BL JAIN – BLJ PLYLAM MARKETING PVT LTD
- जनवरी 10, 2023
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Industry have to make extra effort for tree plantation
Market condition
There is practically no business in the market, especially when it comes to high-quality goods. Low-quality goods are, however, being traded to some extent. The influx of cheap goods from Bihar and Nepal has increased as goods from Yamuna Nagar and UP are expensive at the moment. This has revitalized factories in these regions.
Reason behind the problem
The market has resumed the trend to buy low standard products. Even a well-to-do think twice before spending a penny. People had spent wholeheartedly during the pandemic of Covid. Construction was at full boom at that time. People had used their time and savings judiciously. Increased inflation is evident across the market. Income among all groups in the society has declined, whether it’s a businessman or an salaried person. I believe the market cannot recover until people will re accumulate savings. Only then will people spend with ease. Nonetheless, people are traveling, which I think is due to the fact that they had been trapped inside four walls over the last two years. They are using their time in traveling due to less workload in their business.
North India has declared an increase in rates
There are reports of an increase in rates of shuttering and another ply from northern India. I do not think that the rates can increase at the moment because there is no demand for the goods in the market. I think there are reasons for this. One, Covid has knocked again. The second and main reason is that almost everyone has enough stock of the goods in their godown so there is no pressure on anyone to buy the goods. Everyone would like to wait for some time before making any genuine purchase. Even if there is some momentum in the market, many big dealers have enough stock for the next 3-4 months.
Role of MDF
MDF has largely conquered the market of thin plywood which was the need of the hour. Thinner plywood was not meeting cost to the producers. The dominance of plywood in thick materials is still prevailing and cannot be challenged in the next few years.
How is the quality
We are probably the only dealer across India who sell only PF products, that too sourced from a handful of well-trusted factories. When there is fluctuation in the market prices, Complaints in most of the MR’s goods is aggravated. Many dealers have the opinion that when factories sell the goods at slashed prices, they compensate for the reduced costs with lower quality goods. They sell goods of inferior quality as compared to the bargained for, which obviously gives rise to complaints and tension. Mutual harmony and the credibility of the producers decreases Due to this.
How will you conclude?
Northern India, especially the people of Yamuna Nagar, is very optimistic about the future. They believe that they will regain their supremacy in the market as soon as the arrival of timber will improve. However, it sounds like a herculean task considering the current condition. The industry is not making any effort on its part in tree plantation. The responsibility of tree plantation lies either on the farmers or the government. This negligence may cost dearly to the timber industry. They should make extra collective efforts to plant trees vigorously to regain their lost position at the earliest possible.
उद्योग को वृक्षारोपण के लिए अतिरिक्त प्रयास करना होगा
कोविड के समय में लोगों ने खुलकर खर्च किया था। उस समय कंस्ट्रक्शन काफी जोरों पर चला था। लोगों ने अपने समय का भी उपयोग किया था और अपनी बचत का भी।
बाजार कैसा है?
बाजार में बिल्कुल शांति है, कोई हलचल नहीं है, खासकर अच्छे माल में। हल्के माल में थोड़ा बहुत काम हो रहा है। इसमें भी हलचल इसलिए देखी जा रही है, क्योंकि यमुना नगर और यू.पी. क्षेत्र का माल महंगा होने से बिहार नेपाल आदि क्षेत्रों से सस्ते माल की आवक बढ़ गई है। इन क्षेत्रों की फैक्ट्रियों में फिर से जान आ गई है।
दिक्कत क्यों आ रही है?
बाजार में एक बार फिर से काम चलाऊ माल लेने का ट्रेंड आ गया है। अच्छे-अच्छे व्यापारी घरों के लोग पैसे खर्च करने से पहले 10 बार सोच रहे हैं। कोविड के समय में लोगों ने खुलकर खर्च किया था। उस समय कंस्ट्रक्शन काफी जोरों पर चला था। लोगों ने अपने समय का भी उपयोग किया था और अपनी बचत का भी। बढ़ी हुई महंगाई का असर पूरे बाजार में दिख रहा है। लोगों की आमदनी कम हुई है, चाहे वह व्यापारी वर्ग हो या नौकरी पेशा। मेरी धारणा है कि व्यापार तभी खुलेगा जब लोगों के पास कुछ बचत इकट्ठी हो जाएगी। तभी लोग सहजता पूर्वक खर्च करेंगे। हां लोग यात्रा पर निकल रहे हैं घूमने फिरने। इसकी वजह मुझे समझ आती है कि लोग 2 सालों से घर में बंद पड़े थे। और व्यापार में काम कम होने पर जो समय निकल रहा है उसे घूमने फिरने में खर्च कर रहे हैं।
उत्तरी भारत में रेट बढ़ाए गए हैं
शटरिंग एवं दूसरी प्लाई में उत्तरी भारत से रेट बढ़ने के समाचार आ रहे हैं। मुझे नहीं लगता की फिलहाल रेट बढ़ पाएंगे। क्योंकि बाजार में माल का उठाव ही नहीं है। इसकी दो वजहें मुझे समझ आ रही है। एक तो कोरोना का नाटक फिर से चालू हो गया। दूसरी जो मुख्य वजह है प्रायः सभी के पास गोदामों में सफिशिएंट माल भरा हुआ है। जिससे किसी को माल लेने का दबाव नहीं है। हर खरीददार रुक कर ही माल लेना पसंद करेगा। कई बड़े डीलर ऐसे भी हैं, जिनके पास अगले तीन-चार महीने तक के लिए माल पड़ा है, अगर सही से काम चल पड़ा, तब भी।
MDF की क्या भूमिका है?
एमडीएफ ने पतले प्लाई के मार्केट को मुख्य रूप से कैप्चर किया है। यह आवश्यक भी था। क्योंकि पतली प्लाई उत्पादकों को कॉसिं्टग में नहीं आ रही थी। मोटे माल में प्लाईवुड का वर्चस्व अभी भी है और अगले कई सालों में इसे तोड़ा नहीं जा सकता।
क्वालिटी कैसी आ रही है
हम शायद पूरे भारत में अकेले डीलर होंगे जो सिर्फ पी एफ का माल ही बेचते हैं। वह भी गिनी-चुनी अच्छी विश्वसनीय फैक्ट्रियों से लेकर। जब बाजार में रेट में फर्क आना शुरू हो जाता है, तो अधिकतर एम आर के माल में कंप्लेन आनी शुरू हो जाती है। कई डीलरों का कहना है कि रेट तोड़कर जब फैक्ट्रियां माल देते हैं, तो कमतर क्वालिटी का माल भर देते हैं। जो सौदा तय करके जाते हैं उससे अलग हल्का माल भर देते हैं। तो उसमें शिकायत आना और आपस में तनाव होना स्वभाविक है। इससे आपसी सद्भाव कम होता है और उत्पादकों की विश्वसनीयता भी घटती है।
क्या संदेश देना चाहेंगे?
उत्तरी भारत खासकर यमुना नगर वाले भविष्य के लिए काफी आशावान हैं कि जैसे ही टिंबर की आमदनी थोड़ी सी सहज हो जाएगी, वैसे ही दुबारा बाजार में अपना आधिपत्य जमा लेंगे। आज के दिन की स्थिति देखते हुए ऐसा होना काफी मुश्किल लग रहा है। खासकर जो दिखने में आ रहा है कि वृक्षारोपण में अपनी ओर से इंडस्ट्री कोई प्रयास नहीं कर रही है। या तो किसानों के भरोसे हैं या सरकार के। हो सकता है यह लापरवाही उन्हें काफी महंगी पड़े। उन्हें वृक्षारोपण के लिए पूरे जोर-शोर से अतिरिक्त सामूहिक प्रयास करना चाहिए। ताकि जल्दी से जल्दी वो अपना खोया हुआ मुकाम हासिल कर सकें।