Covid and economy

Covid and Economy are Interlinked?


The number of victims of the Covid-19 epidemic is increasing in the country but most of the indicators of economic activity are showing very slow improvement. There has been a dramatic slowing in the pace of improvement, but there is improvement. Concessions have been given in the laws by the Center, but local state lockdown is still being imposed in many states and regions of the country. There is a continuous improvement in these conditions. The question is whether the economy has disassociated itself from the virus?

Covid-19 is killing 900 to 1,000 people daily in the country. This level is quite high but it contributes only 4% of the total deaths in the country. There is also concern that the number of deaths from Covid is being reduced. However, this problem is not only in India. Sero studies show that the number of deaths from infections is less than one-tenth of one percent. Keep in mind that any infection is recorded only when the patient comes out positive during examination.

Along with increasing our understanding of the virus, there have been cases of re-infection in some people globally and locally. Some people became infected again within six weeks. A study by the National Center for Disease Control (NCDC) also showed that 97 out of 208 previously infected people did not have corona antibodies in their bodies. Perhaps it is because some people have developed instantaneous antibodies, or perhaps there are several variants of the virus. This has also damaged the concept of mass resistance and has also raised questions about the vaccines being developed. Now we cannot even talk of ending the epidemic naturally. We have to live with the epidemic until the vaccine is made. Now the option to stop the spread by locating the contact is over. How will it affect the economy?

Such economic activities in which people come in contact with each other in a closed environment can be stopped for a few months. Schools and restaurants are such places. However, the government wants to start more and more activities. The malls have opened but are lying vacant while the business of e-commerce companies has doubled. It will take time for people to get scared.

A large part of the population will also come out like this. Some people due to risk taking habit and some others will get bored with lockdown. But for the economic condition to be normal, it is necessary that a large population come out of their homes.

The gross domestic product declined drastically in the June quarter. Meanwhile, the consumption and spending trends of the private sector are expected to lead in a revival. But given the natural enthusiasm of businessmen and entrepreneurs, it can be said that with the help of fiscal and policy steps from the government, commitment towards strong economic growth will be seen. In the coming time, it will work to create enthusiasm among businessmen. In this case, the damage that can be done due to non-vaccination of the economic activity due to the epidemic.


कोविड और अर्थव्यवस्था आपस में जुड़े हैं?


देश में कोविड-19 महामारी के शिकार लोगों की तादाद बढ़ती जा रही है लेकिन आर्थिक गतिविधियों के अधिकांश सूचकांकों में बहुत धीमा सुधार देखने को मिल रहा है। सुधार की गति में नाटकीय धीमापन आया है लेकिन सुधार नजर आ रहा है। केंद्र की ओर से कानूनों में रियायत दी गई है लेकिन देश के कई राज्यों तथा इलाकों में स्थानीय स्तर पर लाॅकडाउन अभी तक लगाया जा रहा है। इन हालात में भी निरंतर सुधार होता दिख रहा है। सवाल यह है कि क्या अर्थव्यवस्था ने स्वयं को वायरस से असंबद्ध कर लिया है?

Covid and economy

कोविड-19 से देश में रोज 900 से 1,000 लोगों की मौत हो रही है। यह स्तर काफी अधिक है लेकिन देश में कुल मौतों में इसका योगदान केवल 4 फीसदी है। चिंता इस बात को लेकर भी है कि कोविड से होने वाली मौतों का आंकड़ा कम करके बताया जा रहा है। हालांकि यह समस्या केवल भारत में नहीं है। सीरो अध्ययन बताता है कि संक्रमण से होने वाली मौत के मामले एक प्रतिशत के भी दसवें हिस्से से कम हैं। ध्यान रहे कि कोई भी संक्रमण तभी दर्ज किया जाता है जब मरीज जांच में सकरात्मक निकलता है।

वायरस को लेकर हमारी समझ बढ़ने के साथ-साथ वैश्विक और स्थानीय स्तर पर कुछ लोगों में दोबारा संक्रमण के मामले सामने आए हैं। कुछ लोग तो छह सप्ताह के भीतर दोबारा संक्रमित हो गए। राष्ट्रीय व्याधि नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के एक अध्ययन से भी पता चला है कि पहले संक्रमित रह चुके 208 में से 97 लोगों के शरीर में कोरोना के एंेडीबाॅडी नहीं मिले। शायद ऐसा इसलिए हुआ कि कुछ लोगों में तात्कालिक ऐंटीबाॅडी विकसित हुईं या फिर शायद वायरस के कइ स्वरूप हैं। इससे सामूहिक प्रतिरोध की अवधारणा को भी नुकसान पहुंचा है और विकसित हो रहे टीकों को लेकर भी सवाल उठे हैं। अब हम महामारी के प्राकृतिक रूप से समाप्त होने की बात भी नहीं कर सकते। हमें टीके के बनने तक महामारी के साथ ही जीना होगा। अब संपर्क का पता लगाकर प्रसार रोकने का विकल समाप्त हो चुका है। इसका अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा?

ऐसी आर्थिक गातिविधियां जिनमें बंद माहौल में लोग एक दूसरे के संपर्क में आते हैं उनमें अभी कुछ महीनों तक रोक रह सकती है। विद्यालय तथा रेस्तरां ऐसी ही जगह हैं। हालांकि सरकार ज्यादा से ज्यादा गतिविधियां शुरू करना चाहती हैं। माॅल खुल गए हैं लेकिन खाली पड़े हैं जबकि ई-काॅमर्स कंपनियों के कारोबार में दोगुना इजाफा हुआ है। लोगों का डर जाने में अभी वक्त लगेगा।

आबादी का एक बड़ा हिस्सा यूं भी बाहर निकलेगा। कुछ लोग जोखिम लेने की आदत के चलते तो कुछ आजीविका कमाने के लिए कुछ अन्य लाॅकडाउन से बोर होकर बाहर निकलेंगे। परंतु आर्थिक हालत सामान्य होने के लिए जरूरी है कि बड़े पैमाने पर आबादी घरों से निकले।

जून तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद में भारी गिरावट आई। इस बीच निजी क्षेत्र का खपत और व्यय रूझान दोबारा सुधार की दिशा में अग्रसर होगा ऐसा अनुमान है। परंतु कारोबारियों और उद्यमियों के नैसर्गिक उत्साह को देखते हुए कहा जा सकता हे कि सरकार की ओर से राजकोशीय और नीतिगत कदमों की मदद से मजबूत आर्थिक वृद्धि की दिशा में प्रतिबद्धता देखने का मिलेगी। आने वाले समय में यह कारोबारियों में उत्साह पैदा करने का काम करेगी। ऐसा होने पर उस नुकसान की भरपाई की जा सकती है जो टीका न बनने के कारण महामारी के कारण आर्थिक गतिविधियों को हो रहा है।