Avtar Singh Bhullar – MDF is occupying only non branded plywood market
- अप्रैल 7, 2022
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MDF is occupying only
non branded plywood market
How is MDF replacing Plywood so quickly?
Customers are now moving towards MDF. This shift from plywood was not without reason. There was a huge demand for plywood in the market and the majority of plywood that was available in the market was of inferior quality. Majority of plywood sellers slapped their brand names on cheap quality plywood and sold it in the market whose brunt had to be borne by poor customers. With the release of MDF, customers have a better alternative to plywood because MDF is produced in an automated plant which removes any chances of defects & human error. This high quality manufacturing is what makes MDF better than Plywood.
Are you just reaping the benefits of selling a defect free product?
That’s just the nature of the market. When we entered the market, we were competing with cheap plywood but overtime we upgraded and improved our product and MDF is now competing with local premium brands too. MDF can be categorized into three segments – interior grade, exterior grade & premium grade. All three segments are competing & thriving in their respective markets with other varieties of plywood.
Do you see any competition from Particle Board ?
Furniture manufactures are now leaning towards both MDF & Particle Boards but Particle Boards are less popular in north India compared to MDF. Particle Boards have different varieties; it’s categorized based on the raw material used in the manufacturing which can be either Bagsee or wood. There are three layers of wood in Particle Board which is what makes it more costly. Particle Boards are also preferred by OEMs, not much by the regular customer. It’s also worth mentioning that CNC can be put to good use in MDF & Particle Boards but not in plywood.
Share some insights on the production & consumption behavior in North & South India.
All major brands like Century, Green & Action are manufactured in North India and manufacturing capacity will see a boost in the coming future. We’re also awaiting the delicensing policy from the UP Government which’ll give way to more opportunities.
The consumer behavior is such that when plywood was introduced, people who could not afford wood switched to plywood. People who could afford wood have stayed with wood but that hasn’t deterred plywood from making its own identity in the market. Similarly those who can afford expensive plywood will stay with plywood but those who can’t will switch to MDF. We’ll continue to see shifts like these.
This shift poses a big market challenge. Whenever the market for a certain product increases, the demand for it also increases. The future of MDF looks bright because it’s in demand among the middle class of the society. The branded plywoods which are compromising on quality will face a stern challenge from the growing demand of MDF.
Is MDF just popular in North India ?
There are three types of MDF: Top segment, Middle segment & Interior Grade. The demand for Interior Grade is 50% and the rest of the segments have a combined share of a The sales of MDF in North India are looking good with sufficient availability for the future. South India still has a low MDF production due to poor consumption & demand. The transportation of goods from North to South is also not very profitable. Longer the distances, lesser the profits. Transporting plywood to even a few thousand kilometers is not a rational decision from a business point of view.
What’s the situation on the availability of raw materials?
MDF is not facing any shortage of raw materials currently in both North & South India but the future may look grim due to increased demand. Agroforestry is the only way we can save this trade. We have to pay more attention to plantation areas. States like Haryana & many others are seeing a new beginning in agroforestry which is a saving grace for the industry.
Century Ply has taken several programs on agroforestry and our chairman Mr Sajjan Bhajanka is taking several steps towards making this mission successful by participating in this project personally. Our aim is to grow twice what we consume through agroforestry.
We would like to thank Subhash Jolly, President, Wood Technologist Association & PLY Insight for organizing webinars and motivating the industry about agroforestry.
नान ब्रांडेड प्लाईवुड के बाजार पर
MDF की हिस्सेदारी बढ़ रही है
MDF की भागीदारी प्लाईवुड के मुकाबले क्यों बढ़ रही हैं?
ग्राहक का रुझान अब MDF (एमडीएफ) की ओर हो रहा है। प्लाईवुड से उसका विश्वास थोड़ा कम हो रहा था। लेकिन इसकी वजह भी है। वजह यह है कि प्लाईवुड की क्वालिटी पर ध्यान नहीं दिया जा रहा था। ज्यादातर प्लाईवुड निर्माता को क्वालिटी की ओर ध्यान देने की आवश्यकता ही नहीं थी, क्योंकि डिमांड ही इतनी थी। बस अपना ब्रांड लगाया और मार्केट में माल उतार दिया। एक वक्त तक तो कस्टमर की मजबूरी थी, लेकिन अब एमडीएफ आ गया तो लोगों के पास अब विकल्प है। इसलिए जैसे जैसे ग्राहक को विकल्प मिल रहा है, वह एमडीएफ पर शिफ्ट हो रहा है। एमडीएफ मशीन से बना हुआ है तो, जाहिर है मशीन द्वारा बने हुए MDF में मानव कृत गलतियों की संभावना कम हो जाती है। इसलिए भी एमडीएफ प्लाईवुड पर भारी पड़ रहा है।
क्या सिर्फ डिफेक्ट फ्री होने का फायदा मिल रहा है ?
वैसे यह तो स्वाभाविक तौर पर होना ही था, क्योंकि मार्केट का पैटर्न बदलता रहता है। हालांकि यह बात भी सही है ,की एमडीएफ की शुरुआत में हमारा कंपटीशन लोकल सस्ते प्लाईवुड से था। लेकिन अब लोकल प्रीमियम प्लाईवुड से भी हमारा कंपटीशन है। एमडीएफ को भी हम तीन कैटेगरी में बांट सकते हैं। इंटीरियर ग्रेड, एक्सटीरियर ग्रेड और प्रीमियम ग्रेड।
तीनों कैटेगरी का एमडीएफ, प्लाई के अलग-अलग वैरायटी से कंपीटिशन कर रहा है। Interior ग्रेड का एमडीएफ उस प्लाईवुड के साथ कंपटीशन करता है जिस की गुणवत्ता अपेक्षाकृत कम है।
पार्टीकल बोर्ड से भी चुनौती मिलेगी?
फर्नीचर बनाने वाले अब पार्टिकल बोर्ड और एमडीएफ पर Shift हो रहे हैं। हालांकि उत्तरी भारत में पार्टिकल बोर्ड कम चलता है। उत्तर भारत में एमडीएफ की ज्यादा डिमांड है। पार्टिकल बोर्ड में भी तीन-चार रेंज है। इसमें जो कच्चा माल यूज़ करते हैं, उससे भी इसकी क्वालिटी डिफाइन होती है। पार्टीकल बोर्ड या तो बगास से बनती है या फिर Wood से Wood Layer से बनने वाली पार्टीकल बोर्ड में चूंकि लकडी की तीन परते होती है ,इसलिए वह अपेक्षाकृत महंगा होता है। वैसे भी पार्टीकल बोर्ड आम आदमी नहीं खरीदते, बल्कि OEM द्वारा ऑफिस फर्नीचर बनाने में इसका प्रमुख तौर पर उपयोग होता है। उल्लेखनीय है कि CNC मशीन का उपयोग MDF और पार्टीकल बोर्ड पर तो हो सकता है लेकिन प्लाइवुड पर कठिन है, या ना के बराबर है।
नोर्थ और साउथ में उत्पादन और खपत का अन्तर ?
नोर्थ में एमडीएफ के प्लांट ज्यादा लगे हुए हैं। सेंचुरी ग्रीन एक्सन सभी ब्रांड के प्लांट नोर्थ में ही है। आने वाले दिनों में उत्पादन और बढ़ना है। यूपी में जैसे ही लायसेंस खुलेगा, तो इसकी बाढ़ आ सकती है। यह कहना गलत नहीं होगा कि तब शायद कम गुणवत्ता की प्लाईवुड का कस्टमर एमडीएफ में तब्दील हो जाएगा।
मार्केट का Behaviour बदलता रहता है, जैसे जब प्लाईवुड आया था ,तो, जो लोग लकड़ी अफोर्ड नहीं कर सकते थे, वह प्लाईवुड पर शिफ्ट हो गए थे। लेकिन जो लकड़ी अफोर्ड कर सकते थे, वह तब भी लकड़ी पर रहे। अब भी हैं। लेकिन धीरे धीरे प्लाइवुड ने अपनी खुद की पहचान बना ली।
इसी तरह से, अब जो लोग अच्छी क्वालिटी का प्लाईवुड अफोर्ड कर सकते हैं, वह प्लाईवुड पर ही रहेंगे। लेकिन जो महंगा प्लाईवुड अफोर्ड नहीं कर सकते, वह एमडीएफ पर शिफ्ट हो जाएंगे। आने वाले दिनों में इसी तरह से Conversion होता रहेगा। यह मार्केटिंग की चुनौती भी है। जैसे ही लोग और मिडिल क्लास में किसी भी चीज की मार्केट बढ़ती है, उसी की डिमांड बढ़ती है। अब इस तबके की डिमांड एमडीएफ की है, इसलिए एमडीएफ का भविष्य काफी अच्छा नजर आ रहा है।
यह कहना गलत नहीं होगा कि अभी ब्रांडेड प्लाईवुड को किसी तरह की दिक्कत नहीं है।लेकिन जो नॉन ब्रांडेड प्लाईवुड है और क्वालिटी से समझौता कर रही हैं, उन्हें एमडीएफ से दिक्कत बनी रहेगी।
एम डी एफ का बाजार नोर्थ ही है ?
हम तीन तरह का एमडीएफ बना रहे हैं। टॉप सेगमेंट मिडिल सेगमेंट एंटीरियर ग्रेड। इंटीरियर ग्रेड की डिमांड 50 प्रतिशत है, लेकिन जो बाकी के ग्रेड है उसका मार्केट शेयर 50 प्रतिशत है।
नार्थ में एमडीएफ की सेल में कोई प्रॉब्लम नहीं है, इसकी Availability भी पर्याप्त मात्रा में है। साउथ में अभी एमडीएफ का उत्पादन कम है। क्यों कि वहां खपत भी कम है। दिक्कत यह भी है कि नार्थ से साउथ में माल लेकर जाना फायदे का सौदा नहीं है। क्योंकि तब किराया ज्यादा लग जाएगा। प्लाईवुड में भी यही कंसेप्ट है। क्योंकि जितनी दूरी होगी, तो किराया बढ़ जाएगा। उसकी कॉस्ट बढ़ जाती है। प्लाईवुड भी एक हजार किलोमीटर से ज्यादा दूर पर भेजना तर्कसंगत नहीं है।
रा मेटेरियल की उपलब्धता ?
एमडीएफ के लिए रॉ मटेरियल में फिलहाल किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं है। नार्थ में भी और साउथ में भी। हां भविष्य में हो सकती है जब उत्पादन में वृद्धि होगी। इसके लिए प्लांटेशन बढ़ाने की तरफ ध्यान देना होगा। हरियाणा के साथ साथ संपूर्ण भारत में एग्रोफोरेस्ट्री को लेकर नई शुरुआत हो रही है। क्योंकि आने वाले दिनों में एग्रोफोरेस्ट्री ही इस ट्रेंड को बनाए रखेगा। इसलिए एग्रोफोरेस्ट्री पर काम करने की सख्त जरूरत है।
सेंचूरी प्लाई ने एग्रोफोरेस्ट्री के लिए कई प्रोग्राम ले रखे हैं। हमारे चेयरमेन सज्जन भजनका जी, निजी तौर पर भी सक्रिय होकर इस मीशन को सफल करने के लिए, विशेष तौर पर ध्यान दे रहें हैं। क्योंकि आने वाले दिनों में स्वयं Century Ply को ही कच्चे माल की आवश्यकता बढ़ जायेगी। हमारा लक्ष्य इस ओर है कि हमारी जरूरत का दुगुना हम Agroforestry में उगा सकें।इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सेंचुरी प्लाई सतत् प्रयत्नशील है।