Ankur Agrawal
- मई 1, 2021
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SANWALIYA IMPEX LLP
Mr. Ankur Agrawal
Our services comprise of particularly manufacturing Wood Grain designs, Fabrics designs, Liner Grade designs, Metallics, solid colors etc. on papers. We also provide many other laminate paper options. We are committed to provide timely deliveries, quality material, job work satisfaction, customer support, regular factory visits and honest feedback with timely replies.
All in one we are a company of solid work ethos and we constantly innovate to get newer designs and modern touch to our product range.
How a small change affects an industry.
Raw Material cost, specially paper is at its highest peak. Basic reason behind is, anti dumping duty on import of paper. Problem is that local manufacturers cannot fulfill the demand of Indian Laminate Industry, as they have not the required capacity, says Ankur Agrawal.
Why paper prices are on fire?
Paper was used to be imported from china on routine basis. As soon as anti dumping duty was imposed, china stopped the production of paper, required in India. It shifted to manufacturing quality, which was not suitable to Indian Laminate Industry. Sensing heavy demand from India it China increased the rates more than 30 percent.
Only basic paper price increase is the main reason?
Another setback was from shipping corporation, which increased their freight upto six times. It was reported that ships were not getting to their full capacity. Resulting in a massive freight rise. Overall we can say laminate industry is in doldrums.
Encouragement to Indian Industry is the need of the hour.
Programmes of self reliant (make in India) is very aspiring, but implement action without preparation, is paid heavily by the industries. Shortage of raw material has forced manufacturers to cut short their production.
Impact on your finance?
Facilities on payment of raw material is quite reversed in current situation. Paper is in short supply even on advance payment. It seems that, at present Indian Laminates Industry has no option to survive without china. Losses in laminate industries will have to paid heavily by all.
अंकुर अग्रवाल
SANWALIYA IMPEX LLP
लेमिनेट इंडस्ट्री दबाव में
कच्चे माल के दाम बढ़ गए, मैलामाइन, पेपर के रेट आसमान पर
एक छोटा से बदलाव भी किसी इंडस्ट्री को कैसे प्रभावित कर सकता है, इसका उदाहरण है, लेमिनेट इंडस्ट्री। इस वक्त यह इंडस्ट्री खासी दिक्कतों से दो चार हो रही है। तेजी से पेपर की कीमत बढ़ रही है। इसकी वजह यह है कि सरकार ने बाहर से काग़ज मंगवाने पर एंटी डंपिंग ड्यूटी लगवा दी। दिक्क्त यह है कि भारतीय कागज निर्माता तो घरेलु मांग को पूरा नहीं कर पाते। क्योंकि क्षमता कम है, डिमांड ज्यादा।
पेपर के रेट क्यों बढ़े?
पहले चाइना से पेपर मंगवा लेते थे। भारत में अपेक्षाकृत सस्ते पेपर की डिमांड है। जैसी ही चाइना को पता चला कि भारत एंटीड्यूटी लगा रहा है तो उन्होंने भारतीय क्वालिटी के माल का उत्पादन बंद कर दिया। एंटीडंपिंग ड्यूटी की वजह से चाइना ने दूसरी क्वालिटी का उत्पादन ज्यादा बढ़ा दिया। इस क्वालिटी का माल भारत में चलता नहीं था। इस वजह से भारत में माल की कमी पड़नी शुरू हो गयी। अब चाइना ने भारत में चलने वाली गुणवत्ता का कागज तो तैयार करना शुरू कर दिया। अब उसके रेट बढ़ा दिए। करीबन तीस प्रतिशत रेट बढ़ गए हैं।
सिर्फ पेपर के रेट बढ़ना ही मुख्य कारण है?
शिपिंग कारपोरेशन की वजह से भी दिक्कत आ रही है। क्योंकि कोविड की वजह से उन्हें पूरी शिपमेंट नहीं मिल रहे हैं जिससे उनके शिप आधे खाली आते हैं। अब वह खर्चा पूरा करने के लिए कार्टेल बना लिया है, इसलिए अब उन्होंने रेट छह गुणा तक बढ़ा दिए हैं। इस तरह से देखा जाए तो लेमीनेट उद्योग को दोहरी मार पड़ी है। इस वजह से लेमिनेट इंडस्ट्री बहुत ही मंदे का शिकार है। इसके चलते यूनिट बंद हो रहे हैं।
भारती उद्योग को प्रोत्साहन देना भी जरूरी है।
सरकार आत्मनिर्भर भारत की जो योजना बना रही है, वह सही है, लेकिन यह तभी होनी चाहिए जब हमारा उत्पादन इतना हो कि हमारी डिमांड पूरी हो जाए। तब ही इसका फायदा है। क्योंकि यदि आधे-अधूरे इंतजाम से इस तरह की योजनाएं बनी है तो जाहिर है, इसका नुकसान इंडस्ट्री को उठाना ही पड़ेगा। यूनिट संचालकों को अब अपना उत्पादन कम करना पड़ रहा है। क्योंकि कच्चा माल ही नहीं होगा तो जाहिर है, यूनिट बंद होगी। आने वाले समय में दिक्कत और ज्यादा बढ़ सकती है। क्योंकि यदि यही हालात रहे तो काम करना मुश्किल हो जाएगा।
फायनेंस पर असर?
अभी स्थिति यह है दिसंबर से पहले प्रिंटिंग के लिए जो पेपर तीन माह की उधारी पर माल मिल जाता था, अब सारा पैमेंट एडवांस करना पड़ रहा है। इसके बाद भी माल की समस्या आ रही है। यूनिट संचालकों का कहना है कि इस समस्या के लिए पूरी तरह से सरकार की नीति जिम्मेदार है, यदि एंटी डंपिंग ड्यूटी न लगायी जाती तो यह समस्या न आती। न ही चाइना रेट बढ़ाता। अब यह समझ में आ रहा है कि भारत की लेमिनेट इंडस्ट्री का फिलहाल चाइना के बिना गुजारा नहीं है। इसके चलते उन्हें माल के दाम बढ़ाने का मौका मिल गया है। इस वजह से लागत बढ़ गयी है। यदि लेमिनेट इंडस्ट्री नुकसान में जाती है तो जाहिर है, इसका असर सभी पर पड़ेगा।