प्लाईवुड की तरह कागज उद्योग भी आयात से परेशान है। भारत के सबसे बड़े कागज निर्माता जेके ग्रुप के प्रमुख हर्ष पति सिंघानिया ने हाल ही में कहा, कि कागज की मांग बढ़ रही है, लेकिन मुनाफा कम हो रहा है। उद्योग की बेहतरी के लिए सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए। उनका इशारा बीआईएस की गुणवत्ता मानकों की ओर था। क्योंकि सरकार ने हाल ही में लकड़ी उद्योग को मजबूती प्रदान करने के लिए, अनिवार्य बीआईएस प्रमाणपत्र लागू किया है, जिससे आयात पर प्रतिबंध लगेगा।

उन्होंने यह भी आशंका जाहिर की, कि जिस तरह से अमेरिका अपने स्वदेशी उद्योग को लेकर आक्रामक नीति अपना रहा है। और उसने यदि वहां आयातित विदेशी कागज पर टैरिफ को बढ़ा दिया, तो अमेरिका को कागज निर्यात करने वाले देश खासकर कुछ एसियन देश, जिन्होंने अपनी उत्पादन क्षमता में काफी वृ़ि़द्ध की है, भारत में अपने माल की आपूर्ति बढ़ाते डंप कर सकते हैं। जो भारतीय कागज उद्योग के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है।

इसके अलावा उन्होंने आयात होने वाले माल की गुणवत्ता जांच करने की मांग सरकार से करते हुए कहा कि इससे निपटने के लिए नीति बनानी चाहिए। भारत का कागज बाजार 230 लाख टन का है। इसमें पैकैजिंग बोर्ड, प्रिंटिंग और राइटिंग और राइटिंग पेपर के साथ न्यूज प्रिंट भी शामिल है।

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इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि कागज उद्योग को सबसे बड़ी चुनौती यह आ रही है, कि उनके द्वारा प्रोत्साहित कृषि वानिकी व पौधारोपण से जो लकड़ी उगाई जा रही है, उसका बड़ा हिस्सा लकड़ी उद्योग खासतौर पर प्लाईवुड व पैनल उद्योग में इस्तेमाल हो रहा है। जिससे लकड़ी की मांग के साथ साथ उसकी कीमत भी दोगुना से ज्यादा हो गई है।

उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि प्लाईवुड उद्योग अपनी कच्चे माल की आपूर्ति के लिए कृषि वानिकी के विकास पर आवश्यक समुचित ध्यान नहीं दे रहा है। बल्कि अभी तक कागज उद्योग द्वारा प्रोत्साहित या किसानों के स्वविवेक पर आधारित कृषि वाणिकी पर ही निर्भर है।

इसके समाधान और उद्योग की प्रगति के लिए, लकड़ी उद्योग को भी कृषि वानिकी को बढ़ावा देने की दिशा में युद्ध स्तर पर काम करना चाहिए। क्योंकि वृक्षारोपण और कृषि वानिकी ही एकमात्र विकल्प है, जो न सिर्फ प्लाईवुड उद्योग को राहत प्रदान कर सकता है, बल्कि इससे कागज उद्योग समेत पूरे लकड़ी उद्योग को भी लाभ मिलेगा। साथ ही बंजर जमीन में पौधारोपण के साथ साथ सामूहिक स्तर पर पौधरोपण को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि कागज उद्योग के साथ साथ समस्त पेनल उद्योग को एकजुट होकर इन उपायों पर तुरंत अमल करने की आवश्यकता है।


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