यात्रियों के हितों को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत कवर किया गया है। अधिनियम के तहत उपभोक्ता वह है, जो यात्रा कर रहा है, या सेवा ले रह है, दूसरी पार्टी उसे माना गया, जिससे यात्रा करने या सेवा देने के बदले में लाभ मिल रहा है।

फिर भी यात्रियों के अधिकारों की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इस तरह से देखा जाए तो भारत में एक यात्री सुरक्षा कानून बनाने की आवश्यकता है। कुछ लोग यह बोल सकते हैं कि जब इतने कानून है उन्हें ही अच्छे से लागू नहीं किया जा रहा है, ऐसे में एक नया कानून क्या कर सकता है।

लेकिन जानकारों का कहना है कि अलग से कानून बने व इसके लागू करने के लिए एक नियामक होना चाहिए। यहां यात्रियों के मुद्दे, शिकायतों और अधिकारों के उल्लंघन के मामले रख कर उनका निवारण कराने की दिशा में काम होना चाहिए।

इसका बड़ा उदाहरण है:

रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम 2016 इस अधिनियम के बाद रियल एस्टेट में खरीदारों के लिए शिकायत करना आसान हो गया। उनकी शिकायतों को दूर किया जा रहा है। बिल्डरों की मनमानी पर रोक लगी है। घर खरीदने वालों के हितों की रक्षा होना संभव हुआ है। इसी तरह से एक अधिनियम यात्री परिवहन की निगरानी के लिए भी होना चाहिए। जो, यात्रियों के अधिकार और सुरक्षा को सुनिश्चित करे। यह सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में हवाई, जमीन या पानी से यात्रा करने वाले यात्रियों के हक सुरक्षित करें और कंपनियों की मनमानी पर रोक लगाए।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 भारत में, आपदा से निपटने के लिए बनाया गया। यह अधिनियम 2024 में हिंद महासागर में आई सुनामी के बाद बनाया गया था, जिसमें देश में 10,000 से अधिक लोग मारे गए थे।

कारखाना (संशोधन) अधिनियम 1987 भोपाल गैस रिसाव के बाद हुए जान व माल के नुकसान के बाद बनाया गया था। जिसमें खतरनाक पदार्थों से निपटने वाले कारखानों में सुरक्षा मानकों को बढ़ाने पर केंद्रित है।

वन संरक्षण अधिनियम 1980 चिपको आंदोलन के बाद अस्तित्व में आया। वनों की कटाई और पर्यावरणीय चिंताओं को इस अधिनियम के तहत रखा गया।

जिस तरह से हादसे हो रहे हैं, इसमें कई बार यात्रियों की जान भी चली जाती है, इसके साथ ही परिवहन कंपनियों व कर्मचारियों की मनमानी की ऐसी अनेक घटनाएं हो चुकी है, जो इस धारणा को और ज्यादा मजबूत करती है कि एक कानून तो होना ही चाहिए। इस पर अब चुप नहीं रहना चाहिए। यूं भी जब एक विकासशील अर्थव्यवस्था में जन्म के बाद, एक राष्ट्र के रूप में, जब हम अगले एक दशक में 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की राह पर हैं, तो क्या हम अपने यात्रियों को भी इस विकास का लाभ उनके हित सुरक्षित करके नहीं दे सकते क्या?