Anti-Competition Law Must be Strengthened N K Singh
- मार्च 22, 2021
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With the privatisation of public sector undertakings underway, the sale and disinvestment should not distort the principles of competition, 15th Finance Commission Chairman N K Singh said recently while calling for strengthening the Competition Act to evolve the role of the Competition Commission of India (CCI) as an overarching regulator.
Stressing that competition policy is critical for economic framework as the markets are imperfect, Singh said, “It may not be appropriate to have an overarching regulator or override sector regulator, but what about on issues of competition? Who should be the final arbitrator?”
Singh was addressing the sixth edition of the national conference on economics of competition law. The disinvestment and privatisation programme, Singh said, would free valuable financial resources, creating fiscal space for the government for its priority capital expenditure — both physical and social infrastructure — while also generating enhanced competition. On the issue of a handful of companies acquiring most of the stressed assets, Singh said addressing this requires a coherent coordinated approach and the CCI alone cannot do it.
“The Ministry of Finance, which lays down the policy framework, has to be brought in the picture along with financial regulators such as RBI and Sebi.”
प्रतिस्पर्धा नीति आर्थिक ढांचे
के लिए अहम: एनके सिंह
केंद्र के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण चल रहा है। इस बीच 15 वें वित्त आयोग के चेयरमैन एनके सिंह ने 05.02 को कहा है कि बिक्री और विनिवेश से प्रतिस्पर्धा के सिद्धांत विकृत नहीं होंगे। उन्होंने प्रतिस्पर्धा अधिनियमन को मजबूत करने और नियामक के रूप में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग की भूमिका बढ़ाने पर जोर दिया।
उन्होंने आर्थिक ढांचे के लिए प्रतिस्पर्धा नीति को अहम बताया और कहा कि बाजार अपूर्ण हैं। उन्होंने कहा, ‘संभवतः व्यापक नियामक या ज्यादा ताकतवर सेक्टर नियामक उचित न हो, लेकिन प्रतिस्पर्धा का क्या होगा, जो अहम है? इस मामले में अंतिम निर्णायक कौन होगा?’
प्रतिस्पर्धा कानून की अर्थव्यवस्था पर आयोजित छठे राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए सिंह ने यह कहा। सिंह ने कहा कि विनिवेश और निजीकरण के कार्यक्रम से मूल्यवान वित्तीय संसाधन मुक्त होंगे, सरकार को राजकोशीय सहारा मिलेगा जिससे वह प्राथमिकता वाले पूंजीगत व्यय भौतिक और सामाजिक बुयिादी ढांचे पर कर सकेगी और साथ ही प्रतिस्पर्धा भी बढ़ा सकेगी।
उन्होंने यह भी कहा कि बाजार का दबदबा सुनिश्चित करने से प्रतिस्पर्धा आयोग के समक्ष चुनौतियां बढ़ेंगी। महज कुछ कंपनियों द्वारा दबाव वाली संपत्तियों के अधिग्रहण के मसले पर सिंह ने कहा कि इसके लिए समन्वित तरीके की जरूरत है।