avtar singh bhullar

Avtar Singh Bhullar

avtar singh bhullar


MDF / Particle Board Industry Believes Good Days Are Ahead.


The world is not what it used to be. From the lifestyle of the people to the business, everything has changed and there is an atmosphere of uncertainty. Which direction will the business go? Such questions are there in front of every industrialist. In such a situation, PlyInsight has started a series of talks with industrialists. It is trying to understand as how the situation would shape. In the ‘Talk to Industrialists’ series, we had a conversation with Mr. Avtar Singh Bhullar, National Sales Head, Century Prowud, a leading name in the MDF Industry. Here are the excerpts from this conversation:

Will sales be stable or likely to increase in June and July?

I think the work will definitely increase and business will also become normal in two-three months. In the last few days of May, we have done 30 percent of work. We hope that sale will come back on track to a large extent by June. There may be a slowdown in July because the rainy season will start. But business is recovering at its normal and satisfactory speed and there won’t be any problem in the coming months.

So will the prices also increase?

We have not changed the prices at all, neither they have decreased, nor increased. No one increased the rate in the MDF Industry. The way of working is more or less the same and we all decide the prices at our own level. Now, as not many manufacturers are here, there is no price war. Secondly, there is not much of difference in quality level in MDF industry as these boards are made on automatic machines. it is not Labor intensive as in ply manufacturing and technically there is a continuity of quality. Yes, plywood and other producers are definitely increasing rates, but we are not doing so.

If there is a difference in the price of raw material (or wood), will there be a problem?

No. It’s not like that. Because wood rates are generally the same. There is not much manipulation in this. The MDF industry run in a certain way. Raw material is often purchased from the surrounding areas. So there is usually no problem with the rate. To be honest, the way of running and working this industry is a bit different.

Do you think that MDF and Particleboard will be more popular among consumers than Plywood?

Yes, it can happen. Right now, because of the labour problem due to corona, it can cause problems in ply manufacturing. In such a situation, the only option is MDF, hopefully the time will be good. MDF will always have a better future.

What are the possibilities regarding export?

See, we are focusing all the attention in the domestic sector right now. We are not thinking of exports at the moment. As far as imports are concerned, it is not affecting us much. The quality of the board that is being imported right now is not up to the mark. So the rate is also lower. This is the reason why our product demand is high.

We are preparing the products according to the domestic requirement and the usage here. The imported MDF is such that you cannot rely much on its quality. Those who are using such low quality MDF boards, their target are customers who buy goods once. They are not interested whether the customers are coming again or not. They simply move ahead after selling goods. If attention is paid to improve the quality of the imported MDF, rates will certainly increase. So we are not too worried about imports. It Overall, we can say that we do not face much danger from imports.


एमडीएफ/पार्टिकल बोर्ड उद्योग को एक सुनहरे भविष्य का विश्वास


विश्व में हर चीज़ जो पहले जैसी थी, अब नहीं रही। लोगों की जीवनशैली से लेकर उद्योग-धंधे तक, सब कुछ बदल चुका है और कहीं न कहीं एक अनिश्चिता का भी माहौल है। व्यापार किस दिशा में जाएगा, क्या होगा? इस तरह के सवाल हर उद्योगपति के सामने हैं। ऐसे में प्लाइइंसाइट ने उद्योगपतियों से बातचीत की एक सीरिज शुरू की है। इसमें यह जानने की कोशिश हो रही है कि अब जो हालात बन रहे हैं, इस में अपना बेहतर योगदान कैसे दिया जा सकता है। टॉक टू इंडस्ट्रियलिस्ट सीरिज में इस बार एमडीएफ में अग्रणी नाम सेंचुरी प्रोवुड के नेशनल सेल्स हेड श्री अवतार सिंह भुल्लर से बातचीत की गयी। पेश है उन से हुई बातचीत के मुख्य अंश:

जून और जुलाई में बिक्री स्थिर रहेगी या बढ़ने की सम्भावना है?

मेरा विचार है कि काम तो निश्चित रूप से बढृ जाएगा और व्यापार भी दो-तीन माह में सामान्य हो जाएगा। मई के आखिरी दिनों में हमने 30 प्रतिशत काम किया है। हमें उम्मीद है कि अगले जुन माह में सेल काफी हद तक पटरी पर आ जाएगी। जुलाई में दिक्कत आ सकती है क्योंकि तब बरसात का मौसम शुरू हो जाएगा। लेकिन बिजनेस की रिकवरी आ रही है। इसमें कोई समस्या नहीं है।

तो क्या क़ीमतें भी बढ़ेगी?

हमने क़ीमतों को बिलकुल नहीं बदला है, न वो कम हुई है, न ज़्यादा। MDF Industry में किसी ने रेट नहीं बढ़ाया। काम करने का तरीक़ा कमोबेश एक जैसा ही है और कीमतों का निर्धारण हम लोग सभी अपने-अपने स्तर पर करते हैं। अब क्योंकि यहां ज्यादा उत्पादक है ही नहीं, इसलिए मारामारी की स्थिति नहीं रहती है। दूसरे, एमडीएफ उद्योग में गुणवत्ता स्तर का बहुत ज़्यादा फ़र्क़ नहीं है क्योंकि ये बोर्ड ऑटोमैटिक मोड पर तैयार होते है। लेबर की ज़रूरत कम है और तकनीकी रूप से क्वालिटी की निरंतरता बनी रहती है। हाँ, प्लाइवुड और दूसरे उत्पादक जरूर रेट बढ़ा रहे हैं, लेकिन हम ऐसा नहीं कर रहे हैं।

कच्चे माल (या लकड़ी) के दाम में अंतर आता है , तो क्या दिक्कत रह सकती है?

नहीं ऐसा नहीं है। क्योंकि लकड़ी के रेट भी फिलहाल आमतौर पर एक जैसे ही रह रहे हैं। इसमें कोई ज्यादा हेरफेर नहीं हो रहा । बोर्ड की इंडस्ट्री चलाने का एक तरीका है। इसमें अक्सर आस पास के क्षेत्रों से ही कच्चा माल खरीदा जाता है। इसलिए रेट को लेकर आम तौर पर समस्या नहीं रहती है। सच पूछिए, तो इस इंडस्ट्री को चलाने और काम करने का तरीका थोड़ा अलग है।

क्या आपको लगता है कि उपभोक्ताओं में प्लाइउड कम होकर एमडीफ और पार्टिकल बोर्ड अधिक लोकप्रिय होगा?

हां, ऐसा हो सकता है। अभी क्योंकि कोरोना की वजह से मजदूरों की समस्या आ रही है, इससे प्लाइ के निर्माण में दिक्कत आ सकती है। ऐसे में विकल्प के तौर पर बचता है बोर्ड, इसलिए उम्मीद है कि आने वाला समय अच्छा होगा। एमडीएफ का भविष्य बेहतर है।

निर्यात को लेकर क्या संभावनाएं है ?

देखिए, हम अभी पूरा ध्यान घरेलू क्षेत्र में ही लगा रहे हैं। हम निर्यात का फिलहाल सोच नहीं रहे हैं। जहां तक इंपोर्ट यानि आयात की बात है, तो इससे हमें ज्यादा असर नहीं पड़ रहा है। अभी जो बोर्ड इंपोर्ट हो रहा है, उसकी क्वालिटी, माफ़ कीजिएगा, हल्की होती है, इसलिए रेट भी कम होता है। यहीं वजह है कि हमारे उत्पाद की डिमांड ज्यादा है।

हम घरेलू जरूरत और यहां के उपयोग के मुताबिक उत्पाद तैयार कर रहे हैं। आयात का माल ऐसा है कि आप इसकी क्वालिटी पर ज्यादा यकीन नहीं कर सकते। जो ऐसे कम क्वालिटी वाले बोर्ड का इस्तेमाल कर रहे हैं, उनका टारगेट ऐसे कस्टमर्स है जो एक बार माल खरीदते हैं। क्योंकि उन्हें इसका असर नहीं पड़ता है कि कस्टमर्स दोबारा आ रहे है या नहीं। वह बस माल बेच कर आगे निकल लेते हैं। यदि आयात के माल में गुणवत्ता बढाने पर ध्यान दिया जाता है तो निश्चित ही इसके रेट बढ़ जाते हैं। इसलिए आयात को लेकर हम ज्यादा परेशान नहीं है। थोड़ा बहुत अंतर पड़ता है। लेकिन इसे हम इग्नोर ही कर देते हैं। कुल मिला कर हम कह सकते हैं कि हमें इंपोर्ट से ज्यादा खतरा नहीं है।