Editorial 2021

We all know that prejudice mind is the source of unrest, stress and trouble in life. Ego clashes with ego. The whole sky of possibilities is waiting for us but we keep on wandering. One, who does not want to understand, cannot be explained. There is a saying that you can lead a horse to a pond, but you cannot force it to drink water.

Everyone wants to be listened suppose to do as he is asking, but does it happen in real life? Just motivation without scolding does not work is the popular belief. That’s why the distance between speaker and listener never meets up. In fact, there is a golden rule of management in any field. Let other be advised to do work in the manner you would like for yourself. The principle of management is that employee should understand the signal of the officer. The organization flourishes if this process is achieved.

The biggest problem of today is that there is spread of knowledge a lot, but importance is not given to reduce the urge. The problem is that the character’ is not developed in our education. Only the lesson of earning money is considered. It is up to us whether we want to fall apart or become better than before. You console yourself by uttering bad luck, but the truth is that it depends on you, not on luck. You become what you choose. Man is not made by his circumstances, but by his decisions.

The launch of Gatishakti Yojana by the Prime Minister to give impetus to the projects related to infrastructure and industrial development is dedicated towards development. Their was need for a scheme like Prime Minister’s Gatishakti because there were complaints about road, electricity, rail and airport-related projects being stalled or not completed on time. Delays in large projects not only increase their cost, but also create many other problems. At a time when large projects are being implemented on a large scale, the Gatishakti plan has vital role in it seft. How ambitious this plan is, it can be seen from the fact that it will give impetus to infrastructure projects worth about one hundred lakh crore rupees. Since all the ministries, investors etc. related to this scheme are being linked, it is expected that that such a situation will not happen, referring to which the Prime Minister said that despite the hanging of the board the work is in progress, the work does not progress fast in reality.

The Gati Shakti project itself is also important because the master plan aims to achieve a network of 2oo,ooo km of national highways, increase the cargo capacity of ports to increase power transmission capacity, as well as increase renewable energy capacity. It aims to set up mega food parks, agro-processing centres, defense corridors, electronics manufacturing and textile clusters and pharmaceutical and medical devices clusters.

If all the above projects are implemented in real sense, then there is definitely going to be a tremendous demand growth in all the industrial units associated with plywood and panels. The industry going through a stagnation will come to life anew.
It is to be expected that all the entrepreneurs must have prepared themselves vigorously to seize this opportunity. Because the time it will take for the projects to come to their stipulated pace should be sufficient for future preparations also.



गतिशक्ति परियोजना से उपजेगा अवसर

हम सब जानते है का पूर्वाग्रही भाव जीवन में अशांति, तनाव एवं परेशानी का कारण है। अहं से अहं टकराते रहते हैं। संभावनाओं का पूरा आकाश हमारे इंतजार में होता है और हम भटकते रह जाते हैं। जो समझना नहीं चाहता, उसे समझाया नहीं जा सकता। कहावत है कि आप घोडे को जलाशय तक ले जा सकते हैं, किंतु उसे पानी पीने के लिए बाध्य नहीं कर सकतें।

सब चाहते है कि उनके आसपास वाले उन्हें सुनें। जैसा वह कह रहे हैं, वैसा ही करें, पर क्या ऐसे हो पाता है ज्यादातर यही कहते हुए मिलते हैं कि डराए-धमकाए बिना काम ही नहीं होता। नतीजा कहने और सुनने वाले के बीच एक दूरी ही बनी रहती है। वास्तव में किसी भी क्षेत्र में प्रबंधन का एक ही अचूक नियम है। दुसरों से उसी तरह काम करवाएं, जिस तरह आप चाहते हैं कि दूसरे आप से काम करवाएँ। प्रबंधन का सिद्धांत है कि कर्मचारी को अधिकारी के संकेत को समझना चाहिए। अगर एसे कर्मचारी हों तो कंपनी का बहुत विकास होगा।

आज की सबसे बड़ी समस्या यह है कि ज्ञान का विकास तो बहुत हो रहा है, किंतु आग्रह को कम करने की साधना नहीं हो रही है। समस्या यह भी है कि चरित्र का पाठ भी नहीं पढ़ाया जाता। केवल पैसा कमाने का पाठ ही पढ़ाया जाता है। यह हम पर ही है कि हम चाहें तो बिखर जाएं या पहले से बेहतर बन जाएं। आप बुरी किस्मत कहकर खुद को दिलासा भी दे देते हैं, लेकिन सच यही है कि यह भाग्य पर नहीं, पर निर्भर करता है। आप वही बन जाते हैं, जो आप चुनते हैं। इंसान अपने हालात से नहीं, फैसलों से बनता है।

प्रधानमंत्री द्वारा बुनियादी ढांचे और औद्योगिक विकास से जुड़ी परियोजनाओं को रफ्तार देने के लिए गतिशक्ति योजना का शुभांरभ विकास के प्रति समर्पित है। प्रधानमंत्री गतिशक्ति सरीखी किसी योजना की आवश्यकता इसलिए थी, क्योंकि सड़क, बिजली, रेल और एयरपोर्ट आदि से संबंधित परियोजनाओं में अड़ंगा लगने अथवा उनके समय से पूरा न होने की शिकायतें सामने आती ही रहती थीं। बड़ी परियोजनाओं में विलंब से केवल उनकी लागत ही नहीं बढ़ती, बल्कि अन्य अनेक समस्याएं भी उत्पन्न होती हैं। एक ऐसे समय जब बड़े पैमाने पर बड़ी परियोजनाएं लागू की जा रही हों तब गतिशक्ति योजना की आवश्यकता और बढ़ गई थी। यह योजना कितनी महत्वाकांक्षी है,  इसका पता इससे चलता है कि इससे करीब सौ लाख करोड़ रुपये की बुनियादी ढांचा परियोचनाओं को गति मिलेगी । चूंकि इस योजना से संबंधित सभी मंत्रालयोंए निवेशकों आदि को जोड़ा जा रहा है इसलिए उम्मीद की जाती है कि वह स्थिति नहीं बनेगी, जिसका उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कार्य प्रगति पर है का बोर्ड टाँगे जाने के बावजूद काम तेजी से आगे नहीं बढ़ता।

अपने आप में इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि मास्टर प्लान का उद्देश्य 200,000 किमी राष्ट्रीय राजमार्गों के नेटवर्क को प्राप्त करनाए बिजली पारेषण क्षमता बढ़ाने के लिए बंदरगाहों की कार्गो क्षमता में वृद्धि, साथ ही नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को बढ़ाना है। इसका उद्देश्य मेगा फ़ूड पार्क,  एग्रो प्रोसेसिंग सेंटर, डिफेंस कॉरिडोर, इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग और टेक्सटाइल क्लस्टर और फार्मास्युटिकल और मेडिकल डिवाइस क्लस्टर स्थापित करना है।

उपरोक्त सभी परियोजनाएं अगर वास्तविक अर्थो में लागू होती हैं, तो निश्चित रूप से प्लाइवुड और पेनल से जुड़ी सभी औद्योगिक इकाइयों में जबरदस्त मांग का इजाफा होने वाला है। एक ठहराव के दौर से गुजर रहे उद्योगों में नये सिरे से जान आ जाएगी ।

उम्मीद की जानी चाहिए कि सभी उद्दमी इस अवसर को भुनाने के लिए अपने आपको मजबती से तैयार कर रखें होंगे । क्योकि परियोजनाओं को अपनी निर्धारित गति में आने में जो समय लगेगा वह समय भी भविष्य की तैयारीयों के लिए पर्याप्त होना चाहिए।

सुरेश बाहेती मो0 9050800888