चूँकि केंद्र सरकार डिजिटल निजी डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 (DPDP) को अधिसूचित करने की तैयारी कर रही है, इसलिए कानून प्रवर्तन अधिकारी प्रौद्योगिकी कंपनियों द्वारा व्यक्तिगत पहचान योग्य जानकारी (PII) के लगभग हर अनधिकृत उपयोग पर नकेल कसने की कोशिस कर रहे हैं।

हाल ही में एक कदम उठाते हुए, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र के माध्यम से फिनटेक और अन्य उपभोक्ता प्रौद्योगिकी कंपनियों द्वारा भारतीय नागरिकों के पैन (स्थायी खाता संख्या) के किसी भी अनधिकृत उपयोग को बंद करने के लिए कहा है।

पैन संवर्धन सेवा ऋण वितरण कंपनियों को क्रेडिट और अन्य वित्तीय उत्पादों की क्रॉस सेल के लिए अपने ग्राहकों के पैन नंबर के आधार पर उनकी प्रोफ़ाइल बनाने में मदद करती है। कभी-कभी इस डेटा का उपयोग ग्राहक द्वारा अपने आवेदन पत्र में दिए गए विवरणों की क्रॉस चेकिंग के लिए भी किया जाता है।

पिछले कुछ हफ्तों से ये सेवाएँ बाधित हो रही हैं क्योंकि इनमें से अधिकांश अनधिकृत सेवाएँ सरकारी हस्तक्षेप के बाद बंद हो रही हैं।

उद्योग के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, कई कंपनियाँ ग्राहक के पैन नंबर का उपयोग करती हैं और ग्राहक के पूरे नाम, पते, फ़ोन नंबर और ऐसे कई विवरणों तक पहुँचने के लिए आयकर विभाग के बैकएंड सिस्टम का उपयोग करती हैं। पैन नंबर उपभोक्ताओं के क्रेडिट स्कोर से भी जुड़ा होता है, जो एक बहुत ही मूल्यवान डेटा स्रोत है।

हालाँकि यह डेटा लीक का मामला नहीं है, लेकिन यह आयकर विभाग के बैकएंड सिस्टम का अनधिकृत उपयोग है, जिसे प्रौद्योगिकी सेवा कंपनियों द्वारा प्रबंधित किया जाता है।

यह बताया गया कि यह भारतीय नागरिकों के PII तक किसी भी अनधिकृत पहुँच को बंद करने की सरकार की बड़ी योजना का हिस्सा हो सकता है, जो डेटा सुरक्षा नियमों की अधिसूचना के बाद जाँच के दायरे में आएगा।

DPDP अधिनियम 2023 स्पष्ट रूप से अनिवार्य करता है कि नागरिकों के डेटा को केवल उचित सहमति लेने के बाद और अधिकृत चौनलों के माध्यम से ही सेवा व्यवसायों द्वारा संसाधित किया जा सकता है।