Congestion on ports effects supply chain world over
- मई 24, 2021
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Recovery of economy in several countries has pushed up the demand significantly. Due to rising consumer demand, businessman are busy on piling stocks. it has created congestion on ports. Loading-unloading from ships is taking extra time. Thus creating a chaos. this has doubled the shipping period and disrupting the supply chain in the world.
The speed of the cargo ship has slowed down. In the last two years, the ship’s arrival time was up to 70 percent. Now more than 60 percent of the ships are running late.
The time of sea travel is same but it is taking more than double to unload. All are being affected from ports to rail yards, truck terminals and distribution centers. The profits of container companies have also increased significantly. According to the Freightos Baltic Index, the cost of transporting a 40-foot container from China to the US has gone up to 5,650 dollars (Rs 4.13 lakh). This is 228 percent higher than the same period last year.
Economies in the US, Europe, and Asian countries have started recovering from the decline caused by last year’s Kovid-19 epidemic. In this situation, this delay in shipping is causing headache to the companies. This is hampering the supply chain. Raw material prices are rising, where as finished goods are short supplied. Despite increasing demand, the balance sheet of companies seems to be deteriorating due to significant delays in supplies.
बंदरगाहों पर जाम से पूरी दुनिया की सप्लाई चेन पर असर
दुनिया के कई देशों में अर्थव्यवस्था खुल गई है और सामानों की डिमांड काफी बढ़ गई है। कंज्यूमर डिमांड बढ़ने से कंपनियां और बिज़नेसमैन माल का स्टाॅक बढ़ाने में लगे हैं। इससे बंदरगाहों पर जाम जैसे हालात बन गए हैं। इस जाम के चलते जहाजों पर लोडिंग-अनलोडिंग में ज्यादा समय लग रहा है और इससे शिपिंग की अवधि दोगुनी तक बढ़ गई है और दुनिया में सप्लाई-चेन बाधित हो रही है।
कार्गो शिप की गति धीमी हो गई है। पिछले दो वर्षों में जहाजों के समय पर पहुंचने का आंकड़ा 70 प्रतिशत तक था। अब 60 फीसदी से अधिक जहाज देरी से चल रहे हैं।
समुद्री सफर का समय तो उतना ही है लेकिन अनलोड करने में दोगुने से ज्यादा समय लग रहा है। बंदरगाहों से लेकर रेल यार्ड, ट्रक टर्मिनल और डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर तक देर हो रही है, जिससे सभी प्रभावित हो रहे हैं। कंटेनर कंपनियों का मुनाफा भी काफी बढ़ गया है। फ्रेटोस बाल्टिक इंडेक्स के मुताबिक चीन से अमेरिका तक एक 40 फीट के कंटेनर पहुँचाने की लागत 5,650 डाॅलर (4.13 लाख रुपए) तक हो गई है। यह पिछले साल की समान अवधि से 228 प्रतिशत अधिक है।
अमेरिका, यूरोप और एशियाई देशों में अर्थव्यवस्था पिछले साल की कोविड-19 महामारी की वजह से हुई गिरावट के बाद उबरने लगी हैं। ऐसे में सामानों की यह देरी सिरदर्द साबित हो रही है। इसकी वजह से सप्लाई चेन में बाधा पैदा हो रही है।
कच्चे माल की कीमतें बढ़ रही हैं, तैयार माल की किल्लत हो रही है। मांग बढ़ने के बावजूद सप्लाई की कमी से कंपनियों का संतुलन बिगड़ता नजर आ रहा है।