को लकड़ी के सुनिश्चित दाम देने पर भी सहमति बन रही है। किसान को नियमित आमदनी होने का रास्ता भी साफ हो रहा है। लकड़ी आधारित उद्योग का भविष्य बहुत अच्छा है। भारत में अभी भी लकड़ी की मांग बढ़ने की पूरी संभावना है। आने वाले दस पंद्रह साल तक तो लगातार मांग बढ़ने की पूरी संभावना है।

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