बहुचर्चित ए आई-संचालित डेटा एनालिटिक्स पैकेज (डीएपी) एक सरल धारणा बनाता है किसी के द्वारा एक वर्ष में किया गया खर्च या निवेश केवल उस वर्ष की आय से ही हो सकता है।

डीएपी करदाता के संसाधनों को उनके व्यय या निवेश से मिलान करने के लिए पिछले आयकर रिटर्न पर विचार नहीं करता है। हमेशा ‘‘आय के ज्ञात स्रोतों से असंगत‘‘ शब्द का उपयोग किया जाता है और कभी भी ‘‘ज्ञात निवल संपत्ति (नेट वर्थ) से असंगत‘‘ का उपयोग डी ए पी द्वारा नहीं किया जाता है।

इस विश्वास के साथ, कि बांध में कितना पानी संचित है, की अनदेखी करते हुए, और, केवल उसी वर्ष के वर्षा से ही पानी निकाला जा सकता है, सिस्टम गलत तरीके से मानता है कि फंड केवल वर्तमान आय से निकाले जा सकते हैं और संचित धन को अनदेखा करते हैं।

हालाँकि, कर चोर के रूप में व्यवहार किए जाने से ईमानदार करदाताओं का भरोसा डगमगाता है, भले ही वे अंततः बेदाग निकल जाएँ। वास्तविक कर चोर अक्सर किसी की नज़र में नहीं आते, जबकि निर्दाेष लोगों की जांच करते हुए लाखों मानव-दिवस बर्बाद हो जाते हैं।

सच कहा जाए तो, तकनीक का उपयोग करदाताओं के लिए मामलों को सरल बनाने के लिए किया गया था। कर रिफंड जैसे कुछ पहलुओं को वास्तव में तेज़ किया गया है। लेकिन डीएपी अभी भी सच्चे कर चोरों की पहचान करने में प्रभावी नहीं है।

कर चोरों के लिए छिपने की सबसे सुरक्षित जगह ईमानदार करदाताओं की भीड़ होती है। डीएपी को बड़े घास के ढेर में सुई (कर चोर) ढूंढनी होगी। लेकिन यह (डीएपी) उन लोगों के दृष्टिकोण से सीमित बनी हुई है जिन्होंने इसे तैयार किया है। वर्तमान में यह एक ऐसा कुंद उपकरण है, जो लाखों ईमानदार करदाताओं को कुछ कर चोरों के बराबर खड़ा कर देता है।

इन लाखों ईमानदार करदाताओं में से कर चोरों को अलग करने के लिए आवश्यक प्रयास बहुत महत्वपूर्ण है।

अब समय आ गया है कि डीएपी को पिछले सीमित दृष्टिकोणों की सीमाओं के बाहर जा कर तैयार किया जाए। तब यह वह अंतर्दृष्टि प्राप्त कर सकता है जो कर चोरों को खोजने में मदद करे और ईमानदार करदाताओं को लक्षित करने वाली वर्त्तमान डीएपी से बचाव हो।