Import

Prime Minister Narendra Modi has expressed concern over the expenditure on imports that burden the taxpayers, so it is time to work in ‘mission mode’ to make India self-reliant and reduce import dependence.

Modi said that it is important for India to be self-reliant because disturbances in exporting countries affect India badly, as happened when war broke out between Russia and Ukraine.

Modi said, “India’s biggest expenditure on imports today includes edible oil, fertilizers and crude oil, for which lakhs of crores of rupees have to be paid every year to other countries.” Apart from this, many types of chemicals, electronic products, wood and wood products, machinery, etc. are still imported in abundance.

It is absolutely necessary to have competitive production of all these products in the country. “If there is a problem abroad, it affects us badly too.”

Modi said the government is spending Rs 2.5 crore this year on import of fertilizers so that Indian farmers are not affected by high global prices. He also said that the farmers of the country should not be burdened and no new crisis should come on them, that’s why the government brings urea from outside for Rs.70-80 and supplies it to the farmers for Rs.5-6.

The Prime Minister said that not only this, the Central Government stopped the black marketing of urea by coating it with 100 percent neem and restarted six big urea factories of the country which were closed for years.


आयात खर्च पर चिंता


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयात पर होने वाले खर्च को लेकर चिंता जताई कि इससे करदाताओं पर बोझ पड़ता है, लिहाजा यह समय भारत को आत्मनिर्भर बनाने और आयात की निर्भता कम करने के लिए ‘मिशन मोड‘ में काम करने का है।

मोदी ने कहा कि भारत का आत्मनिर्भर होना इसलिए जरूरी है कि निर्यात करने वाले देशों की समस्याओं के चलते भारत पर इसका बुरा असर पड़ता है, जैसा कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ने से हुआ।

मोदी ने कहा, ‘आज भारत का सबसे अधिक खर्च जिन चीजों को आयात करने में होता है, उनमें खाद्य तेल, उर्वरक और कच्चा तेल शामिल हैं, इनको खरीदने के लिए हर वर्ष लाखों करोड़ रूपये दूसरे देशों को देना पड़ता है।‘ इसके अलावा भी कई तरह के रसायन, इलेक्ट्रोनिक उत्पाद, लकड़ी और लकड़ी के उत्पाद मशीनें आदि अभी भी बहुतायत में आयात किए जाते हैं।

इन सभी उत्पादों का प्रतिस्पर्धात्मक उत्पादन देश में होना नितान्त आवश्यक है। उन्होंने कहा, ‘विदेश में अगर कोई समस्या आती है, तो इसका बुरा असर हमारे यहां भी पड़ता है।”

मोदी ने कहा कि सरकार उर्वरक के आयात पर इसी साल 2.5 करोड़ रूपये खर्च कर रही है ताकि भारतीय किसान उच्च वैश्विक कीमतों से प्रभावित ना हों। उन्होंने यह भी कहा कि देश के किसानों पर बोझ ना पड़े और उनपर कोई नया संकट ना आए इसलिए सरकार 70-80 रूपये में यूरिया बाहर से लाती और किसानों तक 5-6 रूपये में पहुंचाती।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इतना ही नहीं केंद्र सरकार ने यूरिया की शत प्रतिशत नीम कोटिंग करके उसकी कालाबाजारी रूकवाई और वर्षों से बंद पड़े देश के छह बडे़ यूरिया कारखानों को फिर से से शुरू किया गया।