Bimal Chopra - Metro Group

Poplar has always been a saviour for Yamuna Nagar Plywood Industry


With the grant of license to the timber-based industry in the U.P., the industry in other states of the country is in a dilemma. It has been believed that the units located in Yamuna Nagar, Haryana can be in a more problematic situation. What impact it may be on the country’s plywood industry under the changed circumstances?

Excerpts from the conversation with Bimal Chopra (Director, Metro Ply Group)

Bimal Chopra


There may be shortage of timber due to opening in UP licenses?

Poplar is highly planted in Yamuna Nagar. Significantly Poplar has always strengthened the plywood industry of Yamuna Nagar. Hence, there cannot be any major complications. The Eucalyptus that comes from UP may be a bit expensive but can be purchased easily. So, it doesn’t seem as though there will be a shortage of timber in near future not at least in Yamuna Nagar. Timber can be available in abundance here, although prices may fluctuate.

You are quite confident

Every variety of timber is consumed in the Yamuna Nagar timber market. Thus, the farmers from the surrounding areas prefer to visit this market only. All kinds of quality are sold here- from the best quality to the worst quality. Yamuna Nagar is most likely to be benefitted from the licensing in UP, in my opinion.

So, Timber will be available to all?

I assume that this will weaken UP as the competition will increase there. With an increase in the number of factories, there will be an increased demand for raw materials, which will furthermore increase the competition. Obviously, this can lead to the scarcity of raw materials in short run which will directly impact the market. Their monopoly may also cease.

Challenges in Haryana will not increase?

The industries in UP may foresee similar challenges in the coming days that Yamuna Nagar is facing currently. It will ultimately benefit Yamuna Nagar. We believe the grant of license in UP is favorable to us. Haryana or Yamuna Nagar will not face any kind of problem. Because now only one can survive in the market who have a clear strategy and high quality product.

How will it effect production in Yamuna Nagar?

Manufacturing Units will definitely increase in UP but it may probably decrease in Yamuna Nagar. Some factories or machines may shift from here. Some manufacturers may move there to set up new ventures or to expand themselves, which will increase the production in UP but it may decrease load in Yamuna Nagar. Consequently, we will regain our lost market. This is not going to harm the market.

However, there is a production surplus nowadays and the market is undergoing a recession. Nevertheless, the Yamuna Nagar industry should not be concerned about that. The situation in Yamuna Nagar may turn favorable in the coming days.

Effects of increased poplar rates?

The industry will be benefitted if the price of Poplar drops a bit. New varieties of Poplar is introduced in the market, due to which the industry is expecting to get the raw material at a reasonable price. There is no issue if the cost of Poplar gets stuck at Rs. 1200. A new variety of Poplar has also emerged, known as 109 or 110 that will get ready in 3 years and will probably benefit the industry significantly. This variety is preferred at a higher priced of Rs. 200 to 300, there is benefit in that as well. It is widely grown in Yamuna Nagar and has begun to reach the market as well.

What is your opinion about Eucalyptus?

Due to new entrants in the industry in UP, the demand for Eucalyptus will undoubtedly increase. There is no second thought upon this. Eucalyptus brought from UP will be costlier here. But if we get a sufficient quantity of Poplar locally, then everything will be balanced. Profits can drop slightly, but it will not create any mess. All we have to do is to change our mindset. Yamuna Nagar has always been ahead in plywood and will be in the future. It is also expected that the rates of Eucalyptus and Poplar may come down, but can never reach Rs. 600-700 per quintal. Farmers have nothing to worry about the price of timber because a large number of industries have been established.

How do you see the future of MDF and Particle?

It’s a very short-term income, and the future is not so bright either. It is directly related to import duty and shipping costs. Its import will increase as soon as there are any changes to it, which can challenge the domestic industry. MDF and particle board have taken the market of plywood, but it doesn’t seem possible that they can challenge it in the future. As the production capacity in this segment is increasing perpetually; mutual competition will also increase and perhaps not be as tempting as it is in the present times. Another reason is that it is very difficult for Indian MDF industry to gain a foothold in the international market as it is already very competitive. There are multiple giant companies in the international market who have their private resources to produce and procure raw materials. This explains that future is bright for plywood in India. That is for sure.


युमना नगर प्लाइवुड इंडस्ट्री को बचाने के लिए पॉपुलर ही हमेशा कारगर विकल्प है


यूपी में लकड़ी आधारित इंडस्ट्री को लाइसेंस मिलने से देश में राज्यों की लकड़ी आधारित इंडस्ट्री में खलबली मची हुई है। खासतौर पर हरियाणा के यमुनानगर स्थित यूनिट के बारे में माना जा रहा है कि यहां दिक्कत ज्यादा हो सकती है। बदली परिस्थितियों में देश की प्लाइवुड इंडस्ट्री पर इसका क्या असर पड़ सकता है। जो आशंका जताई जा रही है, वह सही है या फिर ऐसा कुछ नहीं है।

मेट्रो प्लाई ग्रुप के डायरेक्टर, बिमल चोपड़ा से बातचीत के मुख्य अंश।


यूपी में नये उद्योग से लकड़ी की दिक्कत आ सकती हैं?

यमुनानगर क्षेत्र में पॉपुलर काफी मात्रा में लगता है। खास बात यह भी है कि पापलुर ने हमेशा ही यमुनानगर की प्लाइवुड इंडस्ट्री को मजबूती दी है। इसलिए बहुत ज्यादा दिक्कत नहीं आ सकती। यूपी से जो सफेदा आता है, थोड़ा महंगा जरूर हो सकता है लेकिन वह खरीदा जा सकता है। तो ऐसे में आने वाले दिनों में लगता नहीं कि कोई ज्यादा समस्या आएगी। यमुनानगर में कम से कम लकड़ी का अभाव नहीं होने वाला है। यहां पर्याप्त मात्रा में लकड़ी उपलब्ध हो सकती है। हां रेट में जरूर कुछ उतार चढ़ाव रह सकता है।

आप काफी आश्वस्त है

यूं भी यमुनानगर की लकड़ी मंड़ी में हर किस्म की खपत है, इसलिए आसपास के क्षेत्रों के किसान इसी मंडी में ही आना पसंद करतेे हैं। क्योंकि यहां अच्छे से अच्छा माल और खराब से खराब गुणवत्ता का माल बिक जाता है। मेरी राय में अधिक संभावना यह भी है कि यमुनानगर को यूपी में लाइसेंस खुलने का लाभ ही मिलेगा।

तो सभी को लकड़ी की उपलब्धता रहेगी?

मेरा तो अनुमान है कि इससे यूपी का पक्ष ही कमजोर होगा। क्योंकि अब वहां भी कंपीटिशन बढ़ जाएगा। वहां ज्यादा फैक्टरी होगी तो वहां कच्चे माल की डिमांड भीे ज्यादा होगी जिसमें कंपटीशन भी बढ़ जाएगा। जाहिर है, इससे कच्चे माल की दिक्कत वहां आ सकती है। जिसका असर वहां की मार्केट पर आ सकता है। वहां एकाधिकार खत्म हो सकता है।

हरियाणा में परेशानी बढ़ नहीं जाएगी?

यमुनानगर अभी जिन चुनौतियों का सामना कर रहा है, यूपी के उद्योगों को भी आने वाले दिनों में वैसी ही चुनौती सामने देखनी चाहिए। इससे यमुनानगर को अंततः लाभ ही मिलेगा। यूपी लाइसेंस को हम तो पॉजिटिव लेते हैं। इससे हरियाणा या युमनानगर को किसी तरह की परेशानी नहीं है। क्योंकि अब वहीं मार्केट में टिकेगा जिसके पास स्पष्ट रणनीति, उच्च गुणवत्ता होगी।

यमुनानगर के उत्पादन पर क्या असर पड़ सकता है?

यूपी में तो यूनिटें बढ़ेंगी ही अलबत्ता यमुनानगर में युनिट कम हो सकती है। हो सकता है यहां से कुछ कारखानें या मशीने वहां शिफ्ट हो जाएं। कई उद्योगपति भी वहां या तो नए सिरे से या वहां जा कर अपना विस्तार कर सकते है जिससे यूपी में तो उत्पादन बढ़ेगा लेकिन यमुनानगर में कम हो सकता है। जिससे हमें अपना खोया हुआ बाजार फिर से मिल जाएगा। इससे मार्केट को नुकसान नहीं होने वाला है।

हालांकि अभी मार्केट में माल की आपूर्ति ज्यादा है। इन दिनों बाजार में मंदी भी महसूस हो रही है। फिर भी यमुनानगर की इंडस्ट्री को इससे परेशान होने की जरूरत नहीं है। ऐसा लगता है कि आने वाले दिनों में स्थिति यमुनानगर के लिए सुखद हो सकती है।

पोपलर की बढ़ी हुई कीमत से क्या फर्क पड़ रहा हैं?

पोपलर की कीमत यदि थोड़ी कम हो जाए तो इंडस्ट्री को इससे खासा लाभ मिल सकता है। कुछ नई किस्म का पॉपुलर भी आ रहा है। इससे भी उम्मीद की जानी चाहिए कि इंडस्ट्री को कच्चा माल वाजिब दाम पर मिल सकता है। पोपलर के रेट यदि 1200 तक रहते हैं तो दिक्कत की बात नहीं है। पोपलर की एक वैरायटी भी आई है, जो तीन साल में तैयार हो रही है, इससे इंडस्ट्री को खासा लाभ होने की संभावना है। जिसे 109 या 110 के नाम से जाना जाता है। यह किस्म यदि थोड़े ज्यादा दाम यानी की 200 से 300 रुपए अधिक भी दिए जाए तो भी इस किस्म में फायदा है। यह वैरायटी यमुनानगर में बहुत ज्यादा उगाई जा रही है। यह मार्केट में आना भी शुरू हो गई है।

सफेदे को लेकर आपकी क्या राय है?

यूपी में इंडस्ट्री लगने से सफेदे की डिमांड तो बढ़ जाएगी। इसमें कोई दो राय नहीं है। सीधा गणित है, यूपी का सफेदा यहां आकर महंगा ही पड़ता है। यदि यहां पोपलर हमें पर्याप्त मात्रा में मिल जाए तो यह बैलेंस कर देगा। यह हो सकता है कि आय में थोड़ी गिरावट आ सकती है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि दिक्कत आ जाएगी। बस हमें थोड़ी सोच बदलनी होगी। यमुनानगर हमेशा ही प्लाइवुड में आगे रहा है, आने वाले दिनों में भी यह आगे ही रहेगा। उम्मीद यह भी है कि सफेदा और पॉपुलर के रेट कम हो सकते हैं। लेकिन यह 600-700 रुपए प्रति क्विंटल तक अब कभी नहीं आ सकता। क्योंकि फैक्ट्री बहुत लग गई है। इसलिए किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है।

एमडीएफ और पार्टिकल के भविष्य को लेकर क्या सोचते है?

इनका भविष्य कोई बहुत अधिक सुखद रहने वाला नहीं है। यह बहुत ही शार्ट टर्म कमाई है। आयात शुल्क और शिप के किराए से इसका सीधा संबंध है। जिसमें कोई परिवर्तन आते ही इसका आयात पहले की तरह बढ़ सकता है, जो घरेलु उद्योग को चुनौती दे सकता है। एमडीएफ और पर्टिकल बोर्ड ने प्लाईवुड का मार्केट तो लिया है, लेकिन भविष्य में यह आने वाले वक्त में चुनौती दे पाएंगे यह संभव नहीं लग रहा है।  क्योंकि इस सेगमेंट में उत्पादन क्षमता लगातार बढ़ रही है। जिससे इनका आपसी कम्पीटिसन बढ़ेगा और यह उतना लुभावना शायद ना रहे जितना आज है। दूसरी वजह यह है कि भारत का एमडीएफ अंतरराष्ट्रीय मार्केट में अपनी पैठ बना सके इसका रास्ता काफी मुश्किल भरा है। क्योंकि अंतराष्ट्रीय बाजार में पहले ही काफी कम्पीटिसन है। भारत के मुकाबले कई गुनी बड़ी कंपनीयां इस क्षेत्र में हैं जिनके पास कच्चे माल का निजी स्त्रोत्त है। इसलिए भारत में आने वाला समय प्लाईवुड का है। इसमें कोई दो राय नहीं है।

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