खर्च करने में हिचक रहे हैं देश के उपभोक्ता


शहरी भारत में बीते एक साल के दौरान आय में गिरावट आई है। लेकिन इस वर्ग का गैर जरूरतमंद सामान की ओर से रूझान कम नही हुआ है । वैसे इसमें बढ़ोतरी की दर में गिरावट आई। आमदनी में बढ़ोतरी वाले परिवार कम हुए है। लेकिन शहरी परिवारों की यह सोच अपेक्षाकृत रूप से बढ़ी कि उन्हें उपभोक्ता  सामान खरीदना चाहिए।

उपभोक्ता सामान खरीदने का स्तर जून 2021 में अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया था। शहरी परिवारों में उपभोक्ता सामान खरीदने की दर में बीते एक साल से सुधार हो रहा है लेकिन इसमें बढ़ोतरी की दर धीमी है और वह भी लगातार गिर रही है।

शहरी भारत भविष्य को लेकर बहुत आशावादी नहीं है। अगस्त के दौरान शहरी भारत में उपभोक्ता धारणा सूचकांक में 2.8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई थी। इससे पता चलता है कि भविष्य को लेकर संबंधित धाराणओं में गिरावट हुई है।



कुछ परिवारों को आशा है कि आने वाले सालों में उनकी आय में बढ़ोतरी होगी। और आने वाले समय में वित्तीय और कारोबारी स्थितियां बेहतर होंगी। लोगों को यह भी आस है कि आने वाले पांच सालो में भारत के आर्थिक हालात में सुधार होगा।



हालांकि ज्यादातर परिवारों को विश्वास है कि उनकी स्थितियां और खराब हो सकती हैं। भविष्य के प्रति इस धुंधले नजरिये से उपभोक्ता सामान खरीदने की सोच प्रभावित हुई है और इस वर्ग के जोश पर प्रतिकूल असर पड़ा है।

हालांकि ग्रामीण भारत ने उपभोक्ता धारणा सूचकांक स्तर पर भी अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है। अगले 12 महीनों को लेकर अत्यधिक आशावादी नजरिया नही है लेकिन उन्हें यह विश्वास है कि स्थितियां और खराब नहीं होंगी।

अगस्त में आर्थिक स्थिति सूचकांक में गिरावट मात्र 0.5 प्रतिशत थी। ग्रामीण भारत उपभोक्ता सामान खरीदने से अपने हाथ तेजी से पीछे खींच चुका है। शहरी भारत भविष्य को लेकर असमंजस की स्थिति में है और उसकी स्थिति चिंताजनक है। सितंबर के पहले सप्ताह में उपभोक्ता धारणा सूचकांक में 4.7 प्रतिशत की गिरावट इस चिंता को बखूबी बयां करती है                                              


Consumers of the country are hesitant to spend


There has been a decline in income in urban India during the last one year. But the attitude of this class towards non-necessary goods did not diminish. However, the rate of increase in it declined. Families with increasing income have decreased. But the perception of urban households relatively increased that they should buy consumer goods.

Consumer goods buying levels hit their lowest level in June 2021. The rate of purchase of consumer goods in urban households has been improving since last one year but the rate of increase in it is slow and that too is falling continuously.

Urban India is not very optimistic about the future. The consumer sentiment index in urban India declined by 2.8% during August. This suggests that related assumptions about the future have declined.



Some families are hopeful that their income will increase in the coming years. And financial and business conditions will improve in the coming times. People also have hope that the economic condition of India will improve in the coming five years.



However, most families believe their conditions could get worse. This bleak outlook on the future has affected consumer buying mindsets and adversely affected the vigor of this class.

However, rural India has not performed well even at the Consumer Sentiment Index level. It does not have an overly optimistic outlook for the next 12 months, but  is confident that the situation will not worsen.

The decline in the Economic Situation Index in August was only 0.5 per cent. Rural India has increasingly withdrawn from buying consumer goods. Urban India is in a state of confusion about the future and its condition is worrying. The fall of 4.7% in the Consumer Sentiment Index in the first week of September speaks volumes to this concern.


  IMF's warning on recession