Both technology and technicians can restrain the cost of production – Editorial
- अप्रैल 8, 2023
- 0
Both technology and technicians can restrain the cost of production. In today’s scenario, when raw material cost has become a major part of our total cost, it is very important to control wastage with special attention and then make it a habit.
The market is in the grip of a prolonged recession. There are two aspects to this. As seen from the top, the ever-increasing GST collection reflects the increase in industrial production. But on the other hand, apart from the plywood and panel industry, many other segments are also distressed. Apart from the increasing dominance of e-commerce, the changing definitions and practices in the global market are also important factors.
After the hike in shipment cost as affect of Covid, Effect of Russia Ukraine war. The backlash of immediate measures to deal with Covid by various major economies, resulting in the bankruptcy of several major banks, are a number of incidents that are directly or indirectly affecting the Indian market.
Indian entrepreneurs are very intelligent and patient. But due to the present unprecedented circumstances, everyone is also confused. It is a fact that the supply in the market is more than the demand. First of all it has to be controlled. Industrialists in many states have decided to reduce production. If all the entrepreneurs follow this brave decision, with mutual understanding, then perhaps the demand-supply gap can be reduced to some extent.
Apart from this, proper and complete utilization of raw materials by preventing wastage in production is the vital need of the hour. For this, the use of modern and ultra technology is necessary, and on the same time the role of skilled craftsmen also becomes very important. Both technology and technicians can restrain the cost of production. In today’s scenario, when raw material cost has become a major part of our total cost, it is very important to control wastage with special attention and then make it a habit.
सुरेश बाहेती
9050800888
तकनीक और तकनीशियन दोनों ही, उत्पादन लागत को संयमित करते हैं। आज के परिदृश्य में, जब कच्चे माल की लागत, हमारी कुल लागत का एक बड़ा हिस्सा बन गया है, इस ओर विशेष ध्यान देकर अपव्यय को नियंत्रित करना और फिर इसकी आदत बना लेना, बहुत आवश्यक है।
बाजार एक लंबी समय से चली आ रही मंदी की गिरफ्त में है। इसके दो पहलू हैं। ऊपर से निगाह डाली जाए, तो लगातार बढ़ता हुआ जीएसटी (GST) संग्रह औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि दर्शाता है। लेकिन दुसरी ओर प्लाइउड और पैनल उद्योग के अलावा, बहुत सारे अन्य सेगमेंट भी व्यथित हैं। ई-कामर्स के बढ़ते वर्चस्व के अलावा, वैश्विक बाजार में बदलती परिभाषाओं और तौर तरिके भी इसके अहम् कारक हैं।
कोविड से प्रभावित सामुद्रिक परिवहन लागत में वृद्धि के बाद रूस युक्रेन युद्ध का प्रभाव। कोविड से निपटने के लिए, विभिन्न बड़ी अर्थव्यवस्थाओं द्वारा तात्कालिक उपायों का अब पलट वार, जिसमें कई बड़े बैंकों का दिवालिया हो जाना, ऐसी बहुत सारी घटनाएं हैं, जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से भारतीय बाजार को प्रभावित कर रही हैं।
भारतीय उद्यमी काफी समझदार और धैर्यवान हैं। लेकिन वर्त्तमान परिस्थितियां अभूतपूर्ण होने के कारण सभी असमंजस में भी हैं। यह तो निश्चित तथ्य है कि बाजार में आपूर्ति, मांग से अधिक है। सबसे पहले तो इसे ही नियंत्रित करना पड़ेगा। कई राज्यों में उद्योगपत्तियों ने उत्पादन में कमी करने का निर्णय लिया है। अगर सभी उद्यमी मिलकर, आपस में सहमति बनाते हुए, इस स्वागत योग्य निर्णय का पालन करें, तो शायद कुछ हद तक मांग-आपूर्ति के अंतर को कम किया जा सकता है।
इसके अलावा उत्पादन में अपव्यय को रोकते हुए, कच्चेमाल का समुचित और संपूर्ण रूप में इस्तेमाल, आज की महत्वपूर्ण जरूरत है। इसके लिए आधुनिक और त्वरित तकनीक का इस्तेमाल तो आवश्यक है ही, दक्ष कारीगरों की भूमिका भी काफी महत्वपूर्ण हो जाती है। तकनीक और तकनीशियन दोनों ही, उत्पादन लागत को संयमित करते हैं। आज के परिदृश्य में, जब कच्चे माल की लागत, हमारी कुल लागत का एक बड़ा हिस्सा बन गया है, इस ओर विशेष ध्यान देकर अपव्यय को नियंत्रित करना और फिर इसकी आदत बना लेना, बहुत आवश्यक है।
सुरेश बाहेती
9050800888