IS: 303 के मानको को अब शायद Hallmark की तरह बनाया जाएगा। Hallmark की मोहर लगाकर उसके साथ 18-20-22 या 24 कैरेट लिखा जाता है। उसी तरह अब IS: 303 में ISI की मोहर के निचे A-B-C-D या इसी तरह की कोई मार्किंग की जाएगी। अभी तक ऐसी कोई सिफारिस नहीं आई है कि इन (A-B-C-D जैसी) मार्किंग के साथ पूरा विवरण भी हो। यह उत्पादक और उपभोक्ता की समझ पर छोड़ दिया गया है।

क्या उपभोक्ता इन मार्किंग के बारे में जानकारी रखना चाहेंगे या फिर उद्योग वितरकों और रिटेलरों के हाथ में चला जाएगा? क्या वितरक अपने फायदे के लिए उत्पादकों से कमतर माल पर उच्च ग्रेड की मार्किंग करवा लेंगें? क्या उत्पादक इस प्रेशर को रोक पाएंगे और कह पाएंगे कि नहीं हम ऐसा नहीं करेंगे? आखिर अभी भी तो बाजार से शिकायतें आती है कि IS: 303 या उससे भी हल्के माल पर IS: 710 लगाकर बेचा जा रहा है। इस पर रोक कैसे लग पाएगी? कौन रोकेगा?

बहुत सारे उद्योगपत्तियों की शिकायत है कि ‘मार्केट सेंपल‘ के नाम पर जो सेंपल BIS द्वारा उटाए जा रहें हैं, BIS अधिकारियों द्वारा उसकी जानकारी उपलब्ध नहीं करवायी जा रही है। जिससे उत्पाद के असल होने पर भी शंका बनी रहती है। जहां से मार्केट सेंपल लिया गया, क्या उसने उद्योग से वास्तव में माल खरीदा था? कहीं उसमें हमारा नकली CML नंबर तो नहीं लगा हुआ था।

नकली और जाली माल का यह खेल बाजार को अस्त व्यस्त तो नहीं कर रहा है? इसी संदर्भ में इस अंक में विस्तृत आलेख पढ़ें और साथ ही ड्यूरो प्लाई के अभिशेक चितलांगिया और सेंचूरी प्लाई के केशव भजनका की टिप्पणी जरूर पढ़ें।

QCO लागू होने का समय नजदीक आता जा रहा है। लेकिन उद्योग संगठनों में सुस्ती छाई हुई है। जिन प्रावधानों से संचालन में दिक्कतें आ सकती है, उन्हें समय रहते हुए दरूस्त ना करवाना आगे चलकर मुश्किलें बढ़ा सकती है।

फ्लस डोर के संबंध में BIS ने जो प्रावधान लागू कर दिए है, उसके अनुसार अब फ्लस डोर के लायसेंस धारक जबड़ा डोर नहीं बना सकते हैं।

इसी तरह शटरिंग प्लाई में प्लाई बनने के बाद फिल्म फेश प्रेसींग करने का प्रावधान रखा गया है। और फिल्म प्रेसींग के बाद प्रीजरवेटिभ ट्रीटमेंट करने की बात रखी गई है।

हालांकि इन दोनों ही मुद्दों पर WTA द्वारा BIS के समक्ष उद्योग की आपत्तियां दर्ज करवा दी गई है।

इन बदलावों पर अभी ध्यान देना इसलिए भी आवश्यक है, क्योंकि समय नजदीक आने पर सारा उद्योग जगत एक सुर में सिर्फ यह ही कह पाएगा कि ‘जो है, जैसा है, उसी स्थिति में QCO लागू कर दिया जाए। क्योंकि तब अंतिम क्षणों में सिर्फ आयात पर प्रतिबंध का मुद्दा ही सभी के लिए अहम हो जाएगा।

सुरेश बाहेती

9050800888


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